बसों से किराया सूची गायब, यात्रियों से वसूल रहे मनमाना किराया

 

बस आपरेटर एसोसिएशन का दावा आनलाइन बुकिंग में देना पड़ता है अतिरिक्त सर्विस चार्ज, यात्रियों को न सीट मिलती है न सुविधा

जबलपुर, : राखी के त्योहार के बाद भी बसों में यात्रियों की भीड़ कम नहीं हो रही है। लोग अपने-अपने घरों से वापस लौट रहे हैं। यात्रियों को बस सेवा का उपयोग के लिए मनमाना किराया देना पड़ रहा है। जबकि परिवहन विभाग की तरफ से किराया तय है, फिर भी बस आपरेटर अपनी मर्जी से किराया ले रहे हैं। बस में किराया सूची चस्पा नहीं होने के कारण वास्तविक दर की जानकारी ही नहीं लग पाती है। इधर बस आपरेटर एसोसिएशन का दावा है कि स्थानीय की बजाए लंबी दूरी वाले आपरेटर यात्रियों से आनलाइन बुकिंग में अधिक किराया वसूलते हैं।

किराया सूची होना चाहिए चस्पा-

यात्री बस में किराया सूची साफ-साफ अक्षर में चस्पा होनी चाहिए। सूची बस के अंदर ऐसे स्थान पर लगी हो जहां से हर यात्री उसका अवलोकन कर सके। लेकिन किसी भी यात्री बस में किराया सूची नहीं लगी हुई है। इसके इतर बस स्टैंड परिसर में भी किराया सूची सार्वजनिक स्थल पर नहीं लगी है। यात्री प्रतिक्षालय में एक जगह सूची लगाई गई है जहां कम ही यात्री पहुंचते हैं। अधिकांश यात्री सीधे बस में बैठने पहुंच जाते हैं। इस वजह से उन्हें किराया सूची भी नहीं दिखाई देती है।

तय सीट से ज्यादा बैठाते है-

बस संचालक किराया अधिक तो लेते हैं लेकिन कई बार यात्रियों को बैठने की सीट तक नहीं मिलती है। मुनाफा अधिक कमाने के लिए तय सीट से ज्यादा यात्रियों का बस में सफर कराया जाता है। परिवहन विभाग के अनुसार निर्धारित सीट से ज्यादा यात्री को नहीं बैठाया जा सकता है।

आनलाइन पर अधिक किराया-

जबलपुर बस आपरेटर एसोसिएशन के प्रवक्ता संजय शर्मा ने कहा कि कम दूरी वाली बस में किराया निर्धारित है वहीं लिया जाता है। इसकी वजह से प्रतिस्पर्धा है। वहीं लंबी दूरी वाली बसों की बुकिंग आनलाइन होती है जिसमें जरूर निर्धारित किराए से करीब 100 रुपये ज्यादा यात्री को देना पड़ता है। इसमें जीएसटी, सर्विस जार्च और मोबाइल एप का शुल्क जुड़ा हुआ रहता है। उनके अनुसार इंदौर, भोपाल, टीकमगढ़, छतरपुर, छिंदवाड़ा,ग्वालियर के लिए जो बस चलती है उसमें बुकिंग के दौरान अधिक किराया देना पड़ जाता है।

एजेंट का खर्च जोड़कर वसूली-

बस स्टैंड पर यात्री देखकर एजेंट उन्हें बस तक पहुंचाते हैं। बस आपरेटर यात्री के हिसाब से कमीशन देते हैं। कुछ आपरेटर तो निर्धारित किराया ही लेते है। लेकिन कई आपरेटर एजेंट का कमीशन भी 50 से 100 रुपये अतिरिक्त जोड़कर यात्री से किराया वसूल करते हैं।

ये है किराया तय-

रीवा- 400

भोपाल- 450

इंदौर- 600

सागर- 300

बेलखेड़ा- 70

सिवनी- 200

छिंदवाड़ा- 300

नागपुर- 500

ग्वालियर- 600

शहडोल- 400

इलाहाबाद- 600

छतरपुर- 400

राजमार्ग-130

तेंदुखेड़ा- 150

उदयपुरा- 220

दमोह- 150

बरेली- 280

कटनी- 150

मंडला- 150

रायपुर- 500

यात्री ही फाड़ देते हैं सूची

यात्री बसों में किराया सूची चस्पा की जाती है, लेकिन यात्री उसे फाड़ देते हैं। कई बार बस की साफ-सफाई में सूची फट जाती है। वैसे स्थानीय स्तर पर आपरेटर निर्धारित किराया ही वसूल रहे हैं। लंबी दूरी वाली बस में जरूर कुछ किराया बढ़ाकर लिया जाता है।पिंटू तिवारी, अध्यक्ष, बस आपरेटर एसोसिएशन आईएसबीटी

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