योगी आदित्यनाथ और अखिलेश में कौन बेहतर? राज्यपाल राम नाईक ने दिया ये बेहतरीन जवाब

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने सोमवार को कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, दोनों से उनके व्यक्तिगत तौर पर बहुत अच्छे संबंध हैं. राज्यपाल राजभवन में अपने पांच वर्ष पूरे होने पर पांचवें वर्ष का कार्यवृत्त मीडिया के सामने रखा. उन्होंने कहा कि उप्र सर्वोत्तम प्रदेश बनने की राह पर है. इसमें उन्होंने ‘सेतुबंध के समय गिलहरी’ जैसा योगदान देने की कोशिश की है. राम नाईक ने कहा, “मेरे अखिलेश यादव व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दोनों से व्यक्तिगत तौर पर बहुत अच्छे रिश्ते हैं.”

पिछली अखिलेश सरकार व मौजूदा योगी सरकार के बीच बेहतर कौन? इस सवाल का जवाब देने से हालांकि उन्होंने इनकार कर दिया. राज्यपाल ने कहा, “दोनों मेरी सरकारें हैं. दोनों का मैं संरक्षक की भूमिका में रहा हूं. पर, यह मैं तय नहीं कर सकता. यह जनता तय करती है.” नाईक ने कहा कि कुष्ठ रोगियों के लिए निर्वाह भत्ता बढ़ाने का अनुरोध उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से किया था.

इसे उन्होंने मान लिया. इसी मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि कुष्ठ रोगियों को मुख्यमंत्री आवास योजना ग्रामीण में मकान दिलवाएं. इसे मुख्यमंत्री योगी ने स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा कि हाल के सालों में पहले के मुकाबले उन्हें कम पत्र मिले हैं. इससे संकेत है कि लोगों के काम सरकार में होने लगे हैं.

राज्यपाल ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने 5,257 नागरिकों से तथा पांच वर्ष में कुल 30,225 नागरिकों से राजभवन में भेंट की. पांचवें वर्ष में राजभवन में 37,107 पत्र जनता ने विभिन्न माध्यमों से प्रेषित किए, जिन पर राजभवन द्वारा नियमानुसार कार्यवाही की गई, जबकि पांच वर्ष में कुल प्राप्त पत्रों की संख्या 2,10,643 है.

उन्होंने राजभवन में 54 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 165 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर प्रदेश में 100 सार्वजनिक कार्यक्रमों और उत्तर प्रदेश से बाहर 25 सार्वजनिक कार्यक्रमों में सहभाग किया. राज्यपाल ने अपने कार्यकाल की अवधि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गत पांच वर्ष में अब तक वह राजभवन में 219 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ में 955 सार्वजनिक कार्यक्रमों, लखनऊ से बाहर उत्तर प्रदेश में 536 कार्यक्रमों, उत्तर प्रदेश से बाहर कुल 147 कार्यक्रमों में सम्मिलित हुए हैं.

उन्होंने बताया कि कुलाधिपति के रूप में 26 विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोह में वे सम्मिलित हुए हैं, जबकि प्रदेश में स्थापित दो निजी विश्वविद्यालयों या संस्थाओं के दीक्षांत समारोह में भी उन्होंने भाग लिया है.  राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा में सुधार लाना उनकी पहली प्राथमिकता रही है और इसके लिए उन्होंने प्रथम वर्ष से ही विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए थे तथा वर्ष में दो कुलपति सम्मेलन भी आयोजित किए जा रहे हैं.

इस वर्ष शैक्षिक सत्र 2018-19 में दीक्षांत समारोहों में कुल 12,78,985 छात्र-छात्राओं को विभिन्न पाठ्यक्रमों की उपाधियां प्रदान की गईं, जिनमें से 7,14,764 यानी 56 प्रतिशत छात्राओं ने उपाधियां अर्जित की हैं. कुल 1,741 पदकों में 1,143 यानी 66 प्रतिशत पदकों पर छात्राओं ने कब्जा किया है. नाईक ने कहा कि विगत वर्षो में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए उठाए गए कदमों के फलस्वरूप आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि उपाधि प्राप्तकर्ताओं में छात्राओं का अनुपात जहां वर्ष 2015-16 के दौरान 40 प्रतिशत था, वहीं शैक्षिक सत्र 2018-19 के दौरान यह स्तर बढ़कर 56 प्रतिशत पर पहुंच गया है.

राज्यपाल ने बताया कि वह जिन संस्थाओं के पदेन अध्यक्ष है, पांचवें वर्ष में उनकी छह बैठकों की अध्यक्षता भी उन्होंने की है. कार्यवृत्त की अवधि में 24 पत्र राष्ट्रपति को, 29 पत्र प्रधानमंत्री, 131 पत्र उपराष्ट्रपति एवं केंद्रीय मंत्रियों को, 329 पत्र मुख्यमंत्री तथा 210 पत्र प्रदेश के मंत्रियों को उन्होंने प्रेषित किए हैं. उन्होंने बताया कि पांच वर्ष में कुल 116 पत्र राष्ट्रपति को, 199 पत्र प्रधानमंत्री को, 551 पत्र उपराष्ट्रपति एवं केंद्रीय मंत्रियों को, 1,623 पत्र मुख्यमंत्री को तथा 634 पत्र प्रदेश के मंत्रियों को उनके द्वारा लिखे गए हैं.

 

राज्यपाल ने बताया कि उन्हें एक वर्ष में प्रदेश के बाहर आयोजित कार्यक्रमों में जाने के लिए कुल 73 दिन स्वीकृत हैं. वर्ष 2018 में वह 40 दिन (55 प्रतिशत) और वर्ष 2019 में अब तक नौ दिन (12 प्रतिशत) प्रदेश के बाहर गए थे. इस अवधि में उन्होंने 25 कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया. उन्होंने बताया कि राज्यपाल को 20 दिन का वार्षिक अवकाश उपभोग करने की अनुमति है.

पांचवें कार्यवृत्त की अवधि में उन्होंने मात्र तीन दिन का अवकाश चिकित्सकों की सलाह पर एहतियात के तौर पर ‘पेस मेकर’ लगवाने के लिए लिया था. इस प्रकार कुल पांच वर्ष में देय 100 दिन के अवकाश के सापेक्ष उन्होंने कुल 22 दिन (2014-15 में 10 दिन, 2015-16 में 9 दिन एवं 2018-19 में 3 दिन) का अवकाश लिया है.

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