पंचायत में जीत का असर …? एसयूवी की बुकिंग 81% बढ़ी, 70% खरीदार गांवों के, जो सरपंच; जनपद सदस्य या जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते
हाल ही में निपटे नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों के बाद एसयूवी गाड़ियों की डिमांड में रॉकेट जैसी तेजी आ गई है। सबसे ज्यादा मांग स्कॉर्पियो, बोलेरो, एक्सयूवी और थार की है। अकेले भोपाल की बात करें तो यहां जुलाई में 1000 से ज्यादा एसयूवी बुक हुईं। हालात ये हैं कि मांग ज्यादा होने के कारण जिन गाड़ियों की वेटिंग पहले से ही 4 से 6 महीने तक चल रही थी, वो बढ़कर एक साल तक हो गई है।
ऑटोमोबाइल डीलर वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि आमतौर पर नई गाड़ियों की खरीदारी गणेश चतुर्थी के बाद शुरू होती है, जो दिवाली तक चलती है। जुलाई-अगस्त का मौसम ऑटोमोबाइल के लिए डाउन सीजन रहता है। लेकिन इस बार जुलाई में ही पिछले साल से दोगुनी बुकिंग मिल गई। यह हमारे लिए भी हैरान करने वाला तथ्य है। बड़ी बात ये है कि इस बार बुकिंग करने वालों में करीब 70% ग्रामीण या कस्बों से हैं। इनमें भी ज्यादातर वे हैं, जो सरपंच, जनपद सदस्य या जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीते हैं। यानी इस बार की औसत बुकिंग पिछले साल के मुकाबले 81% तक ज्यादा है। ऑटोमोबाइल डीलर नीरज श्रीवास्तव कहते हैं, कि इन बुकिंग में स्कॉर्पियो के नए मॉडल की बुकिंग शामिल रहीं है। भोपाल से लगे गांव से चुनाव जीतने वाले एक नव निर्वाचित सरपंच ने बताया कि पिछला सरपंच बोलेरो से चलता था। इसलिए मैंने भी यही गाड़ी खरीदी।
खरगापुर विधायक ने जीते सदस्यों को नई गाड़ियों के साथ विदा किया
टीकमगढ़। यहां खरगापुर विधायक राहुल सिंह की एक फोटो रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुई। इसमें वे एक नई एसयूवी के साथ दिख रहे हैं। तस्वीर में कैप्शन लिखा है कि वार्ड 17 के जिला पंचायत सदस्य परीक्षित कुशवाहा अपनी नई गाड़ी के साथ घर रवाना हुए। बता दें कि राहुल की पत्नी उमिता एक वोट से जीती हैं। उन्होंने के कांग्रेस के पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह की पत्नी को हराया है। नई गाड़ी पर जब राहुल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैंने किसी को नई गाड़ी नहीं दी।
ऐसे समझें… ज्यादातर खरीदार ग्रामीण कैसे
- शहरों में लोग बैंकों से ऑटो लोन लेकर मासिक किश्त चुकाते हैं। लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर ऑटो लोन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के होते हैं। इनमें किश्त फसल चक्र के आधार पर छिमाही होती है।
- ऑटोमोबाइल डीलर कहते हैं कि जुलाई में 50% गाड़ियां छिमाही किश्त पर बुक हुईं। इससे पता चलता है कि इस बार ज्यादातर खरीदार ग्रामीण हैं। एनबीएफसी सरकारी बैंकों की तुलना में 2% से 3% तक ज्यादा ब्याज पर लोन दे रहे हैं।