मुख्यमंत्री को लिखा पत्र …?
विधानसभा सत्र पर नेता प्रतिपक्ष की आपत्ति, बोले- कम से कम तीन सप्ताह की अवधि का रखा जाए….
मध्यप्रदेश विधानसभा सत्र 25 से 28 जुलाई तक की अधिसूचना जारी होने पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा गया है इसमें इस सत्र की अवधि कम से कम तीन सप्ताह का किए जाने की बात कही गई है। डाॅ. सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री का तानाशाही रवैया चल रहा है तथा विपक्ष व जनता की आवाज दबाने का काम किया जा रहा है। अगर सत्र की अवधि लंबी होगी तो जनहित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हो सकेगी।
नेता प्रतिपक्ष ने महज पांच दिनी सत्र आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा है कि पूर्व में मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर मानसूत्र सत्र की तिथि पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव के बाद निश्चित किए जाने के साथ ही सत्र की अवधि कम से कम 20 दिन किए जाने की मांग की गई थी जिससे प्रदेश की जन समस्याओं व ज्वलंत मुद्दों पर सदन में विस्तार से चर्चा हो सके।
नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में कहा है कि विधानसभा प्रजातंत्र का पवित्र मंदिर है और राज्य की संपूर्ण जनता का प्रतिनिधित्व करता है। इनमें जन हित में ज्वलंत मुद्दों और सरकार की नाकामियों को उजागर करने, जनहितैषी योजनाओं के क्रियान्वयन व भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे उठाने के अवसर मिलते हैं लेकिन भाजपा सरकार में सदन की बैठकों में निरंतर कमी होती जा रही है। जबकि संविधान में निहित भावना के अनुरुप और संविधान विशेषज्ञों ने साल में कम से कम 60 से 75 बैठकें प्रतिवर्ष आहूत करने की सिफारिश की गई है।
कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा होना जरूरी
अपने पत्र में डाॅ. सिंह ने कहा है कि विधानसभा पटल पर जांच आयोग, लोकायुक्त, विश्व विद्यालय सहित अन्य प्रतिवेदनों पर विगत कई साल से चर्चा नहीं कराई गई है। सात न्यायिक आयोगों की रिपोर्ट अब तक विधानसभा के पटल पर नहीं आई है। कुछ आयोगों के जांच प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाद भी उन प्रतिवेदनों को विधानसभा पटल पर नहीं रखा गया है।
प्रदेश में चहुंओर हो रही घटनाओं में सरकार की सफलताएं सामने आई हैं। प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। चोरी, लूट, डकैती, अपहरण, हत्या, महिलाओं और अबोध बालिकाओं के साथ अमानवीयता की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। बेरोजगारी चरम पर है। बिजली कटौती व अवैध वसूली, स्कूलों में ड्रेस, साइकिल, छात्रवृत्ति वितरण घोटाले सामने आ रहे है।