लंबे समय से बगावत की तैयारी कर रहे थे शिंदे ! निजी स्टाफ को क्यों भेजा था छुट्टी पर
एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में ठहरे हुए हैं। इन सभी के फोन नॉट रिचेबल हैं। इस बीच खबर ये है कि एकनाथ शिंदे लंबे समय से बगावत की तैयारी कर रहे थे …
- चार दिन पहले निजी स्टाफ को भेज दिया था छुट्टी पर
- इस दौरान विधायकों को जुटाने की रणनीति बनाई
- शिवसेना के ताकतवर नेताओं में गिने जाते हैं शिंदे
महाराष्ट्र में शिवेसना (Shiv Sena) की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन की सरकार खतरे में नजर आ रही है। उद्धव सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बागवत से तीन प्रमुख घटक दलों शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी में हलचल मची हुई है। सभी दलों की बैठकें हों रही हैं। इस बीच एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में ठहरे हुए हैं। इन सभी के फोन नॉट रिचेबल हैं। इस बीच खबर ये है कि एकनाथ शिंदे लंबे समय से बगावत की तैयारी कर रहे थे।
एमएलसी चुनाव से पहले शिंदे ने बगावत का खाका तैयार किया
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक एमएलसी चुनाव से पहले शिंदे ने जब बगावत का खाका तैयार कर लिया उसके बाद 4 दिन पहले अपने निजी स्टाफ को छुट्टी पर भेज दिया। पिछले 4 दिन से एकनाथ शिंदे के निजी स्टाफ छुट्टी पर थे। इस दौरान शिंदे कहां जा रहे हैं और किससे मिल रहे हैं इसकी भनक किसी को नहीं लगी। शिंदे के दफ्तर में मीडिया का प्रभार देखने वाले एक सचिव ने इसकी पुष्टि इंडिया टीवी से की है। उन्होंने बताया कि 4 दिन पहले ठाणे स्थित आवास से सभी निजी स्टाफ को छुट्टी दे दी गयी थी। इस दौरान एकनाथ शिंदे सभी विधायकों को एकजुट करने की रणनीति बनाने के बाद उसे अमलीजामा पहनाने में लगे थे।
जानकारी के मुताबिक कल रात ही सूरत निकल गए, मुम्बई से सूरत की दूरी लगभग 290 किलोमीटर के आसपास है और करीबन साढ़े 5 से 6 घण्टे का रास्ता है। ऐसे में शिंदे आधी रात को मुंबई से निकलकर सूरत पहुंच गए। सूरत शिंदे और उनके समर्थकों के लिए एक सेफ पैसेज है क्योंकि गुजरात में बीजेपी की सरकार है।
शिंदे शिवसेना के ताकतवर मंत्री
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के समय से ही यह सुगबुगाहट रही कि ठाकरे परिवार में कभी कोई किसी संविधानिक पद पर नहीं रहा। ऐसे में एकनाथ शिंदे सबसे बड़ा चेहरा थे और उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में मीडिया में चलता रहा। लेकिन बाद में उद्धव को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट किया गया। देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में जब बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार थी उस समय भी एकनाथ शिंदे शिवसेना की तरफ से सबसे ताकतवर मंत्री थे। शिंदे को बीजेपी का करीबी भी कहा जाता रहा है। लेकिन शिंदे ने कभी अपने पत्ते नहीं खोले। महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद शिंदे की नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें पीडब्ल्यूडी जैसे अहम मंत्रालय भी दिया गया।
बेटे श्रीकांत को राजनीति में सुरक्षित करना चाहते हैं एकनाथ
वहीं अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को राजनीति में सुरक्षित करना भी एकनाथ शिंदे की जरूरत बताई जा रही है। एकनाथ शिंदे कल्याण लोकसभा सीट से सांसद हैं। इस बीच बीजेपी भी कल्याण लोकसभा सीट पर अगले चुनाव की रणनीति में जुट गई है। सूत्रों की माने तो मनसे नेता राजू पाटिल सहित कई ऐसे नेता थे जिनकी कल्याण में सांसद श्रीकांत शिंदे से ज्यादा पैठ रही है। माना जा रहा है कि श्रीकांत शिंदे के राजनीतिक भविष्य को देखते हुए एकनाथ ने शिंदे ने यह दांव खेला है।