अब ट्रेन में देना होगा अपनी उंगलियों के निशान, इसके बिना जनरल बोगी में नहीं मिलेगी सीट

भारतीय रेलवे ने जनरल डिब्बों में सीट के लिए नई बायोमेट्रिक व्यवस्था लागू की है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इसके बारे में जानकारी दी है. अब ट्रेन में जो पहले आएगा वो पहले सीट पाएगा.

नई दिल्ली: रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि जनरल डिब्बों में सीट के लिए नई बायोमेट्रिक व्यवस्था लागू हो गई है. अब पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर सीट मिलेगी. यात्रियों को इससे फायदा होगा. मुंबई से लखनऊ जाने वाली पुष्पक एक्सप्रेस में इसकी शुरुआत की गई है.

 

क्या है ये व्यवस्था

 

बायोमेट्रिक व्यवस्था में ट्रेन के जनरल डिब्बे के बाहरी हिस्से में एक बायोमेट्रिक मशीन लगी होगी जिसमें अंगुली लगाते ही पैसेंजर की बैठने की सीट रिज़र्व हो जाएगी. मशीन उतनी ही सीटें रिज़र्व करेगी जितनी कोच में सीटें होंगी. यानी जो यात्री जनरल कोच का टिकट लेकर पहले आएगा उसे सीट मिल जाएगी.

 

देरी से आने वालों को भी चढ़ने दिया जाएगा

 

जो यात्री देर से आएंगे उन्हें जनरल कोच में चढ़ने से नहीं रोका जाएगा, लेकिन उन्हें बैठने को सीट नहीं मिल पाएगी. उन्हें खड़े रहकर या ज़मीन में बैठ कर यात्रा करनी पड़ेगी. जनरल कोच में होने वाली यात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए ये इजाज़त दी गई है.

 

बायोमेट्रिक से यात्रियों को कैसे फ़ायदा होगा

 

दरअसल जनरल कोच में भारी भीड़ होती है, जिसके कारण सीट पाने के लिए यात्रियों के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़े और मार-पीट भी होती रहती है. नई व्यवस्था से यात्रियों को ऐसी अमानवीय स्थितियों से निजात मिलेगी और सम्मानजनक यात्रा कर सकेंगे. पहले पुष्पक एक्सप्रेस में बायोमेट्रिक की सफलता का आंकलन किया जाएगा, जिसके बाद जल्द ही ये व्यवस्था बाक़ी सभी ट्रेनों की जनरल कोच में भी लगाई जाएगी.

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