जबरन विस्थापन का दर्द झेल रही दुनिया, देश में पांच लाख तो दुनिया में 10 करोड़ शिकार

जबरन विस्थापन के लिए हिंसा और राजनीतिक कारण जिम्मेदार। देश में 2021 में हुए विस्थापन के लिए पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा भी एक बड़ा कारण। प्राकृतिक आपदाओं से भी देश में पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने 13 सालों में विस्थापन का दर्द झेला

भोपाल…

कश्मीर में गैर मुस्लिमों के साथ हो रहे सलूक के बीच वहां से एक बार फिर पलायन की खबरें आ रही हैं। इस बीच में यह देश पहले से ही करीब पांच लाख जबरन विस्थापित हुए लोगों का दर्द झेल रहा है। देश में साल 2021 में कश्मीर से छुट-पुल पलायन के बीच में पश्चिम बंगाल की राजनीतिक हिंसा और त्रिपुरा के धार्मिक उन्माद के कारण करीब 13 हजार लोगों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा था। देश में आई आपदाओं के चलते भी पिछले साल 49 लाख लोगों ने विस्थापन झेला है। वहीं, पूरी दुनिया में राजनीति और हिंसा के चलते जबरन विस्थापित होने वालों का आंकड़ा इस साल दस करोड़ को पार कर गया है। इस विस्थापन में यूक्रेन और रूस की बड़ी भागीदारी है। अब तक 68 लाख लोगों ने यूक्रेन से मजबूरन विस्थापन किया है। इनमें ज्यादातर लोग दूसरे देशों में शरणार्थी बनकर जीवन जीने के लिए चले गए हैं।

अब भी कश्मीरी ज्यादा विस्थापित
दुनिया भर में विस्थापन के आंकड़ों पर काम करने वाली संस्था इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर के मुताबिक, दुनिया भर में साल 2021 में 1.4 करोड़ लोगों ने राजनीतिक और दूसरी हिंसा के चलते जबरन विस्थापन का दर्द झेला है। जबकि भारत में 2021 में महज 13 हजार लोगों ने इस दर्द को झेला है। इसमें कश्मीर विस्थापन छुट-पुट ही रहा। सबसे ज्यादा विस्थापन पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के कारण हुआ। इससे यहां पर 11 हजार लोगों को विस्थापित होना पड़ा। हालांकि देश के भीतर जबरन विस्थापित जीवन जी रहे लोगों की संख्या 5.05 लाख है, जिनमें 2.83 लाख लोग अकेले कश्मीर से विस्थापन झेल रहे हैं।

यूक्रेन और रूस के युद्ध से 68 लाख नए विस्थापित
दुनिया भर में जबरन विस्थापित लोगों का आंकड़ा 2022 में बढ़कर 10 करोड़ को पार कर गया है। संयुक्त राष्ट्र के रिफ्यूजी कमिश्नर के आंकड़ों के मुताबिक, यूक्रेन और रूस के युद्ध से विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या में तेजी आई है। 2 जून तक के आकंड़े कहते हैं कि यूक्रेन से अब तक 68 लाख लोगों ने देश छोड़कर दूसरी जगहों पर खुद को विस्थापित किया है।

देश में जबरन विस्थापन का शिकार
साल विस्थापित
2009 — 33
2010 — 106.05
2011— 53
2012— 500
2013— 64
2014 — 345
2015 — 1
2016 — 448.4
2017 — 78.5
2018 — 169.3
2019 — 19
2020 — 3.9
2021 — 13

स्त्रोत: आंकड़े इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर से। (सभी आंकड़े हजार में)

 

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