इंदौर : स्मार्ट सिटी के नक्शा शुल्क में दबे इंदौरी …?

स्मार्ट सिटी के नक्शा शुल्क में दबे इंदौरी:1 हजार फीट निर्माण के नक्शे पर चुकाने होते हैं 10 लाख रुपए, भोपाल से कई गुना ज्यादा…?

नगर निगम चुनाव के लिए प्रचार का शोर सोमवार शाम 5 बजे थम गया। आखिरी दिन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने महापौर प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव के पक्ष में इंदौर जिले की 8 विधानसभाओं में रोड शो किया। इस दाैरान वे शीतला माता बाजार भी पहुंचे। यहां उन्होंने व्यापारियों से कई वादे किए। ऐसे में दैनिक भास्कर की टीम शीतला माता बाजार पहुंची और व्यापारियों से बात की तो उनका दर्द झलक आया। स्मार्ट सिटी में आने के बाद इनकी पीड़ा तो और बढ़ गई है।

शीतलामाता बाजार में जयरामपुर से गोराकुंड तक की सड़क को 60 फीट चौड़ा करने का काम 3 साल पहले शुरू हुआ था। मुख्य मार्ग में कभी 135 दुकानें हुआ करती थीं। सड़क चौड़ीकरण में 100 से अधिक दुकानें इसकी भेट चढ़ गईं। 600 दुकानों वाले इस बाजार में कई छोटे बड़े व्यापारी हैं। इनमें से कई चौड़ीकरण के जद में आ चुके हैं। अब यह इलाका स्मार्ट सिटी एरिया में आ गया है। ऐसे में यदि वे टूटी दुकानों को फिर से बनाना चाहें तो उन्हें प्रॉपर्टी की वैल्यू के आधार पर उन इलाकों में नक्शा शुल्क करीब एक हजार रुपए वर्गफीट (हजार वर्ग फीट के 10 लाख रुपए) चुकाना होगा।

व्यापारियों की पीड़ा है कि चुनाव के दौरान उनके पास हर पार्टी के नेता आए। किसी ने मेट्रो चलाने का सपना दिखाया तो किसी ने स्मार्ट सिटी के टैक्स को कम करने का कहा। हालांकि कितना टैक्स कम करेंगे और उन्हें कैसे राहत देंगे, इस सवाल का किसी के पास कोई जवाब नहीं था। ऐसे में यदि टूटी दुकानों का नक्शा शुल्क ही लाखों रुपए दे देंगे तो उसे बनाएंगे कैसे।

जब समस्या वैसी ही तो फिर स्मार्ट सिटी टैक्स क्यों
व्यापारी हरीश सवलानी का कहना है कि स्मार्ट सिटी के तहत बाजार के मुख्य मार्ग का चौड़ीकरण तो कर दिया गया, लेकिन अभी भी समस्या जस की तस बनी हुई है। स्मार्ट सिटी में हमने अपनी दुकानें आधे से अधिक खोद दीं, लेकिन समस्या तो वैसी की वैसी ही है। रोजाना सड़कों पर दुकानों के सामने ऑटो, ठेले सभी लगे रहते हैं। यहां की सड़क किसी भी प्रकार से स्मार्ट सीटी जैसी नहीं दिखती है। जब समस्या जस की तस बनी हुई है तो फिर हमसे स्मार्ट सिटी वाला टैक्स क्यों लिया जा रहा है।

आजादी के बाद से सभी चुनाव के ऐसे ही हाल हैं
व्यापारियों ने नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आजादी के बाद से होने वाले सभी चुनावों में यही होता है। चुनाव के समय सभी उम्मीदवार आते हैं, लेकिन चुनाव के बाद सभी नदारद हो जाते हैं। चुनाव जीतने के बाद तो कोई मिलता तक नहीं है। यदि नेता जी अंदर भी हैं, तो मना करवा देते हैं।

भोपाल से कई गुना ज्यादा शुल्क इंदौर में
इंदौर की तुलना में भोपाल में स्मार्ट सिटी एरिया में नक्शा शुल्क कई गुना कम है। यहां 26 रुपए वर्ग फीट के हिसाब से नक्शा शुल्क लिया जा रहा है, जबकि इंदौर में यही शुल्क हजार रुपए वर्ग फीट है। ऐसे में स्मार्ट सिटी में जिनके मकान-दुकान टूटे हैं, अब वे उसका भारी-भरकम शुल्क के कारण निर्माण ही नहीं करवा पा रहे हैं। देश में कई शहरों में स्मार्ट सिटी पर काम हो रहा है। यदि बात करें जयपुर और सूरत की तो वहां तो किसी प्रकार से अतिरिक्त शुक्ल लिया ही नहीं जा रहा है।

   

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