प्रदेश के सर्वोच्च कार्यालय में वेरिफिकेशन पर सवाल ..? मंत्रालय-पीएचक्यू में पा गए नौकरी……

टाइपिंग परीक्षा में घपला करने वाले मंत्रालय-पीएचक्यू में पा गए नौकरी……

मध्यप्रदेश में 9 साल पहले हुई हिंदी टाइपिंग परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर मंत्रालय और पीएचक्यू जैसी जगहों पर नौकरी पाने वालों पर राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। उद्योग मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह दत्तीगांव की निजी स्थापना में पदस्थ शैलेंद्र पांडे, जीएडी कार्मिक आईएएस पदस्थापना में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 मयंक मालवीय और एक अन्य को निलंबित कर दिया गया है।

यह पहला मौका है जब मंत्रालय में इस तरह की कार्रवाई हुई है। इसी तरह 7 वीं वाहनी विसबल में विशाल चिड़ार को निलंबित किया गया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने पीएचक्यू से यह भी पूछा है कि जब एसटीएफ ने 9 साल पहले दोषियों पर मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद इन लोगों ने दूसरी परीक्षाएं पास कर नौकरी पाई, उस दौरान पुलिस वेरिफिकेशन में यह जानकारी क्यों नहीं आई।

राज्य सरकार ने सरकारी नौकरी में हिंदी और अंग्रेजी टाइपिंग परीक्षा पास करने की मान्यता देने के लिए शीघ्रलेखन एवं मुद्रलेखन परिषद गठित की थी। इस पर प्रशासकीय नियंत्रण आयुक्त लोक शिक्षण का था। वर्ष 2013 में परिषद ने हिंदी टाइपिंग परीक्षा आयोजित की। परीक्षार्थियों ने व्यापक पैमाने पर गड़बड़झाला कर परीक्षा पास कर ली। जब मामला सामने आया तो इस परीक्षा को निरस्त कर दिया गया और एसटीएफ ने 2947 परीक्षार्थियों पर मुकदमा दर्ज किया।

  • फर्जीवाड़ा करने वाले उद्योग मंत्री की निजी स्थापना और जीएडी में कर रहे थे नौकरी
  • जांच के बाद मंत्रालय में तीन लोगों के अलावा एक आरक्षक भी निलंबित

जीएडी ने किए ये सवाल

  • जब 2013 में आपराधिक प्रकरण दर्ज हो चुका था, मंत्रालय जैसे सर्वोच्च कार्यालय में 2017 में नौकरी ज्वाइन करते यह तथ्य पुलिस वेरिफिकेशन में क्यों सामने नहीं आया। मंत्रालय जैसी संस्था में इतने गैर जिम्मेदाराना तरीके से भर्तियां होना भर्ती प्रक्रिया पर सवाल लगाता है।
  • गृह (सी) विभाग के नियमों के अनुसार नैतिक अध:पतन के आरोपी को और 24 घंटे से अधिक जेल में रहने वाले कर्मचारी को अनिवार्यत: निलंबित किए जाने का नियम है। ये पहले क्यों नहीं किया गया।
  • पुलिस वेरिफिकेशन में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने का तथ्य छुपाया नहीं जाता तो ज्वाॅइनिंग ही नहीं होती। इस स्थिति में नौकरी ही अवैध है।
  • यदि पुलिस वेरिफिकेशन में यह तथ्य आया था तो फिर ज्वाॅइन कैसे कराया गया।
  • किसी शासकीय सेवक की गिरफ्तारी के बाद उसके कार्यालय प्रमुख को पुलिस सूचना दिए जाने का नियम है। इस प्रकरण में एसटीएफ द्वारा मंत्रालय को दी गई सूचना कहां गई।

कई आरोपियों को जाना पड़ा जेल, जमानत पर रिहा हुए-एसटीएफ ने 420 व अन्य धाराओं के साथ मान्यता प्राप्त परीक्षा अधिनियम 1988 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। विस्तृत पड़ताल के बाद कोर्ट में चालान प्रस्तुत किया, जो अब तक विचाराधीन है। इनमें से कई आरोपियों को जेल भी जाना पड़ा, जहां से जमानत पर रिहा हुए।

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