अनंतनाग की पंडित कॉलोनी खाली … हत्याओं के बाद 90% कश्मीरी पंडितों ने रातोंरात घर छोड़ा; बोले- सब्र टूट गया
घाटी में लगातार हो रही हत्याओंं के बाद कश्मीरी पंडित अपना घर छोड़कर जाने लगे हैं। PM पैकेज से मिले अनंतनाग के मट्टन स्थित पंडित कॉलोनी में सन्नाटा पसरा है।….. से बात करते हुए कश्मीरी पंडित रंजन ज्योतिषी ने बताया कि अनंतनाग स्थित मट्टन की कश्मीरी पंडित कॉलोनी से 90% लोग जा चुके हैं। लोगों के सब्र का बांध टूट चुका है, जिसके बाद रात में ही वे पलायन कर गए।
यह कॉलोनी PM पैकेज योजना के तहत बनाई गई है और यहां कश्मीरी पंडित समुदाय के सरकारी कर्मचारी रहते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हो रही हत्याओं के बाद सभी अपने घर की ओर निकल गए हैं। हालात ठीक होने के बाद ही इनकी लौटने की संभावनाएं हैं।
इधर, अनंतनाग और कुलगाम के कई इलाकों में कश्मीरी पंडितों ने स्थानीय प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है, जिससे वे घाटी छोड़ सुरक्षित जगहों पर जा सकें। कश्मीर में राहुल भट्ट की हत्या के बाद से ही पंडितों का प्रदर्शन जारी है। अनंतनाग में रहने वाले कश्मीरी पंडित अविनाश ने बताया कि जब तक सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होते हैं, तब तक हमें यहां से हटाने की व्यवस्था की जाय।
सरकार ने की सुरक्षित जगहों पर पोस्टिंग का फैसला
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने खतरे की आशंका में कश्मीरी प्रवासियों और जम्मू संभाग के अन्य कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर तैनात करने का फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा था कि सभी को जिला मुख्यालय में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि, जम्मू में बड़ी संख्या में डेरा डालने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि टारगेट बनाकर कर्मचारियों की हत्याएं की जा रही हैं।
टारगेट किलिंग से दहली घाटी, 22 दिन में 9 की मौत
कश्मीर में इस साल आतंकी हमले में 20 नागरिकों की हत्या हो चुकी है। इनमें से 9 हत्याएं पिछले 22 दिन में हुईं, जिसमें 5 हिंदू और 3 सुरक्षाबलों के जवान थे। ये जवान छुट्टी पर घर आए थे। आतंकियों ने एक टीवी एक्टर की भी हत्या कर दी थी। गुरुवार को लोकल टेररिस्ट ग्रुप कश्मीर फ्रीडम फाइटर (KFF) ने लेटर जारी कर धमकी दी थी कि सबका अंजाम ऐसा ही होगा।
घाटी में जब हुआ था कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा पलायन
1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का सबसे बड़ा पलायन हुआ था। गृह मंत्रालय के मुताबिक 1990 में 219 कश्मीरी पंडित हमले में मारे गए थे, जिसके बाद पंडितों का पलायन शुरू हुआ। एक अनुमान के मुताबिक 1 लाख 20 हजार कश्मीरी पंडितों ने घाटी से उस समय पलायन किया था।