जीत की दावत

जनीति शब्द ही भ्रामक है। वास्तव में तो इसमें कोई नीति होती ही नहीं। जैसी हमने बाड़ाबंदी में देखी। जिन नेताओं को चुनकर जनता सिर पर बैठाकर सत्ता सौंपती है, वे भी बिकाऊ होने में गर्व महसूस करते हैं। जनता के साथ धोखेबाजी, लूट-खसोट और भ्रष्ट आचरण से लज्जित नहीं होते। कह कर पलट जाना आम बात हो गई। यहां तक कि सरकारी नीतियां भी इसी श्रेणी में आने लगी हैं। चुनावी वादे, कमीशनखोरी वाली विकास योजनाएं, साम्प्रदायिकता के हथियार की रणनीति तथा पार्टियों में वैमनस्य चरम पर पहुंच गया है। बेरोजगारों तक को लूटने तक के लिए भर्ती परीक्षाओं का ताण्डव बेशर्मी से होता है। राजस्थान में रीट घोटाला, कांस्टेबल भर्ती परीक्षा पेपर लीक के साथ-साथ शीर्ष भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताएं सबके सामने हैं। वर्ष 2018 में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) की भर्ती में भी लेन-देन की चर्चा रही है। बेरोजगारों से परीक्षाओं के नाम पर करोड़ों रुपए वसूले जाते हैं। ये किसकी जेब में जाते हैं-पता नहीं। कई परीक्षाएं ऐसी भी हैं जिनको अदालत के फैसले का इंतजार है। लम्बे समय तक भर्तियां न हो तो बेरोजगार नौकरी की आयु सीमा तक पार कर जाते हैं। ये ही सरकार की विकासवादी नीतियां हैं!

सरकारें कैसे चलती हैं। दलाली की योजनाओं से ताकि बजट जनता तक नहीं पहुंचे। जनता को फ्लोराइडयुक्तऔर सीवर मिला जल मिले, गांवों में स्कूल नहीं, स्कूल हैं तो अध्यापक नहीं। अस्पतालों में दवाइयां नहीं, चिकित्सक नहीं। सड़कें नहीं, आवागमन के साधन नहीं पर टोल वसूली हर जगह मिलेगी।

आज तो ऐसा लगता है कि सरकार के पास जनता के लिए न धन है, न ही समय। राजनीतिक उपलब्धियां ही विकास का पैमाना रह गया है। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी ऊपर से लेकर नीचे तक व्याप्त है-मंत्री, अधिकारी और कर्मचारी तक। रसूखदार चौथ वसूली में जुटे हैं और राजनेता, कर्मचारी-अधिकारियों से धमकी भरे अंदाज में पेश आते हैं। युवा पीढ़ी में नशे की लत से कोई भी राज्य अछूता नहीं है। सरकारें शराब से कमाई में जुटी हैं। महंगाई चरम पर है पर जिम्मेदारों की आंखें बंद हैं। रोजगार देने के आंकड़े उपलब्धियों का बखान करने तक ही सीमित है। इनके बीच सबको खाने-पीने की खुली छूट। जो जितना बड़ा भ्रष्ट हो उतना ही बड़ा पद-सात खून माफ। सरकारी दावे, कानून लाने का आश्वासन सब धूल चाट रहे हैं। कमाई सर्वोपरि है।

राजस्थान के शिक्षा मंत्री बुलाकी दास कल्ला ने तो हाल ही में भ्रष्टाचार के बांध के दरवाजे खोल दिए। यह कहकर कि राज्य का सबसे बड़ा विभाग, शिक्षा विभाग अब तबादलों में अपनी पारदर्शिता की नीति लागू नहीं करेगा।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *