शीला दीक्षित, जिन्होंने ‘दिल्ली बनाई नई’: विरोधी भी मुरीद, किसी ने मां जैसा बताया तो किसी ने आदर्श
नई दिल्ली: प्रभावशाली, विनम्र और हमेशा मुस्कुराते रहने वाली शीला दीक्षित का व्यक्तित्व अन्य राजनेताओं की तुलना में कुछ हटकर था. मिरांडा हाउस की एक जिंदादिल लड़की, जिसे कार की सवारी का बड़ा चाव था. मगर जब उन्होंने एक राजनीतिक परिवार में शादी की तो उनकी किस्मत हमेशा के लिए बदल गई. उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेता रहे उमा शंकर दीक्षित की बहू शीला दीक्षित राजीव गांधी के साथ मिलकर काम करने के बाद गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान बन गईं.
उनका जन्म पंजाब में हुआ और दिल्ली में अपनी शख्सियत बुलंद की. इसके बाद उत्तर प्रदेश में अपना राजनीतिक कौशल मजबूत करने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी को अपनी कर्मभूमि बनाया. दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी स्तर पर कराए गए कामों का ही नतीजा रहा कि उनके राजनीतिक विरोधी भी इस बात से असहमत नहीं हो सकते कि वह दिल्ली के परिवर्तन के पीछे की एक बड़ी ताकत थी.
इसीलिए उनके निधन पर उनके विरोधी रहे अरविंद केजरीवाल ने कहा, उनके कामों को दिल्ली कभी भुला नहीं पाएगी. केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बोले- उनका जैसा आदर्श व्यक्तित्व राजनीति में मुश्किल से मिलता है. लोकसभा चुनावों में उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाले मनोज तिवारी ने तो उन्हें मां समान बताया. मनोज तिवारी ने कहा, अभी पिछले दिनों जब उनसे मिला तो उन्होंने उसी तरह स्वागत किया, जैसे मां एक बेटे का