सरकारी टीचर ने सैलरी से बनाया स्मार्ट स्कूल:​​​​​​ …?

धार में छात्राओं को लाने-ले जाने के लिए ट्रैक्टर को बना दिया स्कूल वैन; 7 लाख खर्च किए…

धार जिले के मनावर के गांव गुलाटी में सरकारी स्कूल में बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल जैसी सुविधाएं हैं। पढ़ाई से लेकर पीने के पानी तक सभी सुविधा यहां हैं। यह सब कर दिखाया है स्कूल के हेड मास्टर शंकरलाल काग ने। उन्होंने अपनी सैलरी से 7 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च कर सरकारी स्कूल को स्मार्ट बना दिया। इतना ही नहीं वे खुद बच्चों को लेने और छोड़ने भी जाते हैं। हेड मास्टर ने बताया, जब निजी विद्यालयों की सुविधाओं को देखा, तो मन में विचार आया कि क्यों न अपने गांव की बच्चियों को भी वो सुविधाएं उपलब्ध कराएं।

गांव के कन्या प्राथमिक शाला के हेड मास्टर ने बताया कि हमारे स्कूल से कुछ साल पहले क्षेत्र में बच्चा चोरी होने की अफवाह चली थी। इसके बाद ग्रामीणों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया। फिर मैंने खुद जाकर बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने का बीड़ा उठाया। मैंने इसके लिए एक ट्रैक्टर खरीदा और उससे विशेष वाहन बनाया। अब मैं रोज सुबह बच्चों को लेने और छोड़ने जाता हूं। ग्रामीण भी नीडर होकर अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं।

बच्चों के लिए लगाई एलईडी टीवी।
बच्चों के लिए लगाई एलईडी टीवी।

9 साल में खर्च किए सात लाख रुपए

2014 से अभी तक प्रधान अध्यापक शंकरलाल काग ने सात लाख रुपए से अधिक की राशि ग्राम गुलाटी के शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय के विकास पर खर्च की है। इस स्कूल में काग ने एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर, म्यूजिक सिस्टम, आरओ वाटर सहित अन्य कई सुविधाएं उपलब्ध कराई है।

इतना ही नहीं स्कूल से 3 किमी स्थित गांवों में प्रधान अध्यापक खुद बच्चों को लेने जाते हैं। इसके लिए उन्होंने एक वाहन भी बनाया है, जिससे वे बच्चों को लेने और छोड़ने जाते हैं। प्रधान अध्यापक काग टेमरीयापुरा से 24 बच्चियों को इसी वाहन से स्कूल लाना- ले जाना करते हैं। वाहन में प्रतिमाह डीजल का 3 हजार रुपए खर्च आता है, वो भी वह खुद ही उठाते हैं। स्कूल में करीब 102 छात्राएं पढ़ती हैं।

एक लाख 30 हजार में खरीदा ट्रैक्टर

प्रिंसिपल शंकरलाल काग ने एक लाख 30 हजार रुपए में पुराना ट्रैक्टर खरीदकर इसमें 35 हजार रुपए से ट्राॅली-हुड लगवाए। वे शासन से सहयोग की बजाय खुद ही खर्च वहन कर रोजाना बच्चों को लेने जाते हैं। उनका मानना है कि शासन ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के लिए इतनी धनराशि खर्च कर रही है, तो वे भी बच्चों को पढ़ाने में कुछ तो सहयोग कर सकते हैं।

सरकारी स्कूल में बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल जैसी फेसिलिटी है।
सरकारी स्कूल में बच्चों के लिए प्राइवेट स्कूल जैसी फेसिलिटी है।

सरकारी स्कूल को बनाया स्मार्ट स्कूल

मनावर से 4 किमी दूर ग्राम गुलाटी के कन्या प्राइमरी स्कूल को देखकर ऐसा लगता है किसी प्राइवेट स्कूल का भवन हो। यहां कक्षा 1 से 5 वीं तक बच्चियां अध्ययन करते हैं। शिक्षक ने अपने खर्च से शाला में कई विकास कार्य किए। स्कूल की दीवारों और जमीन पर विट्रिफाइड टाइल्स और वुडन कार्पेट लगाया है।

बच्चों को हैंड वाश के लिए सर्व सुविधा युक्त बेसिन, शौचालय और शुद्ध भोजन बनाने के लिए पत्थर का किचन शेड का पक्के कमरे निर्माण करवाया है। साथ ही, बच्चों के पालकों के लिए सोफा व पढ़ाई के लिए 43 इंच एलईडी भी लगाई है। भवन की पुट्टी और पुताई किए हुए कमरे, चमचमाते फर्श, साफ-सुथरा बोर्ड, पीने के लिए आरओ का पानी और बच्चों को लाने ले जाने के लिए वाहन की सुविधा मिल रही है।

बाहर से निजी स्कूल जैसा दिखता है सरकारी स्कूल।
बाहर से निजी स्कूल जैसा दिखता है सरकारी स्कूल।

काग धार में हो चुके हैं सम्मानित

काग ने बताया कि बच्चियों को अच्छा पढ़ाएंगे, तो निश्चित ही वे गांव का नाम रोशन करेंगी। उन्होंने शासन से वर्षों से स्कूल की बाउंड्रीवॉल की मांग की जा रही है, ताकि बच्चों को खेल सामग्री भी उपलब्ध करा सकें। प्रधान अध्यापक के स्कूल के प्रति उत्कृष्ट कार्य के लिए धार जिले में सम्मान मिल चुका है। शंकरलाल काग के साथ स्कूल में अध्यापिका अनीता काग, सरिता सिगाडे और शिक्षक राजेश काग पढ़ाते हैं।

प्रिंसिपल ने अपने खर्च से लगाई टाइल्स।
प्रिंसिपल ने अपने खर्च से लगाई टाइल्स।

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