इंदौर : बड़ा उदाहरण:डेंटिस्ट का गणित, जहां 90% लोग रैबीज का इंजेक्शन लेने आते हैं; वहां हर माह 900 मरीज देखने का दावा

लाल अस्पताल

  • 350 मरीज की ओपीडी है, हुकुमचंद पॉली क्लिनिक की रोजाना
  • 300 मरीज सिर्फ रैबीज का इंजेक्शन लगवाने के लिए आते हैं

सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स किस तरह काम करते हैं, उसका एक बड़ा उदाहरण सामने आया है। हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक (लाल अस्पताल) के तीन डेंटिस्ट की परफॉर्मेंस रिपोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के आला अफसरों को चौंका दिया है। 350 से 400 मरीजों की रोजाना ओपीडी वाले इस अस्पताल में 90 फीसदी से ज्यादा मरीज कुत्ता काटने पर रैबीज के इंजेक्शन लगवाने आते हैं।

हद यह है कि इन्हें कोई डॉक्टर नहीं देखता है, बल्कि ज्यादातर मामलों में नर्स ही इंजेक्शन लगाकर रवाना कर देती हैं। बावजूद तीनों डेंटिस्ट ने अपनी रिपोर्ट में 900 मरीज हर महीने देखने का दावा किया है। इस रिपोर्ट पर सिविल सर्जन ने ही आपत्ति जताई है कि आखिर दांत के इतने मरीज आए ही नहीं तो आपने देखा किसेे। आश्चर्य इस बात का कि इतने मरीज तो प्रदेश के एकमात्र सरकारी डेंटल कॉलेज में भी नहीं आ रहे हैं और तीनों डॉक्टर काफी समय से अपनी रिपोर्ट में 900 से ज्यादा मरीज ही दिखा रहे हैं।

मरीज नहीं, फिर भी तीन डेंटिस्ट एक ही अस्पताल में

लाल अस्पताल में तीन डेंटिस्ट डॉ. तृप्ति भाटी, डॉ. पारस रावत और डॉ. हर्षा पदस्थ हैं। यहां दांतों की बीमारियों के इतने मरीज ही नहीं आते हैं। लंबे समय से इनकी वर्क-परफार्मेंस रिपोर्ट में 900 से ज्यादा मरीज बताए जा रहे हैं। इस बार इनकी रिपोर्ट देखने के बाद पूछा गया तो जवाब मिला कि सर्दी-खांसी के मरीज भी देख लेते हैं और रैबीज के टीके वाले मरीजों को भी। जबकि स्टाफ का कहना है कि रैबीज के इंजेक्शन लेने आने वाले मरीजों को आमतौर पर डॉक्टर्स देखते ही नहीं है।

अब दलील दे रहे, कोविड में भी तो दूसरे मरीज देखे थे

मरीज ज्यादा हाेते हैं, तब हम देखते हैं

दांतों के मरीजों के साथ दूसरे मरीज भी देखते हैं। हमारी ड्यूटी कोविड-19 के दौरान भी लगी थी। स्वास्थ्य शिविरों व वीआईपी ड्यूटी में भी लगती है। ओपीडी में मरीज ज्यादा होते हैं तब हम देखते हैं। डॉग बाइट के मरीज ज्यादा आते हैं। हमारी ओपीडी कक्ष में जो आते हैं, उन्हें देखते हैं।
– डॉ. पारस रावत, डेंटिस्ट, हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक

अब सभी मरीजों के दांतों का चेकअप होता है

यहां डॉक्टर्स की कमी है। डॉग बाइट के केस में भी डॉक्टर चेक करते हैं कि कौन सा इंजेक्शन लगाना है। देखने के बाद ही इंजेक्शन रूम में भेजते हैं। यह सही है कि डेंटल ओपीडी कम है। बावजूद इसके आजकल सभी मरीजों का दांतों का चेकअप भी करना होता ही है।
– डॉ. तृप्ति भाटी, डेंटिस्ट, हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक

​​​​​​​पूरी रिपोर्ट ही गड़बड़ है
रिपोर्ट कार्ड में ओपीडी की संख्या देखकर हैरानी हुई, क्योंकि दांतों की बीमारी के इतने मरीज नहीं आते हंै। पूछताछ की ताे कहने लगे, रैबीज वार्ड में आने वाले मरीज देख रहे हैं। यह उनका काम नहीं है।
– डॉ. प्रदीप गोयल, सिविल सर्जन

डॉक्टर अटैंड तो करते ही हैं
कुत्ता काटने के शिकार लोगों को सिर्फ इंजेक्शन लगाए जाते हैं, लेकिन डॉक्टर अटैंड तो करते ही हैं।
– डॉ. आशुतोष शर्मा, प्रभारी, लाल अस्पताल

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