ED बिना पेपर सिर्फ वजह बताकर कर सकती है अरेस्ट ….?
जिस PMLA के तहत सोनिया से पूछताछ, ममता के मंत्री पार्थ हुए अरेस्ट, आखिर वो है क्या…
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के तहत ED को मिले गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने समेत प्रमुख अधिकारों को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने ये फैसला PMLA के कई प्रोविजंस की वैधता को चुनौती देने वाली 250 से ज्यादा याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला ऐसे समय में आया है, जब ED नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लगातार दूसरे दिन पूछताछ कर रही है। साथ ही ED ने हाल ही में पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के मंत्री पार्थ चटर्जी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में अरेस्ट किया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ED फिर से सुर्खियों में है।
एक्सप्लेनर में जानते हैं कि क्या है PMLA कानून और उसके कौन से अधिकार EC को बनाते हैं ताकतवर?
सुप्रीम कोर्ट ने ED की ताकत को बरकरार रखते हुए क्या-क्या कहा
- सुप्रीम कोर्ट ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के विभिन्न प्रोविजन की वैधता को बरकरार रखा है।
- कोर्ट ने PMLA के तहत ED द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी, पूछताछ, तलाशी, संपत्ति की जब्ती और कुर्की और जमानत की सख्त शर्तों को वैध ठहराया है।
- कोर्ट ने कहा कि PMLA के तहत जमानत के लिए सख्त शर्तें कानूनी हैं न कि मनमानी।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ED अफसर पुलिस अधिकारी नहीं हैं और इसीलिए इन्फोर्समेंट केस इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट यानी ECIR को FIR नहीं माना जा सकता है।
- कोर्ट ने कहा- ED के लिए ECIR यानी अरेस्ट से जुड़े पेपर देना जरूरी नहीं है और वह केवल गिरफ्तारी की वजह बताकर आरोपी को हिरासत में ले सकती है।
आखिर क्या है ED?
प्रवर्तन निदेशालय या इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट यानी ED आर्थिक अपराधों और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन की जांच के लिए बना संगठन है। इसकी स्थापना 1 मई 1956 को विदेशी मुद्रा से संबंधित उल्लंघन की जांच के लिए हुई थी। 1957 में इसका नाम ED किया गया।
ED फाइनेंस मिनिस्ट्री के रेवेन्यू डिपार्टमेंट के अंडर काम करता है। 2002 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA कानून बनने के बाद से ED आपराधिक श्रेणी वाले फाइनेंशियल फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले भी देखने लगी है।
क्या है वो PMLA कानून, जो बनाता है ED को ताकतवर
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA को आम भाषा में समझें तो इसका मतलब है- दो नंबर के पैसे को हेरफेर कर ठिकाने लगाने वालों के खिलाफ कानून।
PMLA, 2002 में NDA के शासनकाल में बना था। ये कानून लागू हुआ 2005 में कांग्रेस के शासनकाल में, जब पी. चिदंबरम देश के वित्त मंत्री थे। PMLA कानून में पहली बार बदलाव भी 2005 में चिदंबरम ने ही किया था।
PMLA के तहत ED को आरोपी को अरेस्ट करने, उसकी संपत्तियों को जब्त करने, उसके द्वारा गिरफ्तारी के बाद जमानत मिलने की सख्त शर्तें और जांच अधिकारी के सामने रिकॉर्ड बयान को कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य होने जैसे नियम उसे ताकतवर बनाते हैं।
ED को अरेस्ट करने के लिए परमिशन की जरूरत नहीं, कर सकती है संपत्ति भी जब्त
आपको 2020 का वो किस्सा तो याद ही होगा, जब एक के बाद एक 8 राज्यों ने CBI को अपने इलाके में काम करने से रोक दिया था। इनमें पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, केरल और मिजोरम जैसे राज्य शामिल थे।
मतलब साफ है कि दिल्ली पुलिस स्पेशल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट 1946 के तहत बनी CBI को किसी भी राज्य में घुसने के लिए राज्य सरकार की अनुमति जरूरी है। हां, अगर जांच किसी अदालत के आदेश पर हो रही है तब CBI कहीं भी जा सकती है। पूछताछ और गिरफ्तारी भी कर सकती है।
करप्शन के मामलों में अफसरों पर मुकदमा चलाने के लिए भी CBI को उनके डिपार्टमेंट से अनुमति लेनी होती है।
नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी यानी NIA को बनाने की कानूनी ताकत NIA एक्ट 2008 से मिलती है। NIA पूरे देश में काम कर सकती है, लेकिन उसका दायरा केवल आतंक से जुड़े मामलों तक सीमित है।
इससे उलट मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA की ताकत से लैस ED केंद्र सरकार की अकेली जांच एजेंसी है, जिसे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में नेताओं और अफसरों को तलब करने या उन पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार की अनुमति की जरूरत नहीं है।
ED छापा भी मार सकती है और प्रॉपर्टी भी जब्त कर सकती है। हालांकि अगर प्रॉपर्टी इस्तेमाल में है, जैसे मकान या कोई होटल तो उसे खाली नहीं कराया जा सकता।
जमानत की बेहद कड़ी शर्तें: अदालत को सरकारी वकील को सुनना जरूरी
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में जमानत की 2 सख्त शर्तें हैं। पहली- आरोपी जब भी जमानत के लिए अप्लाय करेगा तो कोर्ट को सरकारी वकील की दलीलें जरूर सुननी होंगी।
दूसरी- इसके बाद कोर्ट अगर इस बात को लेकर संतुष्ट होगा कि जमानत मांगने वाला दोषी नहीं है और बाहर आने पर ऐसा कोई अपराध नहीं करेगा, तभी जमानत मिल सकती है। यानी जमानत केस की सुनवाई से पहले ही अदालत को ये तय करना पड़ेगा कि जमानत मांगने वाला दोषी नहीं है।
इस कानून के तहत जांच करने वाले अफसर के सामने दिए गए बयान को कोर्ट सबूत मानता है, जबकि बाकी कानूनों के तहत ऐसे बयान की अदालत में कोई वैल्यू नहीं है।
अब उन नेताओं को जानते हैं जो ED के लपेटे में हैं….
SSC घोटाला: पार्थ चटर्जी
ममता सरकार के कैबिनेट मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी को ED ने स्कूल सर्विस कमीशन यानी SSC भर्ती घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में 23 जुलाई को अरेस्ट किया। ED ने इस घोटाले की जांच के तहत 22 जुलाई को पार्थ की करीबी अर्पिता मुखर्जी के घर छापा मारकर 20 करोड़ कैश बरामद किया था। अर्पिता से पूछताछ के बाद घोटाले के तार पार्थ से जुड़े तो ED ने उन्हें अरेस्ट कर लिया।
नेशनल हेराल्ड मामला: सोनिया और राहुल
BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था। अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया।
दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। अब ED ने इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल को समन जारी किया। ED इस मामले में राहुल से पूछताछ कर चुकी है और अब सोनिया से पूछताछ जारी है।
पंचकुला लैंड केस: भूपिंदर सिंह हुड्डा
ED ने 26 अगस्त को हरियाणा के पूर्व CM भूपिंदर सिंह हुड्डा और कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा के खिलाफ AJL मामले में चार्जशीट दायर की थी। हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 64.93 करोड़ रुपए का प्लॉट एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड यानी AJL को 69 लाख 39 हजार रुपए में दिया था।
पंचकुला स्थित इस भूखंड को 2018 में ED ने कुर्क कर लिया था। AJL नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन करता था।
आय से अधिक संपत्ति: डीके शिवकुमार
3 सितंबर 2019 को ED ने कांग्रेस नेता और कर्नाटक के पूर्व मंत्री डीके शिवकुमार को टैक्स चोरी और आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। इससे पहले उनसे 2 दिन तक पूछताछ हुई थी।
INX मीडिया: पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम
INX मीडिया मामला भी इसका एक उदाहरण है। पी. चिदंबरम पर न केवल विदेशी निवेश के लिए INX मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रोमोशन बोर्ड यानी FIPB से मंजूरी दिलाने में रिश्वत लेने का आरोप लगा बल्कि CBI ने उन्हें गिरफ्तार भी किया। ED ने चिदंबरम से पूछताछ भी की थी। इसी मामले में चिदंबरम के बेटे कार्ति भी गिरफ्तार हो चुके हैं।
जमीन खरीद घोटाला: रॉबर्ट वाड्रा
2007 में रॉबर्ट वाड्रा ने स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी शुरू की थी। रॉबर्ट और उनकी मां मौरीन इसके डायरेक्टर थे। आरोप है कि इस कंपनी के नाम पर वाड्रा ने बीकानेर में कौड़ियों के भाव में जमीन खरीदी, फिर ऊंचे दाम पर बेच दी। ED ने रॉबर्ट वाड्रा पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया। इस मामले में वाड्रा से अब तक 11 से ज्यादा बार पूछताछ हो चुकी है।
स्टर्लिंग बायोटेक बैंक धोखाधड़ी: फैसल पटेल
गुजरात के कारोबारी चेतन और नितिन संदेसरा के खिलाफ स्टर्लिंग बायोटेक बैंक धोखाधड़ी मामले में ED ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल के बेटे फैसल और दामाद इरफान सिद्दीकी से पूछताछ की थी।
फर्टिलाइजर घोटाला: अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशाोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत से फर्टिलाइजर घोटाले में ED ने 2021 में पूछताछ की थी। 2020 में ही ED ने अग्रसेन गहलोत के खिलाफ केस दर्ज किया था।
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला: सुरेश कलमाड़ी
ED ने कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला यानी CWG मामले में सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ केस दर्ज किया था।
प्रॉपर्टी जुटाने का केस: कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी
ED ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी पर हवाला ऑपरेटरों की मदद से प्रॉपर्टी जुटाने के आरोप में केस दर्ज किया है। ED ने इस मामले में रतुल को गिरफ्तार भी किया था।