मोटापा, शुगर, डिप्रेशन, सबकी वजह एक … मैदा …? 53 फीसदी बच्चे ओवरवेट …
53 फीसदी बच्चे ओवरवेट, उनकी ईटिंग हैबिट्स सुधरें इसके लिए पहले पेरेंट्स अपनी आदते बदलें
- पेरेंट़्स खुद सोफे पर लेट कर खाना खाएंगे तो बच्चा कैसे सुधरेगा
फैंसी और शॉर्टकट फूड बन गया पसंद
पेरेंट्स और उनके कारण बच्चों का इंट्रेस्ट भी आजकल फैंसी और शॉर्टकट फूड्स की तरफ बढ़ रहा है जो गलत है और इस कारण अभी से वीक स्टेमिना, वीक इम्यूनिटी, हाइट न बढ़ने और डीफोकस्ड रहने जैसी परेशानियां होने लगी हैं। हाई कैलोरी फूड्स से इन्फ्लेमेशन बढ़ रहा है। डायबिटीज, मोटापा, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, कंसंट्रेशन की कमी जैसी परेशानियों कारण है “मैदा’। ये हमारे गट बैक्टीरिया के मिजाज को बदल देता है और ये समस्याएं होती हैं। मैदा खाना-खिलाना बिलकुल बंद कर दें।
53 फीसदी बच्चे ओवरवेट, अनफिट
हाल ही में जारी हुए आंकड़ों की बात करें तो भारत में 53 परसेंट बच्चों में ओबेसिटी है । हाई साल्ट, हाई शुगर और हाई फैट है बड़ी वजह। चिप्स, मैगी, बिस्किट, कोल्ड्रिंक, जंक फूड जैसी चीजें पसंद हैं बच्चों को। अब मदर्सै पर जिम्मेदारी है कि वे हेल्छी चीजो को टेस्टी और क्रिएटिव बनान सीखें ताकि बच्चे उन्हें शौक से खाएंगे।
आप कहेंगे तब नहीं, आप करेंगे तो बच्चा सीखेगा
“एक्सरसाइज योर अथॉरिटी एस ए पेरेंट। पेरेंट्स बच्चों को सही खान पान और न्यूट्रीशन डाइट दें। उनके सामने सरेंडर न हों। उनकी जिद के आगे झुकें नहीं क्योंकि बच्चे अभी नादान हैं लेकिन आपको समझना होगा। साथ ही यह भी समझना होगा कि बच्चे वह नहीं करते जो आप कहते हैं। बल्कि वो आपको कॉपी करते हैं। यदि आपकी ईटिंग हैबिट्स अच्छी नहीं हैं, आप सोफे पर लेटे-लेटे खाते हैं तो फिर बच्चे से ऐसा न करने की उम्मीद मत कीजिए। खाना धीरे-धीरे और चबाकर खाइए और बच्चों को ज्ञान देने के बजाय लॉजिक दीजिए। उन्हें बताएं कि पेट से मस्तिष्क तक पेट भरने का मैसेज जाने में लगभग 20 मिनट लगते हैं। इसलिए खाना धीरे-धीरे खाना चाहिए।
रंग-बिरंगी हो थाली और रोज एक फल भी खाए बच्चा
बच्चे के खाने की प्लेट में अलग-अलग रंगों की चीजें होनी चाहिए जैसे कि हरी सब्जियां, दाल, चावल और रोटी। आप उसे रोज एक फ्रूट खाने की आदत भी डालें। अगर बच्चा हेल्दी चीजों को खाने में आनाकानी करता है, तो आप उसे किसी क्रिएटिव तरीके से इन चीजों को खाने के फायदों के बारे में बताएं।
ये बातें भी ज़रूरी
– बच्चों को सुबह खाली पेट स्कूल न भेजें। ड्रायफ्रूट्स, फ्रूट्स, मिल्क या मिल्क शेक खिला-पिलाकर भेजें।
– लंच में प्रॉपर मील दें। दाल, चावल, सब्जी, रोटी, सलाद। कई स्कूल्स में भी लंच देते हैं जहां इन बातों का ध्यान रखा जाता है।
– शाम को जब बच्चा लौटता है तो उसे हेल्दी स्नैक्स दीजिए जैसे फ्रूट्स, भेल, सैंडविच, खमण, इडली सांभर।
– डिनर में थोड़ा थोड़ा सब हो और दाल के नए नए व्यंजन बनाए जा सकते हैं ताकि प्रोटीन मिले।
– सोने से एक घंटे पहले टीवी मोबाइल से उन्हें दूर कर दें और 100 एमएल गर्म दूध पीकर सोने की आदत डालें।
– कोई भी एक स्पोर्ट्स बच्चों के जीवन का हिस्सा हो। इससे बच्चे फिजिकली फिट रहेंगे और पॉजीटिव फीलिंग वाले हॉर्मोन सिक्रीट होेंगे। अच्छी हाइट, अच्छी इम्यूनिटी, टाइम पर सोना, कंसंट्रेशन बढ़ना … यह सब असर होंगे।