ग्वालियर : गजब डाक्टर एक और दो शहरों में ड्यूटी…?
डाक्टर एक से अधिक अस्पतालों में अपने दस्तावेज लगा रहे हैं। यही नहीं वह दूसरे शहरों में भी अपने दस्तावेज लगाकर अस्पताल खोल रहे है …
ग्वालियर. स्स्थ्य विभाग में गड़बड़ी थमने का नाम नहीं ले रही है। स्वास्थ्य विभाग रात दिन नए नए अस्पतालों को परमिशन देने में लगा है और डाक्टर एक से अधिक अस्पतालों में अपने दस्तावेज लगा रहे हैं। यही नहीं वह दूसरे शहरों में भी अपने दस्तावेज लगाकर अस्पताल खोल रहे है। शहर में जितने अस्पताल खुल चुके हैं उतने तो यहां पर डाक्टर तक नहीं है। इस फर्जीवाड़े में सरकारी डाक्टर भी पीछे नहीं है। शासकीय डाक्टरों के नाम शहर के आधा सैकड़ा अस्पतालों में दर्ज हैं। इनमें आरोग्यम द मेडिसिटी, फैमिली केयर, साईं श्रद्धा हास्पिटल, शिव शक्ति मल्टी स्पेशियलिटी, आइडिया, ऋषिश्वर सहित कई निजी अस्पतालों में लगे हुए हैं। सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल के यूरोलोजी विभाग के डा संजय पाराशर का पंजीयन नंबर 5800 है जो ऋषिश्वर अस्पताल में रजिस्टर्ड मेडिकल प्रक्टिशनर के तौर पर दर्ज है। डा सुनील सोलंकी का नाम जेके अस्प्ताल के बोर्ड पर दर्ज है जहां पर वह सेवाएं देने पहुंचते हैं। इसी तरह से भिंड में मेडिकल आफिसर सिद्दार्थ चौहान का नाम चार अस्पतालों में दर्ज है जबकि वह सीएमएचओ से शिकायत तक कर चुके हैं। डा. राजवीर सिंह, डा. नीलम, डा. विवेक पांडे ग्वालियर के आधा दर्जन से अधिक निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं। कुछ अस्पतालों में इनके नाम पंजीकृत मेडिकल प्रक्टिशनर के तौर पर तो कुछ में विजिटिंग डाक्टर के रूप में नाम दर्ज हैं। इसके साथ-साथ यह तीनों डाक्टर मुरैना के निजी जनकल्याण मल्टी हास्पिटल में भी पंजीकृत मेडिकल प्रक्टिशनर के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। सवास्थ्य विभाग द्वारा पंजीकृत करने वाले निजी अस्पतालों की सूची आनलाइन पोर्टल पर अपलोड करता है। जिसमें अस्पताल का नाम,पता,डाक्टर,उसकी डिग्री,पंजीयन नंबर, जन्मतिथि आदि के बारे में पूरी जानकारी अपलोड की जाती है। जिससे भोपाल में बैठे अफसर आनलाइन चैक कर लेते हैं। इस पोर्टल काे तैयार कराने का उद्देश्य है कि नया पंजीयन करने से पहले प्रस्तुत होने वाले डाक्टर के दस्तावेजों का सत्यापन किया जा सके, पर ऐसा नहीं होता। जबकि सिस्टम को सुधारने के लिए निजी अस्पताल में सेवाएं देने वाले डाक्टर से शपथ पत्र लेना चाहिए तथा उसके आधार नंबर को भी पोर्टल पर अपलोड किया जाए। जिससे उसे कहीं पर भी ट्रेक किया जा सके।