ग्वालियर में बिना फिटनेस के दौड़ने लगी स्कूल बसें…?
कोविड-19 के संक्रमण के चलते पिछले दो साल से स्कूल बसें खड़ी हुई थी। दो साल बाद शहर के स्कूल खुले हैे….
– कमी पाई गई तो जुर्माने के साथ बस भी जब्त हो सकती है
ग्वालियर. कोविड-19 के संक्रमण के चलते पिछले दो साल से स्कूल बसें खड़ी हुई थी। दो साल बाद शहर के स्कूल खुले हैे। इन स्कूलों में बच्चों को लाने व ले जाने वाली बसों भी सड़कों पर दौड़ने लगी है, लेकिन हर बस की फिटनेस नहीं है। इसके चलते बच्चों का सफर सुरक्षित नहीं है। परिवहन आयुक्त मुकेश जैन ने 18 जुलाई से सभी आरटीओ को बसों की जांच के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं करने वाली बसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बसें जब्त भी की जा सकती है। बस संचालकों के पास अपना फिटनेस सर्टिफिकेट लेने के लिए नौ दिन का समय है।
मार्च 2020 में कोविड न19 के चलते स्कूल बंद हो गए थे। पिछले दो साल से आन लाइन कक्षाएं चल रही थी। बीच-बीच में स्कूलों का संचालन भी हुआ, लेकिन विद्यार्थी स्कूल नहीं पहुंचे। इस कारण स्कूल बस संचालकों ने उन्हें शुरू किया। दो सा से रखी-रखी बसें कंडम हो गई। इनके टायर, सीसे सहित अन्य सहित अन्य उपकरण खराब हो गए थे। पिछले साल भी स्कूल खुले थे। आरटीओ ने फिटनेस को लेकर सख्ती भी की। स्कूलों को नोटिस दिए, लेकिन फिटनेस नहीं कराई। फिर से लाक डाउन लग गया और स्कूल बंद हो गए। अब स्कूल खुल चुके हैं। हर स्कूल की बस शुरू हो गई है। अधिकतर बसें सड़कों पर दौड़ने लगी है, लेकिन इनकी फिटनेस नहीं हुई हैं। शहर में 600 स्कूल बसें रजिस्टर्ड हैं, जिसमें 300 बसों की फिटनेस हुई है।
यह देखा जाता है फिटनेस के दौरान
– फिटनेस के दौरान बसों के ब्रेक, टायर, बाडी की पड़ताल की जाती है।
– गाड़ी की हेडलाइनड सही या नहीं।
-खिडकी कांच व सही हैं या नहीं।
– बस फिटनसे के लिए कार्यालय पहुंची या नहीं।