भोपाल/नरसिंहपुर : UPSC की पढ़ाई छोड़ी; बोलीं- अफसरों को आजादी नहीं, इसीलिए पॉलिटिक्स चुनी

कन्यादान नहीं कराने वाली IAS की बहन जनपद अध्यक्ष बनीं …?

पिछले साल दिसंबर में मंडप में कन्यादान की रस्म से इनकार कर IAS तपस्या सुर्खियों में आईं। अब उनकी छोटी बहन प्रतिज्ञा परिहार नरसिंहपुर की करेली जनपद पंचायत की निर्विरोध अध्यक्ष चुनी गई हैं। प्रतिज्ञा UPSC की तैयारी कर रही थीं। IAS बनने का सपना छोड़ राजनीति में एंट्री करने का श्रेय चाचा को देती हैं। 25 साल की प्रतिज्ञा का कहना है कि जब वह IAS दीदी तपस्या को देखती हैं तो महसूस होता है कि लोगों की मदद के लिए जो आजादी चाहिए, वो नौकरशाही में नहीं मिलती। दैनिक भास्कर ने प्रतिज्ञा परिहार से खास बातचीत की, पढ़िए…

……. UPSC की तैयारी छोड़ राजनीति के लिए कैसे तैयार हुईं?
प्रतिज्ञा:
 6 साल से UPSC की तैयारी कर रही थी। कोविड के चलते दो साल से गांव में हूं। पंचायत चुनाव के नामांकन से एक दिन पहले चाचा विनायक परिहार ने कहा कि चलो भोपाल, अपनी तैयारी करो। इस पर मैंने मना कर दिया। फिर चाचा ने ही मजाक में कह दिया कि तैयारी नहीं करना चाहती तो चुनाव लड़वा देते हैं। उसी शाम विधायक चाचा (जालम सिंह पटेल) घर आए। उनके सामने भी बात उठी। उन्होंने भी राजनीति में उतरने के लिए प्रेरित किया। बोले- बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत की सरपंच भक्ति शर्मा को देखो। अमेरिका से जॉब छोड़कर सरपंच बनी हैं। अब सरकारी योजनाओं को जमीन पर उतारकर नजीर पेश कर रही है। तुम भी पढ़ी-लिखी हो। नई सोच के साथ कुछ नया कर सकती हो। इस तरह राजनीति में एंट्री हो गई।

……..: पहले निर्विरोध जनपद सदस्य, अब जनपद अध्यक्ष, कैसे संभव हुआ?
प्रतिज्ञा:
 इसका श्रेय विधायक चाचा और पिता विश्वास परिहार को जाता है। फॉर्म भरने से लेकर अध्यक्ष चुने जाने तक उन्होंने ही मेहनत की है। निर्विरोध अध्यक्ष बनना शुरू से ही तय था। उसी के अनुसार फिल्डिंग जमाई गई। सभी 20 सदस्यों के समर्थन से ही संभव हो पाया।

प्रतिज्ञा परिहार घुड़सवारी का भी शौक रखती हैं।
प्रतिज्ञा परिहार घुड़सवारी का भी शौक रखती हैं।

……: 20 सदस्य वाले जनपद पंचायत में 16 महिलाएं जीत कर आई हैं, फिर आप ही क्यों?
प्रतिज्ञा:
 शायद कम उम्र और पढ़ा-लिखा होना मेरे पक्ष में गया। पिताजी और जिला पंचायत अध्यक्ष के तौर पर मेरी दादी के समय में हुए अच्छे कार्यों का भी फायदा मिला। विधायक चाचा (जालम सिंह पटेल) ने भी मुझ पर भरोसा जताया। लोगों को लगता है कि पढ़ी-लिखी हूं। कुछ बदलाव लेकर आऊंगी। कुछ नया करूंगी। शायद इस कारण मुझे चुना है।

……. बड़ी बहन IAS, पापा किसान हैं, इससे पहले कभी मन में विचार आया कि राजनीति में जाना चाहिए?
प्रतिज्ञा:
 USPC की तैयारी छोड़कर राजनीति में आने की वजह कहीं न कहीं मेरी बहन तपस्या ही हैं। दीदी के सिलेक्शन के बाद मुझे लगा कि मैं इस जॉब के लिए नहीं बनी हूं, जो फ्लैक्सिबिलिटी मुझे लाइफ में काम करने के दौरान चाहिए, वो शायद उस जॉब में उतनी नहीं होती। राजनीति में ही आना था, ये तय नहीं था। मौका मिल रहा था। सोचा कि ट्राई करके देख लूं। खुद करके देखूंगी, तो समझ आ जाएगा कि आगे इसे करना है या नहीं।

प्रतिज्ञा की दादी जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं। वे सोशल मीडिया पर फोटोज डालती रहती हैं।
प्रतिज्ञा की दादी जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं। वे सोशल मीडिया पर फोटोज डालती रहती हैं।

…… प्रशासनिक सेवा में रहकर क्या लोगों की मदद नहीं कर सकतीं?
प्रतिज्ञा: 
समाज सेवा के क्षेत्र में बहुत काम है। मुझे पता नहीं कि वो क्या चीज थी, जिससे महसूस हुआ कि मुझे UPSC नहीं करनी है। मुझे लगता था कि मैं उस जॉब के लिए नहीं बनी हूं। कुछ अलग करना है। यह प्रशासनिक सेवा में रहकर संभव नहीं है।

…… IAS के मुकाबले ज्यादा लोगों की मदद के सीमित साधन होंगे?
प्रतिज्ञा: 
अभी जनपद अध्यक्ष को अवसर के रूप में लिया है। लोगों की समस्या समझ पाऊंगी। इसके बाद मेरे अधिकार क्षेत्र में जितना संभव होगा, लोगों की मदद करूंगी। इसके अलावा भी जो हो सकेगा, प्रयास करूंगी। मेरा हमेशा से उद्देश्य रहा है कि मुझे खुद से सॉल्यूशन खोजना है। आगे खुद से काम करने हैं। इस चीज (जनपद अध्यक्ष) को एक अवसर के रूप में ले रही हूं। आगे समाजसेवा के लिए पापा के साथ NGO पर काम करूंगी।

जनपद अध्यक्ष बनने पर परिवार वालों ने प्रतिज्ञा का मुंह मीठा करवाया।
जनपद अध्यक्ष बनने पर परिवार वालों ने प्रतिज्ञा का मुंह मीठा करवाया।

भास्कर: आगे राजनीति में ही करियर बनाएंगी या कुछ और सोचा है?
प्रतिज्ञा: 
अभी लाइफ को जितना समझ पाई हूं, उससे इतना तो तय है कि राजनीति करियर नहीं है। 6 साल तक UPSC की तैयारी करती रही, फिर अचानक से मन खत्म हो गया। PHD की तैयारी शुरू की। बीच में ये मौका मिल गया। मैं यहां पर आ गई। लाइफ इनक्रेडिबल है। मौके मिलते जाते हैं और रास्ता बनता जाता है। सिर्फ चाहत नेक होनी चाहिए। रास्ता खुद ही बन जाता है। राजनीति में आगे रह पाऊंगी ये भी नहीं पता, लेकिन पहले से सोचा है कि पापा की खेती है, उसे मैं संभालूंगी।

भास्कर: गांवों में किस तरह की समस्याएं महसूस की हैं?
प्रतिज्ञा: 
ग्रामीणों की कई दिक्कतें हैं। हमें ये भले ही छोटी लगती हैं। उन लोगों से बात करें, तब महसूस होता है कि उनके लिए वो कितनी बड़ी है। एक-दो गांव अब भी ऐसे हैं, जहां बिजली एक-दो घंटे ही आती है। इसके चलते वहां पानी की समस्या है। कई जगह रोड नहीं है। एक गांव है कठौतिया। वहां स्कूल के सामने की रोड पर पानी भरा रहता है। बच्चों को पानी से होकर स्कूल जाना पड़ता है। बहुत लोगों का एक्सीडेंट होता है। ऐसी छोटी-छोटी कई समस्या हैं। उसके लिए फंड मिलता है, पर वहां तक पहुंच नहीं पाता। मतलब भ्रष्टाचार।

प्रतिज्ञा सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं।
प्रतिज्ञा सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहती हैं।

….: ग्रामीण क्षेत्रों में एजुकेशन लेवल पर क्या कहेंगी?
प्रतिज्ञा: 
एजुकेशन सिस्टम अच्छा नहीं है। जो रिसोर्सेज सरकारी स्कूलों में बच्चों तक पहुंचने चाहिए, वो नहीं पहुंच पाते। दिल्ली में देखा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल दी है। मध्यप्रदेश में भी कुछ होना चाहिए। कोशिश करूंगी कि बच्चों को रिसोर्स मिलें, किताबें मिलें। एक्सपेरिमेंट करने के लिए सामान मिले। स्कूल के अलावा बाहर कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं। उसकी स्क्रीनिंग कराकर वहां जो दूसरे अच्छे टीचर उपलब्ध हैं, उनकी मदद लूंगी। फिजिकल एक्टिविटीज कराऊंगी।

जोबा गांव (नरसिंहपुर) में प्रतिज्ञा का घर।
जोबा गांव (नरसिंहपुर) में प्रतिज्ञा का घर।

परिवार की विरासत आगे बढ़ा रहीं प्रतिज्ञा

प्रतिज्ञा के पिता विश्वास परिहार करेली के बड़े किसान नेता के साथ बीजेपी से जुड़े हैं। दादी देव कुंवर परिहार 2009 से 2014-15 तक नरसिंहपुर जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। मां ज्योति परिहार निर्विरोध सरपंच रह चुकी हैं। गांव में पंचायती राज लागू होने के बाद से ही उनके ही परिवार और करीबी निर्विरोध सरपंच बनते रहे हैं। बड़ी बहन तपस्या परिहार IAS हैं। वर्तमान में सेंधवा में SDM हैं।

भाई विकल्प परिहार भी दिल्ली में थिएटर से जुड़ा है। प्रतिज्ञा एग्रीकल्चर से MSc हैं। इसी से PHD भी कर रही हैं। करेली जनपद में इस बार बीजेपी के 15 सदस्य चुनकर पहुंचे हैं। इनमें 4 सदस्य निर्विरोध जीते हैं। कांग्रेस के 3 जनपद सदस्य और दो निर्दलीय भी जीते हैं। 20 सदस्यों में 16 महिलाएं चुन कर पहुंची हैं। एक निर्दलीय बीजेपी के साथ जुड़कर निर्विरोध जनपद उपाध्यक्ष बन चुकी हैं

परिवार के साथ प्रतिज्ञा, बड़ी बहन IAS तपस्या और उनके पति गर्वित।
परिवार के साथ प्रतिज्ञा, बड़ी बहन IAS तपस्या और उनके पति गर्वित।

करीबी बनते रहे हैं निर्विरोध सरपंच

जोबा ग्राम पंचायत में दो गांव जोबा और खिरिया शामिल हैं। खिरिया में उनके बड़े दादा का परिवार रहता है। दोनों गांवों में समझौता है कि एक बार उनके गांव का तो दूसरी बार खिरिया गांव का सरपंच निर्विरोध बनेगा। पिछली बार प्रतिज्ञा की मां ज्योति परिहार सरपंच थीं। इस बार नंबर खिरिया गांव का था। सीट ST के लिए रिजर्व हो गई। खिरिया गांव में कोई एसटी नहीं है। मजबूरी में दूसरी बार भी जोबा गांव के सरपंच के रूप में परिवार के करीबी रामसेवक ठाकुर निर्विरोध चुने गए हैं।

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