3 दिन ना सरकार सोई..ना 18 गांव के लोग …? 304 करोड़ का डैम…
पहाड़ पर जिंदगी, पूजा-पाठ, मंत्रियों का हवाई सर्वे; फिर भी नहीं बचा धार का 304 करोड़ का डैम…
तारीख- 10 अगस्त, दिन बुधवार:
पता चला डैम से रिसाव होने लगा है… और गांव वाले प्रशासन के भरोसे सो गए
धार जिले का कोठीदा गांव, जिसकी सीमा पर 304 करोड़ रुपए लागत से कारम डैम बन रहा है। दोपहर का वक्त है। गांव के जयदीश बार्या घर के बरामदे में बैठकर सुस्ता रहे हैं। अचानक गांव में गाड़ियों की आवाजाही तेज हो जाती है। अफसर जैसे लोग आने-जाने लगे। जयदीश बताते हैं कि इसी बीच मेरा पड़ोसी आया। कहा- दादा तलाव की पाल (गांववाले डैम को यहां तालाब मानते हैं) फूटी गई। सच में तलाव (डैम) फूटी गयो? हम दोनों में बातचीत हो ही रही थी कि गाड़ियों की आवाजाही और बढ़ने लगी। शाम होते-होते टीवी पर ब्रेक्रिंग न्यूज आने लगी। मध्यप्रदेश के धार जिले में कारम डैम में लीकेज हो गया है। गांव के लोग आने वाले संकट से बेखबर हैं। गांव वाले प्रशासन के भरोसे सो गए।
तारीख 11 अगस्त, दिन गुरुवार :
गांव खाली करने की मुनादी, लोग बोले– क्या हम भी हरसूद हो जाएंगे भाई
सुबह होते-होते डैम में छेद होने की खबर जिला प्रशासन के आला अफसरों तक पहुंची। धार कलेक्टर पंकज जैन अमले के साथ मौके पर पहुंचते हैं। पानी के दबाव से लीकेज ज्यादा होने लगा। कलेक्टर ने पोकलेन बुलवाई और लीकेज को बंद करने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। जब प्रशासन को लगा कि स्थिति बेकाबू हो सकती है, तो तत्काल मंत्रियों और मुख्यमंत्री तक खबर पहुंचाई गई। खबर सुनते ही धार से लेकर भोपाल तक हड़कंप मच गया। सीएम ऑफिस से आदेश मिला कि कारम नदी से सटे और निचले हिस्से के गांवों को खाली कराया जाए।
गांवों में मुनादी की गई। लोगों को धामनोद के सरकारी स्कूल में बने कैम्पों में शिफ्ट किया जाने लगा, जो वहां जाने तैयार नहीं हुए, उन्हें पहाड़ों पर जाने के लिए कह दिया गया। कारम डैम के आसपास के सारे ग्रामीण भूल गए थे कि आज रक्षाबंधन है। वो तो तेज बारिश के बीच जान बचाने के लिए घर छोड़ने के लिए मजबूर होने लगे। 15 अगस्त से पहले यहां भी वैसे ही दृश्य नजर आने लगे जो बंटवारे के समय नजर आए थे। लोग पोटलियों में सामान लेकर पैदल या गाड़ियों में जा रहे थे। पहाड़ पर तिरपाल के तंबुओं में रहने वाले लोग आपस में बात कर रहे थे कि कहीं हम भी ‘हरसूद’ तो नहीं हो जाएंगे। हरसूद, खंडवा जिले का एक कस्बा था जो इंदिरा सागर डैम के कारण 2004 में हमेशा के लिए डूब गया था।
तारीख 12 अगस्त, दिन शुक्रवार :
एयरफोर्स के हेलिकाप्टर और सेना को स्टैंडबाय पर रखा
राज्य में आजादी के महोत्सव को मनाने की तैयारियां लगभग अंतिम चरण में थीं। लीकेज के दो दिन बाद भी सरकार हार मानने के लिए तैयार नहीं थी। देर शाम तक मुरुम और मिट्टी से इस लीकेज को फिर पाटने की कोशिश शुरू हुई, लेकिन दीवार में लगे पत्थरों और मिट्टी के बीच लापरवाह इंजीनियरिंग का ऐसा सुराख था कि वो बंद होने की जगह रिसाव के नए रास्ते खोज रहा था। सीएम शिवराज के आदेश पर शाम होते-होते इंदौर से जलसंसाधन विभाग के मंत्री तुलसी सिलावट अपने साथी मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव के साथ मौके पर पहुंच गए।
मौके की नजाकत को देखते हुए भोपाल में भी सीएम ने हाईलेवल मीटिंग बुलाई। सरकार को लगा कि कभी भी डैम की दीवार बह जाएगी, इसलिए उसने एयरफोर्स के 2 हेलिकाप्टर और सेना को स्टैंडबाय मोड पर रखने का निर्णय लिया। राज्य का आपदा नियंत्रण (SDRF) बल मिशन कारम के लिए रवाना हो चुका था। राष्ट्रीय आपदा नियंत्रण बल (NDRF) की चार कंपनियां भी गुजरात के गांधी नगर और वड़ोदरा से रवाना हो चुकी थीं। तब तक अफसरों ने तय कर लिया था कि डैम को फूटने से बचाने के लिए इसके एक किनारे से कैनाल बनाकर जलस्तर कम करना शुरू किया जाए। मशीनें पहुंचीं और ताबड़तोड़ काम शुरू हो गया।
तारीख,13 अगस्त, दिन शनिवार :
रिसाव थम नहीं रहा था, रात में नहर तैयार हो गई
लीकेज बंद नहीं होने की खबर सुनकर हम भी चौकन्ने थे। इस आपदा को कवर करने के लिए भोपाल से रवाना हो गए। रातभर एबी रोड के ट्रैफिक जाम और इधर-उधर के रास्तों पर पुलिस की रोकटोक के बीच हम भी अलसुबह 5.30 बजे टूटते हुए डैम को रिपोर्ट करने पहुंच चुके थे। डैम की दीवारों से रिसाव तेज होने लगा था। ठीक उसी समय राष्ट्रीय आपदा बचाव दल के सदस्य भी पहुंचने लगे। मौके पर तहसीलदार और पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रात 12 बजे तक मंत्री और कलेक्टर-एसपी यहीं डेरा डाले रहे। थोड़ी देर में फिर पहुंचने वाले हैं।
एक के बाद एक नई पोकलेन मशीनें आती रहीं। अब तक 6 मशीनें आ चुकी थीं। कैनाल का काम और रफ्तार पकड़ चुका था। पोकलेन मशीनों के सामने प्लास्टिक की कुर्सियों पर डटे मंत्री और अफसरों को भरोसा था कि वे पानी का रास्ता रोक लेंगे। थोड़ी ही देर में मीडिया में कैनाल के काम शुरू होने वाले वीडियो दिखाए जाने लगे।
धार के 12 और खरगोन के 6 गांवों को खाली कराया
दोपहर के करीब 2 बजे थे, अब सेना के मेजर भी अपने साथियों के साथ पूरे क्षेत्र का मेजरमेंट करने में जुट गए थे। वे अंदाजा लगा रहे थे कि यदि दीवार धंसी तो उन्हें सबसे ज्यादा फोकस किस एरिया में करना है। उधर, ऐहतियात के तौर पर धार जिले के 12 और खरगोन के 6 गांवों को खाली करा लिया गया था। हम नजदीक के फसपुरा गांव में पहुंचे। कई लोग यहां अपना घर छोड़ने को तैयार नहीं थे। प्रशासन के लोग यहां उन्हें आंखें दिखाकर कैंप में जाने को कह रहे थे। जब ग्रामीणों को लगा कि कुछ नहीं होगा तो वे अपने जानवरों को लेकर पास ही के पहाड़ पर चले गए। कुछ लोग खाने-पीने के इंतजामों के लिए घर पर ठहरे हुए थे। यहीं एक गली में एक पक्के मकान की छत पर लोग चढ़े हुए थे। नीचे कुछ महिलाएं और बच्चे थे। मेन रोड वाले हिस्से में जो जहां नजर आया, सेना के जवान उसे अपनी गाड़ी में बैठाकर कैंप तक छोड़कर आए। लोग अपनी गाय, बैल, बकरी और मुर्गे-मुर्गियों की दुहाई देते रहे, लेकिन उनसे कहा गया कि या तो वे कैंप में चलें या जानवरों को लेकर पहाड़ पर चले जाएं। मुख्य सड़कों पर सिर्फ पुलिस की गाड़ियों के सायरन और लाउडस्पीकर की चेतावनी सुनाई पड़ रही थी।
मंत्री और अफसरों ने मां नर्मदा की आराधना शुरू की
जब इंसान का बस नहीं चलता तो ईश्वर ही एक सहारा होता है। यहां भी ऐसा ही हुआ। धार्मिक प्रवृत्ति के नेताओं ने मां नर्मदा की आराधना शुरू की। त्वदीय पाद पंकजम… नर्मदा अष्टकम सुनाई देने लगा। अफसरों और मंत्रियों ने नदी को चुनरी चढ़ा दी। डैम पर बने कैंप में मंत्री और अफसर खुश दिख रहे थे जैसे उनकी प्रार्थना सुन ली गई हो। आखिरकार पोकलेन मशीनों ने कैनाल के रास्ते में आई चट्टानों को ऐसे पीसा कि डैम का पानी उनके मनमाफिक रास्ते से बहने को तैयार था। रात 9.30 बजे होंगे, डैम की दीवार के पास ही एक ऐसी कैनाल बनकर तैयार थी, जिससे पानी का फ्लो शुरू हो चुका था। रात 10 बजे फिर गांवों में मुनादी करा दी गई। जो लोग किसी काम से गांव आए थे, उन्हें भी गाड़ियों में भरकर कैंप में ले जाया जाने लगा। रातभर नेता, अफसर और मीडिया के लोग यहां डटे रहे।
तारीख 14 अगस्त, दिन रविवार
डैम से पानी का सैलाब, एबी रोड पर ट्रैफिक रोका
शनिवार पूरी रात कैनाल के रास्ते पानी बाहर निकालने की कवायद जारी थी। मैं भी पूरी रात इस अंदेशे में जागता ही रहा कि पता नहीं, कब क्या हो जाए। सुबह 6 बजते-बजते पानी ने कैनाल की चौड़ाई को दो गुना कर दिया। सुबह 7.30 बजे कैनाल की दीवार से मिट्टी हटाकर पानी का बहाव और बढ़ाया गया। अब ऐसा लग रहा था कि पानी हलचल के साथ अपना रास्ता बना रहा था। 8 बजे ईएनसी एमएसी डाबर ने कहा कि हम धीरे-धीरे पानी का बहाव बढ़ाएंगे। 9 बजे तक डैम से निकल रहे पानी की गति रफ्तार पकड़ चुकी थी। कैनाल के लिए बने टीले की दीवार की मिट्टी भी साथ छोड़ रही थी। सिलावट और दत्तीगांव के साथ धार जिले के प्रभारी मंत्री प्रभुराम चौधरी भी यहां पहुंचे। मंत्रियों ने हेलिकाप्टर से प्रभावित क्षेत्र का मुआयना किया।
शाम 5 बजते-बजते वही हुआ, जिसका डर था। टीले की मिट्टी पहले ही 30 प्रतिशत से ज्यादा ढह चुकी थी, धीरे-धीरे पानी के बहाव में पूरा टीला ही बह गया। डैम का पानी सैलाब की तरह बाहर आया। देखते ही देखते कारम नदी में उफान आ गया। किसका क्या-क्या बह गया, अभी हिसाब बाकी है। खेतों में खड़ी फसलें डूब गईं। जानवरों का हिसाब अलग है। उधर, एबी रोड पर शाम को ट्रैफिक रोक दिया गया। एबी रोड की पुलिया के काफी नजदीक तक पानी आ गया। आर्मी और आपदा बल के जवान बोट और रस्सियां लिए मोर्चा संभाले रहे, लेकिन अच्छी बात ये रही कि रात 9 बजे से पहले पहले डैम का पानी डेड स्टोरेज लेवल तक पहुंच गया था। सरकार इसी निशान तक पानी आने का इंतजार कर रही थी। रात को सीएम शिवराज ने ऐलान किया कि अब खतरा टल गया है। लोग अपने घरों में जा सकते हैं।