मप्र में पंचायतों : ईवीएम पर पंचायत, बैलेट पर सब बराबर …?

19 जिलों में 138 भाजपा और 136 कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य जीते
जीतने वाले 33 ऐसे जो न भाजपा और न कांग्रेस के, इन्हीं की जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अहम भूमिका रहेगी। - Dainik Bhaskar
जीतने वाले 33 ऐसे जो न भाजपा और न कांग्रेस के, इन्हीं की जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अहम भूमिका रहेगी।

मप्र में पंचायतों के चुनावों में बैलेट (मतपत्र) ने भाजपा और कांग्रेस को बराबरी पर खड़ा कर दिया है। 19 जिलों के आंकड़ों में 138 जिला पंचायत सदस्य भाजपा समर्थित चुने गए, जबकि 136 कांग्रेस समर्थित। जीतने वालों में 33 ऐसे प्रत्याशी हैं जो न भाजपा और न कांग्रेस के समर्थित हैं।

अब कसौटी पर ईवीएम है। इससे हो रहे निकाय चुनावोें के परिणाम बताएंगे कि क्या बैलेट वर्सेज ईवीएम का मुद्दा फिर कांग्रेस उठाएगी या सियासी हवा ही बदल रही है। कांग्रेस ग्राम सरकार से मिल रहे नतीजों से उत्साहित है। हालांकि भाजपा भी पीछे नहीं है। यह जानकारी भाजपा और कांग्रेस के दावों के अनुसार 19 जिलों की है, जहां मतगणना का काम हो चुका है, अभी कई जिलों में मतगणना चल रही है।

आंकड़े बता रहे हैं कि बिना सिंबाल के हो रहे चुनावों में राजनीतिक वंशवाद को शिकस्त मिलना शुरू हो गई है। इस बार 115 विधायकों के रिश्तेदार व करीबियों ने पंचायत चुनाव में किस्मत आजमाई, जिसमें से 71 के रिश्तेदार और करीबी जीत गए और 44 को शिकस्त मिली।

3विधानसभा अध्यक्ष डॉ. गिरीश गौतम के बेटे के साथ मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का भतीजा चुनाव हार गया। मंत्री राजपूत के भाई हीरा सिंह राजपूत जिला पंचायत सदस्य में इकलौते उम्मीदवार रहे जो निर्विरोध जीते। तीन अन्य मंत्रियों के रिश्तेदार भी पंचायतों में जगह बनाने में कामयाब रहे।

भाजपा और कांग्रेस के दावों की मानें तो सभी जिलों में 875 जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव हुए। इसमें भाजपा के पक्ष में 474 तो कांग्रेस के खेमे से 400 के साथ एक की निर्विरोध जीत हुई है। जनपद पंचायत सदस्य के 6771 पदों के लिए हुए चुनावों में कांग्रेस समर्थित 3300 से ज्यादा पदों पर और भाजपा के 3471 आगे हैं। हालांकि अधिकृत चुनाव परिणाम 14-15 जुलाई को आएंगे।

कांग्रेस का दावा है कि यह बदलाव की शुरुआत है और जो कांग्रेस के पक्ष में रुझान है, वह बैलेट पेपर से चुनाव होने की वजह से। कांग्रेस शुरु से बैलेट पेपर से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाने की मांग करती रही है।

वहीं, भाजपा का कहना है कि पंचायतों के चुनाव चुनाव चिन्ह पर नहीं होते हैं, भाजपा समर्थितों की बड़ी संख्या में जीत हुई है। भाजपा के साथ जनमत है, इसलिए चुनाव ईवीएम से हो या बैलेट पेेपर से कोई फर्क नहीं पड़ता।

हिसाब बराबर… मुख्यमंत्री के क्षेत्र बुधनी में दो कांग्रेसी जीते; कमलनाथ के यहां आधी सीटों पर भाजपाई आ गए

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर की बुधनी विधानसभा में पांच जिला पंचायत सदस्य की सीटों में से 2 पर कांग्रेस समर्थित जीत गए। पिछले चुनावों में कांग्रेस खाली हाथ थी। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा और कांग्रेस समर्थित जीतने वाले सदस्यों की संख्या बराबर रही।

मंत्रियों ने बढ़ाया वंशवाद
मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के भाई हीरा सिंह निर्विरोध जिला पंचायत का चुनाव जीते तो उनके भतीजे अरविंद सिंह को जिला पंचायत के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। वन मंत्री विजय शाह के बेटे ने 29 हजार वोटों से जीत दर्ज की।

स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी की भांजी सीमा चौधरी ने बेगमगंज की ग्राम पंचायत बेरखेड़ी से जीत दर्ज की। पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल की बहू तारा विजय सिंह जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीती।

विधायकों के अपने हारे

विधायक रामेश्वर शर्मा के भतीजे विवेक शर्मा को कांग्रेस समर्थित अनिल यादव ने सरपंच पद का चुनाव हराया। शमशाबाद विधायक राजश्री की बेटी यशोधरा सिंह को कांग्रेस समर्थित चैतन्य विक्रम सिंह ने हराया। विधायक सुमित्रा कास्डेकर की बहू प्रतिमा धांडे देड़तलाई से सरपंच चुनाव हारी। राजपुर विधायक बाला बच्चन की भाभी द्वारकीबाई भाजपा समर्थक गायत्री मुजाल्दे से हार गई। पानसेमल से विधायक चंद्रभागा किराड़े के गृह ग्राम कुंजरी से भतीजा संजय उर्फ चिंटू चुनाव हार गया है।

कांग्रेस कन्फ्यूज है, उसे पिछले पंचायत चुनावों में हुई हार की आहट सता रही है। चुनाव ईवीएम से हो या बैलेट से जनता भाजपा के साथ है।
– भगवानदास सबनानी, प्रदेश महामंत्री, भाजपा

कांग्रेस जीत रही है, यह बैलेट पेपर की वजह से रहा है। कांग्रेस पहले भी बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग करती आ रही है।

– सज्जन सिंह वर्मा, विधायक, कांग्रेस

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