हर ट्रांसफर पर सीएम योगी की नजर …? पहली बार भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाए ये 5 नियम
मंत्री कोई भी ट्रांसफर बिना मंजूरी नहीं कर सकेंगे…
सीएम योगी सरकार 2.0 में 10 दिन पहले ट्रांसफर पॉलिसी नीति कैबिनेट प्रस्ताव में पास हुई। मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े सूत्र बताते हैं कि इस बार ट्रांसफर पॉलिसी नीति के तहत मंत्रियों के विभाग से किए जाने वाले ट्रांसफर पर सीधी नजर सीएम योगी आदित्यनाथ खुद रख रहे हैं। हर ट्रांसफर की जानकारी मुख्यमंत्री को दी जा रही है।
ट्रांसफर पॉलिसी में मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सख्त फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री ने सभी कैबिनेट मंत्रियों को अफसरों के ट्रांसफर से पहले 5 तरीके का कॉलम भरकर उनके पास भेजने के लिए कहा है।

ये है वो 5 पाइंट, जिन्हें कॉलम में भरना होगा
- ट्रांसफर के लिए कर्मचारी ने खुद अप्लाई किया है। किसी अन्य के जरिए ट्रांसफर का लेटर भेजा है।
- किसी नेता के पैड या नेता द्वारा ट्रांसफर किए जाने को लेकर लेटर भेजा गया।
- भारतीय जनता पार्टी संगठन की तरफ से ट्रांसफर को लेकर कोई लेटर भेजा गया है।
- मंत्री खुद या अन्य किसी के माध्यम से उस कर्मचारी का ट्रांसफर करना चाहते हैं।
- कर्मचारी का समय अवधि पूरा होने पर ट्रांसफर पॉलिसी नीति के तहत तबादला किया जा रहा है।
अब नेता कह रहे सीएम ऑफिस से सहमति लीजिए
शुक्रवार को सचिवालय के कैबिनेट मंत्री के कार्यालय में पहुंचे एक वरिष्ठ नेता ने एक इंजीनियर स्तर के अफसर के ट्रांसफर को लेकर आवेदन दिया। मंत्री ने आवेदन लिया। वरिष्ठ नेता से कहा, “मैं अपनी तरफ से ट्रांसफर की सहमति का लेटर भेज दूंगा। आप एक बार सीएम ऑफिस से इस बारे में सहमति ले लीजिएगा।” वरिष्ठ भाजपा नेता ने पूछा,” बिना मुख्यमंत्री के सहमति के ये ट्रांसफर होगा नहीं क्या? इस पर मंत्री ने कहा,” हर ट्रांसफर मुख्यमंत्री की सहमति के बाद ही हो सकेगा। वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “मैं समझ गया।”
दलाली और भ्रष्टाचार रोकने के लिए बनाए ये नियम
मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े एक अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते है कि पिछली बार की सरकार में कई ट्रांसफर पोस्टिंग की शिकायतें मुख्यमंत्री को मिली थीं। मुख्यमंत्री तक ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर दलाली और धांधली की भी शिकायतें पहुंची थी। इसलिए दूसरी बार सरकार बनने के बाद पहली बार ट्रांसफर नीति पर ऐसे कदम मुख्यमंत्री ने उठाए हैं।