हाईटेक हुई निगरानीप्रदेश में चप्पे-चप्पे पर नजर

हाईटेक हुई निगरानी
प्रदेश में चप्पे-चप्पे पर नजर….
प्रदेश में निगरानी व्यवस्था बहुत हाईटेक हो गई है। सरकार की नजर चप्पे-चप्पे पर रहती है। यह सब हुआ है राज्य मंत्रालय में तैयार हाईटेक स्टेट सिचुएशन सेंटर से। आपदा के समय यहां से लाइव निगरानी के साथ क्विक रिस्पांस किया जाता है। इस सेंटर से 52 हाईटेक कमांड सेंटर, 12 हजार सीसीटीवी कैमरे, सभी डायल-100 गाडिय़ां, एम्बुलेंस-108 और लाखों मैन पावर का पूरा डाटा लाइव कनेक्ट रहता है।

भोपाल. सैटेलाइट से गूगल मॉनीटरिंग के जरिए भोपाल से बैठे-बैठे प्रदेश में कहीं पर भी लाइव नजर रखी जा सकती है। इसके अलावा ड्रोन भी तैयार रहते हैं, जो क्विक रिस्पांस के तहत तुरंत उड़ान भरकर मौके पर पहुंच जाते हैं। यही कारण रहा कि बीते बुधवार को छतरपुर के दीपेंद्र को 30 फीट गहरे बोरवेल से महज 7 घंटे में सकुशल निकाल लिया गया। भोपाल से पल-पल की निगरानी ने ही पूरे सिस्टम को मुस्तैद रखा। पढ़िए, इस हाईटेक आपदा रिस्पांस सिस्टम पर विशेष रिपोर्ट…

लाइव मॉनीटरिंग, क्विक रिस्पांस से बेहतर रिजल्ट

स्टेट सिचुएशन सेंटर को 52 जिलों के कमांड सेंटर से जोड़ा है। यहां हाईटेक संसाधन हैं। इससे प्रदेश में कहीं की भी लाइव मॉनीटरिंग हो जाती है। इससे मैदानी अमले को तुरंत एक्टिव कर देते हैं। क्विक रिस्पांस और क्विक अलर्टनेस से बेहतर रिजल्ट मिल रहे हैं। छतरपुर में बच्चे के बोरवेल में गिरने की घटना के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन भी यहां से मॉनीटर किया गया था।

डॉ. राजेश राजौरा, एसीएस, गृह विभाग, मप्र

अत्याधुनिक संसाधनों से लैस स्टेट सिचुएशन सेंटर

52 कमांड सेंटर, 12 हजार कैमरे, डायल 100 व एम्बुलेंस-108 सहित लाखों मैन पावर का डाटा लाइव मौजूद

कितना हाईटेक, ऐसे समझिए

स्टेट सिचुएशन सेंटर की तरह सभी 52 जिला मुख्यालयों में छोटे सेंटर बनाए गए हैं। ये सभी एक साथ कनेक्ट रहते हैं। इसके अलावा स्मार्ट सिटी, ट्रैफिक व अन्य जगहों पर लगे 12 हजार से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे इनसे लाइव जुड़े रहते हैं। सभी 12 बड़े बांधों पर लगे स्पेशल कैमरों के फुटेज भी मिलते रहते हैं। इससे बाढ़ के समय जलस्तर को देखा जा सकता है। इसके अलावा केंद्रीय भूजल, गूगल, केंद्रीय आपदा सेंटर, मौसम विभाग सहित अन्य प्रमुख सेंटर कनेक्ट हैं। प्रदेशभर में 5000 से ज्यादा होमगार्ड को मोबाइल फोन देकर इससे जोड़ा गया है। हर जिले के ड्रोन भी इससे कनेक्ट हैं। किसी भी जगह के फुटेज को एक्सेस करने के लिए किसी परमिशन की जरूरत नहीं होती।

सैटेलाइट कनेक्टिविटी से मिलते लाइव फुटेज

लाइव फूटेज के लिए स्पेशल सॉफ्टवेयर के जरिए कमांड तैयार की गई है। इसके तहत गूगल अर्थ के मैप को डायल-100 व एम्बुलेंस-108 के मैप से मिक्स किया गया है। वहीं शहरों की मैपिंग करके उसे भी गूगल अर्थ मैप से सॉफ्टवेयर के जरिए मिक्स किया गया है। इससे किसी भी जगह घटना होने पर तुरंत सैटेलाइट कनेक्टिविटी के साथ उस जगह का लाइव फुटेज मंत्रालय में बिग स्क्रीन पर दिखने लगता है।

 

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