RTE की 6 लाख सीटों पर 1.25 मिले पात्र …? पात्र बच्चों को भी स्कूल में एडमिशन नहीं दिला पा रहे अधिकारी, निजी स्कूल कर देते हैं वापस
आरटीई एक्ट के तहत हर साल प्राइवेट स्कूलों में फ्री प्रवेश पाने के लिए आवेदन होते हैं। लेकिन शिक्षा विभाग को पात्र विद्यार्थी ही नहीं मिल पाते हैं। यही कारण है कि आरटीई कोटे की 70 फीसदी सीटें हर साल खाली ही रह जाती हैं।
पूरे प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 6 लाख से ज्यादा सीटें हैं। यह सीटें सिर्फ उन बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। लेकिन अधिकारी इन सीटों के लिए पात्र परिवार और विद्यार्थी नहीं खोज पाते हैं। इस साल भी इन सीटों पर सिर्फ 1.25 लाख का ही चयन हुआ है।
चयनित होने के बाद भी नहीं हो रहे एडमिशन
बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षा के अधिकार के तहत इस साल तीन बार आवेदन मांगे थे। जिसके बाद तीन बार सूची जारी हुई थी, जिसमें पूरे प्रदेश में कुल 1.25 लाख विद्यार्थियों का चयन हुआ है। लेकिन चयनित होने वालों में 50 फीसदी विद्यार्थियों को ही स्कूल में एडमिशन मिला है।
ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार के पोर्टल पर आवेदन करने के बाद विद्यार्थियों का ऑनलाइन लॉटरी में तो चयन हो जाता है। जिसके बाद उन्हें बीएसए कार्यालय से एलॉटमेंट लेटर मिल जाता है। लेकिन पब्लिक और प्राइवेट स्कूल संचालक विद्यार्थियों को एडमिशन नहीं देते हैं। उन्हें टरकाते रहते हैं और अंत में परिवार बिना एडमिशन के ही वापस लौट जाता है।
1 लाख से कम आय, तो मिलती है फ्री शिक्षा
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर परिवार जिनकी वार्षिक आय 1 लाख रुपए से कम है, उनके बच्चों को निजी स्कूलों में फ्री प्रवेश दिलाया जाता है।
उन्हें अपने सभी दस्तावेजों के साथ विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है। जिसमें उन्हें अपने तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले प्राइवेट स्कूलों का चयन करना पड़ता है। जिसके बाद लॉटरी से स्कूल एलॉट होते हैं और फिर बच्चे को कक्षा 1 से 12वीं तक उस स्कूल में फ्री शिक्षा मिलती है।
पात्रों का चयन करने में टॉप 10 जिले
जिला – चयनित बच्चे – एडमिशन हुआ
लखनऊ – 14246 – 6124
आगरा – 5355 – 5187
वाराणसी – 7321 – 4908
गौतमबुद्धनगर – 5049 – 4156
मिर्जापुर – 3147 – 2756
अलीगढ़ – 4091 – 2659
फिरोजाबाद – 2603 – 2603
मुरादाबाद – 4096 – 1854
सहारनपुर – 1636 – 1636
गाजियाबाद – 4415 – 1630
(आंकड़े दो लिस्टों पर आधारित)
पात्रों का चयन करने में सबसे फिसड्डी जिले
जिला – चयनित बच्चे – एडमिशन
हमीरपुर – 07 – 07
चित्रकूट – 20 – 20
महोवा – 23 – 19
कन्नौज – 27 – 25
बस्ती – 33 – 33
कानपुर देहात – 46 – 32
बलरामपुर – 57 – 57
औरैया – 87 – 87
अंबेडकरनगर – 97 – 97
बड़े स्कूलों के लालच में नहीं मिलता एडमिशन
आरटीई के नियमों के तहत पात्र विद्यार्थी को अपने निवास के तीन किलोमीटर के दायरे में स्थित स्कूल में प्रवेश के लिए आवेदन करना होता है। लेकिन माता पिता शहर के गिने चुने स्कूलों में ही प्रवेश के लिए लालायित रहते हैं।
अभिभावक अपने नजदीक के स्कूल के बजाय चर्चित स्कूलों का ही नाम आवेदन फार्म में भरते हैं। ऐसे में इन स्कूलों में हद से ज्यादा आवेदन आ जाते हैं और कुछ ही बच्चों का चयन हो पाता है। जबकि अन्य बच्चे प्रवेश पाने से वंचित रह जाते हैं।
ज्यादा से ज्यादा को लाभ दिलाना हमारा लक्ष्य
बीएसए सत्येंद्र कुमार ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों को आरटीई का लाभ दिलाना ही विभाग का लक्ष्य है। इसके लिए लोगों को लगातार जागरुक किया जाता है कि पात्र लोग जरूर आवेदन करें। लेकिन जागरुकता और जानकारी के आभाव में लोगों आवेदन नहीं कर पाते हैं और सीटें खाली रह जाती हैं।