हरिद्वार ..? :हाईवे पर 32 किलोमीटर लंबा जाम, अब तक 3 करोड़ शिवभक्तों ने गंगाजल उठाया
हरिद्वार में अब चारों तरफ सिर्फ कांवड़ और कांवड़िए नजर आ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में हरिद्वार से करीब 70 लाख कांवड़ियों ने गंगाजल लिया है। प्रशासन का दावा है कि अब तक 3 करोड़ शिव भक्त गंगाजल ले जा चुके हैं।
हरिद्वार में रविवार को सबसे ज्यादा डाक कांवड़िए पहुंचे। ज्यादातर डाक कावंड़िए DJ वाहनों के साथ हैं। DJ वाहनों और बाइक सवार कांवड़ियों की संख्या ज्यादा होने से हाईवे पर जाम लग गया है। हरिद्वार से लेकर रुड़की तक करीब 32 किलोमीटर तक एकतरफ वाहनों की लंबी लाइन लगी है।
हरिद्वार प्रशासन पैदल चलने वाले कांवड़ियों को रुड़की शहर के अंदर से भेज रहा है। जबकि डाक कांवड़ियों के वाहन रुड़की बाईपास से निकाल रहे हैं। रिपोर्टर्स गाजियाबाद से 200 किमी का सफर करके हरिद्वार पहुंच चुके हैं। आइए हमारे साथ इस यात्रा पर…
एक पैर से 575 KM का सफर कर रहे पवन
26 जुलाई को सावन माह की शिवरात्रि है। हरियाणा के सोनीपत में रहने वाले पवन एक पैर से दिव्यांग हैं। उन्होंने गोमुख से कांवड़ उठाई है। एक पैर से ही वह 575 किलोमीटर का सफर तय करने जा रहे हैं। पवन सोनीपत के अपने गांव कुर्ली के शिवालय में गंगा जल चढ़ाएंगे।
पवन ने बताया, ‘‘डॉक्टरों को मजबूरन मेरा पैर काटना पड़ा। मगर, मैंने हार नहीं मानी। एक साल बाद ही कृत्रिम पैर लगवाकर फिर से कांवड़ लेकर गया। एक पैर गंवाने के बावजूद हर बार की तरह गोमुख से ही कांवड़ उठाई। तब से लगातार एक पैर पर ही कांवड़ लेकर आया हूं।’’
पवन कहते हैं, ‘‘मेरी कोई निजी इच्छा नहीं है। भोले का भक्त हूं और महादेव मुझे बिना मांगे ही सब दे देते हैं। भयंकर एक्सीडेंट से जान बचाई। एक पैर के बल पर ही इच्छाशक्ति दी। मेरी मां कहती है कि जो अपने लिए चाहते हो, उसकी कामना सबके लिए करो। ऊपर वाला खुद सब कुछ दे देगा।’’
एक दिन में चलते हैं 25 किलोमीटर
पवन बताते हैं, ‘‘मैं गोमुख से कांवड़ लेकर काफी दिन पहले ही चल पड़ा था। रोज 25 किलोमीटर से ज्यादा चल रहा हूं। गोमुख से मेरा पैतृक गांव कुर्ली 575 किलोमीटर है। अगर मन में मजबूत इच्छाशक्ति हो और भोले के लिए अपार श्रद्धा हो, तो कोई भी काम मुश्किल नहीं होता।’’
कांवड़ियों के ग्रुप की धोती-कुर्ते में स्केटिंग
मुजफ्फरनगर में कांवड़ियों का एक ग्रुप धोती-कुर्ते में स्केटिंग करता दिखा। सभी भोले के गाने पर डांस कर रहे थे। यात्रा में दो सगे भाई अपनी मां-बड़े भाई को कंधे पर उठाकर जलाभिषेक करने के लिए निकले हैं।
अजय प्रजापति राजस्थान के नोहरा हनुमानगढ़ के मूल निवासी हैं। वो पतंजलि योग पीठ हरिद्वार से योगा साइंस में एमए हैं। अजय ने कहा, “हरिद्वार से कांवड़ उठाई है। पुरा महादेव में जलाभिषेक करने के लिए जा रहा हूं। मैं पतंजलि में नौकरी कर रहा हूं। मैं भारतीय हूं। इसलिए धोती में कांवड़ ला रहा हूं। धोती पहनकर इनलाइन स्केटिंग थोड़ी मुश्किल होती है। मगर यूथ को मैसेज भी देना है।”
उन्होंने बताया, “मुझे उत्तराखंड से बेस्ट आर्टिस्टिक स्केटिंग अवार्ड मिल चुका है। मैं 12 साल की उम्र से लाइन स्केटिंग कर रहा हूं। स्केटिंग शो से भी हिंदू संस्कृति बचाने का मैसेज देता हूं। स्केटिंग करते हुए 15 मिनट 35 सेकेंड में 140 आसन करके गोल्डन बुक आफ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके हूं।”
बुलडोजर की तर्ज पर बनी 15 फीट ऊंची कांवड़
मेरठ के कांवड़ियों का ग्रुप हरिद्वार से बुलडोजर जैसी कांवड़ लेकर आ रहा है। ये कांवड़ करीब 15 फीट ऊंची और 8 फीट चौड़ी है। मेरठ में इस कांवड़ को मुस्लिम कारीगरों ने तैयार किया था। इस कांवड़ पर बुलडोजर की 2 आकृति लगी हुई हैं, इसलिए लोग इसको बुलडोजर कांवड़ कह रहे हैं।
कांवड़ लेकर मुजफ्फरनगर पहुंचे गौरव, सोनू, रोहित ने बताया, “हम लोगों को UP के सीएम योगी आदित्यनाथ की बुलडोजर कार्रवाई बहुत पसंद है। ऐसा ही होना चाहिए। इसलिए खास तरह की कांवड़ तैयार करवाई है।”
डाक कांवड़ तय समय में करते हैं जलाभिषेक
डाक कांवड़ का नियम है कि एक बार कांवड़ उठने के बाद लगातार यात्रा करनी होती है। आप आराम नहीं कर सकते हैं। तय समय में जलाभिषेक करना होता है। इसलिए डाक कांवड़ में शिवभक्त गाड़ियों का इस्तेमाल करते हैं। सफर भी ग्रुप में होते हैं। ये कांवड़ गांव, मोहल्ले या क्षेत्र के नाम पर होती है। लंबी दूरी में कांवड़ की अदला-बदली की जाती है। थक चुका कांवड़िया गाड़ियों में आराम भी करता है, कोई न कोई साथी कांवड़ को लेकर चलता रहता है।