ग्वालियर : पार्षद चुनाव …? 10 वार्डों में भाजपा-कांग्रेस में कड़ी टक्कर वहीं 13 वार्डों में बागियों के कारण त्रिकोणीय मुकाबला

पार्षद पद के लिए चुनाव छोटा सही, लेकिन आसान नहीं है। बहुत कम वार्ड ऐसे हैं, जहां भाजपा या कांग्रेस के प्रत्याशी के जीतने को लेकर कयास चल रहे हैं। अधिकांश वार्डों में या तो कड़ा मुकाबला है या फिर निर्दलीय या दूसरी पार्टियों से खड़े होने वाले बागियों के कारण त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है।

भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही नेता ऐसी स्थिति से बचने के लिए अब भी बागियों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं शहर से सटे ग्रामीण के 6 वार्डों में 2 पर सीधा व कड़ा मुकाबला है व 4 में निर्दलीय समीकरण बिगाड़ सकते हैं।

किस विधानसभा में क्या रहेगी स्थिति

  • ग्वालियर विधानसभा: वार्ड नंबर एक में मजदूर संघ के पदाधिकारी की पत्नी के निर्दलीय खड़े होने से मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। तीन नंबर वार्ड में भाजपा के बागी समीकरण बिगाड़ेंगे। यही स्थिति वार्ड नंबर पांच में बन सकती है। वार्ड नंबर 8, 9, 12 और 14 में भाजपा-कांग्रेस में कड़ा मुकाबला होगा। वार्ड नंबर 33, 34 और 35 में भाजपा के अधिकांश बागियों ने अपने नामांकन वापस नहीं लिए हैं। ऐसे में ये जीत के गणित को बिगाड़ सकते हैं।
  • दक्षिण विधानसभा: दक्षिण विधानसभा में भाजपा के निर्दलीय प्रत्याशी जीत-हार के समीकरणों को गड़बड़ा सकते हैं। यहां वार्ड नंबर 37, 38, 39, 40 और 41 में भाजपा के बागी प्रत्याशी पूरी दमदारी से चुनाव लड़ रहे हैं। अधिकांश निर्दलीय हैं, कुछ को आम आदमी पार्टी ने प्रत्याशी बना दिया है। 42 और 43 नंबर में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला होगा। 44 नंबर में हिंदू महासभा की प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के लिए चुनौती बनेंगी। 54 नंबर में भी भाजपा के निर्दलीय प्रत्याशी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं।
  • पूर्व विधानसभा: इस क्षेत्र में वैसे भाजपा कार्यकर्ताओं की पकड़ मजबूत है। लेकिन यहां के वार्ड नंबर 21 और 24 में मुकाबला कठिन होगा। 27 नंबर में भाजपा की विचारधारा वाले निर्दलीय पार्टी प्रत्याशी की मुसीबत बढ़ा सकते हैं। चूंकि कांग्रेस विधायक की भी इस क्षेत्र में जमीनी पकड़ है, इस कारण कुछ और वार्डों में भी कड़े मुकाबले की संभावना बन सकती हैं।

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