MP में निकाय चुनाव में विधायकों का रिपोर्ट कार्ड …?

दो मंत्री और दो पूर्व मंत्रियों का ग्राफ गिरा, कांग्रेस को 1 सीट का फायदा; BJP को भी नुकसान नहीं,….

मध्यप्रदेश में BJP और कांग्रेस दोनों ही निकाय चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं। 16 नगर निगमों में BJP, कांग्रेस के कुल 34 विधायकों की साख दांव पर थी। अपना क्षेत्र जिताने का जिम्मा भी था। विधायकों के क्षेत्र में शहरी वोटों में बढ़त बनी या नहीं, दैनिक भास्कर ने इसका एनालिसिस किया। कटनी और सिंगरौली में रोचक स्थिति बनी। निर्दलीय और आम आदमी पार्टी का महापौर बन गया। लेकिन, दोनों जगह BJP के वोट कांग्रेस से ज्यादा हैं। यानी BJP की कांग्रेस पर बढ़त तो बनी, लेकिन जीत छिटक गई।

इस निकाय चुनाव की विधानसभा चुनाव से तुलना करें तो कांग्रेस को एक शहर (सीट) का फायदा तो है, लेकिन BJP को नुकसान भी नहीं है। ऐसा इसलिए, क्योंकि एक सीट पर कांग्रेस को फायदा हुआ है। एक जगह निर्दलीय विधायक है। 16 नगर निगम क्षेत्र में 35 विधानसभा सीटें हैं। वोटों के हिसाब से इनमें से BJP को 20 और कांग्रेस को 15 सीटों पर बढ़त मिली है।

जिन 16 नगर निगमों में चुनाव हुए, वहां विधानसभा क्षेत्र के शहरी वोटर्स का रुझान हम आपको आगे बता रहे हैं, लेकिन पहले ये जान लीजिए यह सर्वे किस आधार पर है। दरअसल, जिन विधानसभा क्षेत्र के वोटर्स नगर निगम क्षेत्र में आते हैं, वहां बीजेपी और कांग्रेस के महापौर उम्मीदवारों को मिले वोटों को अलग-अलग जोड़ा गया। इसके अंतर के आधार पर शहरी क्षेत्र में विधायक के मजबूत होने या कमजोर होने का आकलन किया गया है। अब पॉइंट टू पॉइंट समझिए, निकाय चुनाव में विधायकों का रिपोर्ट कार्ड …

भोपाल में 2 सीट पर ही कांग्रेस को बढ़त, सागर में BJP बरकरार

भोपाल में BJP से विधायक और मंत्री विश्वास सारंग ने अपने विधानसभा क्षेत्र नरेला से बड़ी लीड दिलाई। पार्टी की गोविंदपुरा से विधायक कृष्णा गौर, हुजूर से विधायक रामेश्वर शर्मा के क्षेत्र में भी BJP को ठीक बढ़त मिली।

भोपाल उत्तर से कांग्रेस विधायक आरिफ अकील का दबदबा कायम है, लेकिन दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र से विधायक और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का ग्राफ गिर गया। शर्मा के क्षेत्र में बीजेपी को 5 हजार से ज्यादा की बढ़त मिली। भोपाल मध्य से आरिफ मसूद के क्षेत्र में बढ़त तो मिली, लेकिन मामूली। सागर में BJP ने दबदबा कायम रखा।

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दो मंत्रियों का गिरा ग्राफ, दो पूर्व मंत्रियों की भी नहीं चली

BJP के दो मंत्री विश्वास सारंग और डॉ.मोहन यादव के क्षेत्र में BJP को बढ़त मिली है, लेकिन ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर और राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह की सीट पर BJP से ज्यादा कांग्रेस को वोट मिले हैं। इसी तरह कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे तरुण भनोट और लखन घनघोरिया की सीट पर कांग्रेस को बढ़त मिली है, लेकिन जीतू पटवारी और पीसी शर्मा के विधानसभा क्षेत्र में BJP ने बढ़त बनाई है।

मालवा-निमाड़ में BJP को फायदा

मालवा को BJP का गढ़ माना जाता है। महापौर चुनाव में BJP ने यहां बढ़त बरकरार रखी है। इंदौर की 6 विधानसभा सीटों में से 5 पर BJP ने बढ़त बनाई। कांग्रेस के महापौर उम्मीदवार संजय शुक्ला सिर्फ अपनी विधानसभा क्षेत्र से बढ़त ले पाए, जबकि मौजूदा विधानसभा में यहां से 4 विधायक BJP और 2 विधायक कांग्रेस के हैं। यानी वोट के हिसाब से देखें तो कांग्रेस को एक सीट का यहां नुकसान होता दिख रहा है। इसके अलावा उज्जैन में BJP ने महापौर अपना जिता लिया, लेकिन एक सीट पर उसे नुकसान हुआ है। हालांकि, रतलाम सीट पर बीजेपी की बढ़त बरकरार है। खंडवा (निमाड़) में भी BJP का दबदबा कायम है।

ग्वालियर-चंबल में BJP के लिए खतरे की घंटी

ग्वालियर में कांग्रेस से विधायक सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार महापौर बनी हैं। ऐसा 57 साल बाद हुआ, जब कांग्रेस ने महापौर की कुर्सी BJP से छीनी। विधानसभा में मिले वोटों के आधार पर देखें तो BJP का चारों विधानसभा क्षेत्र में ग्राफ गिरा है। इन चारों सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली है। जबकि, मौजूदा विधानसभा में यहां से कांग्रेस-BJP के 2-2 विधायक हैं। इसी तरह मुरैना में BJP दोनों विधानसभा सीटों पर बढ़त नहीं ले पाई।

महाकौशल में कांग्रेस का जलवा बरकरार

महाकौशल के सबसे बड़े जिले जबलपुर में 18 साल बाद कांग्रेस का महापौर बना है। यहां नगरीय क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें हैं। इस लिहाज से कांग्रेस ने वोटबैंक को साधे रखा है। छिंदवाड़ा में भी कांग्रेस महापौर बनाने में कामयाब रही। हालांकि, छिंदवाड़ा एक मात्र ऐसा जिला है, जहां कांग्रेस ने पंचायत चुनाव से लेकर जनपद में जीत दर्ज की है।

विंध्य में BJP के लिए खतरे की घंटी

विंध्य में BJP को सबसे बड़ा झटका रीवा में लगा है। यहां कांग्रेस के अजय सिंह ने BJP से महापौर की कुर्सी छीनी है। यहां BJP के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला कई साल से विधायक हैं, लेकिन उनके क्षेत्र में BJP को बढ़त नहीं मिली। इसी तरह सिंगरौली में भले ही BJP को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले, लेकिन महापौर की कुर्सी आम आदमी पार्टी के खाते में चली गई। हालांकि, सतना में BJP का महापौर बना है, लेकिन इसकी वजह कांग्रेस के बागी ने काम बिगाड़ दिया। यदि कांग्रेस बागी को मनाने में कामयाब हो जाती तो परिणाम बदल सकता था।

नोट – सिंगरौली नें महापौर पद पर आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल की जीतीं हैं। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस को मिले वोटों में बीजेपी ने बढ़त बनाई।

नोट – कटनी में महापौर पद पर निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति सूरी जीतीं हैं। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस को मिले वोटों में बीजेपी ने बढ़त बनाई।

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