करोड़ों का लोन डुबोने वालों का कुछ नहीं बिगड़ता…:होसबाले ने कहा- केवल 10 लाख का लोन मांगने वाले युवा पर शक करती है ब्यूरोक्रेसी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबाले देश की ब्यूरोक्रेसी पर बरसे। आरएसएस के स्वावलंबी भारत अभियान के तहत भोपाल सहित 16 जिलों में एक साथ रोजगार सृजन केंद्र का शुभारंभ करते हुए होसबाले ने कहा कि ब्यूरोक्रेसी स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को हतोत्साहित करती है। बैंक से करोड़ों का लोन लेकर डुबोने वालों का कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन 10 लाख के लोन के लिए जाने वाले युवा को ब्यूरोक्रेट शक की निगाह से देखते हैं।

होसबाले ने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बैंक का लोन डूब जाने दीजिए, लेकिन युवाओं को हतोत्साहित मत कीजिए। हमारे पास देश में ऐसे अनेक युवाओं के उदाहरण हैं जिन्होंने सरकार की सहायता के बिना बड़ी-बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

शिवाजी नगर में रोजगार सृजन केंद्र के शुभारंभ अवसर पर उन्होंने कहा कि देश में स्वरोजगार के लिए एक इको सिस्टम बनाने की जरूरत है। इसमें सरकार के साथ समाज की भी भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने 70 के दशक में शुरू किए गए जॉब ओरिएंटेड कोर्स की विफलता की चर्चा करते हुए कहा कि उसकी एक वजह यह भी थी कि यह कोर्स करने वाले युवाओं से लोग अपनी बेटियों की शादी करना पसंद नहीं करते थे।

होसबाले ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद देश जिस मिश्रित अर्थव्यवस्था की नीति पर चला वह भारत के अनुकूल नहीं था। देश के हर इलाके में अलग-अलग विशेषता वाले उद्यम थे उन्हें प्रोत्साहित किया जाना था। सरकार्यवाह ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी देश के पहले उद्योग मंत्री थे।

उन्होंने कुछ प्रयोगशालाएं स्थापित करने की कल्पना की थी वे आज भी अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं। हालांकि मुखर्जी ज्यादा समय मंत्री नहीं रहे। उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।

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