2024 में PM मोदी को चुनौती देकर क्या हासिल करना चाहते हैं केजरीवाल?
केजरीवाल की पीएम पद पर दावेदारी में तभी कोई वजन आ सकता है, जब विपक्ष उन्हें अपना नेता स्वीकार कर ले, लेकिन नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर जैसे राजनीतिक तौर पर ज्यादा ताकतवर नेताओं के होते केजरीवाल के विपक्षी दलों के नेता के रूप में उभरने की संभावना भी बहुत ज्यादा नहीं दिखती।
सीबीआई की छापेमारी के बाद दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी कर दिया गया है। एक्साइज पॉलिसी मामले में हुई कथित वित्तीय अनियमितताओं का पता लगाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी इस मामले की जांच कर सकता है। इससे दिल्ली सरकार और मनीष सिसोदिया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आम आदमी पार्टी इस कार्रवाई को अरविंद केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता को रोकने की कोशिश बता रही है। वह अभी से एलान करने लगी है कि 2024 का लोकसभा चुनाव ‘मोदी बनाम केजरीवाल’ होगा। केवल दिल्ली और पंजाब में राजनीतिक बढ़त रखने वाली पार्टी के इस दावे के क्या मायने हैं?
आम आदमी पार्टी केवल सात लोकसभा सीटों वाली दिल्ली और 13 लोकसभा सीटों वाले राज्य पंजाब में प्रभावी भूमिका में है। इसमें भी भाजपा 2014 और 2019 में दिल्ली की सातों सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही है। दो बार विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी लोकसभा में अपना खाता खोलने में भी असफल रही है। इसी प्रकार पंजाब में 2014 के लोकसभा चुनावों में उसने चार सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीते लोकसभा चुनाव में वह केवल भगवंत मान की संगरूर सीट बचाने में सफल रही थी।
यह मान भी लें कि वह दिल्ली और पंजाब में शानदार सफलता हासिल करती है तो भी उसकी दावेदारी अधिकतम 20 सीटों पर जाकर रुक जाती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की अगुवाई वाली लोकसभा में 303 सीटों वाली भाजपा को चैलेंज करने की स्थिति में नहीं आती। केजरीवाल की पीएम पद पर दावेदारी में तभी कोई वजन आ सकता है, जब विपक्ष उन्हें अपना नेता स्वीकार कर ले, लेकिन नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर जैसे राजनीतिक तौर पर ज्यादा ताकतवर नेताओं के होते केजरीवाल के विपक्षी दलों के नेता के रूप में उभरने की संभावना भी बहुत ज्यादा नहीं दिखती। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस दिल्ली में हाथ जला लेने के बाद केजरीवाल को राष्ट्रीय स्तर पर कोई अवसर देने की गलती भी नहीं करेगी। फिर आम आदमी पार्टी इस तरह की दावेदारी कर क्या हासिल करना चाहती है?
गुजरात चुनाव को प्रभावित करने की रणनीति
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अरविंद केजरीवाल की गुजरात-हिमाचल विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को ज्यादा प्रासंगिक बनाने की सोची-समझी रणनीति हो सकती है। कांग्रेस की कमजोर तैयारी के बीच आम आदमी पार्टी को गुजरात में कुछ बेहतर संभावनाएं दिखाई पड़ रही हैं। पार्टी ने पंजाब चुनाव को जिताने वाले अपने रणनीतिकार संदीप पाठक के फीडबैक पर राज्य में बेहतर चुनाव लड़ने की ओर बढ़ रही है। वह इस चुनाव में दिल्ली या पंजाब जैसी करिश्माई सफलता की उम्मीद भी नहीं रखती, लेकिन यदि वह गुजरात में दूसरे नंबर की पार्टी भी बनने में सफल होती है तो यह उसकी बड़ी सफलता होगी। इससे केजरीवाल गुजरात के आधार पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर सीधा हमला बोलने में सफल हो जाएंगे और इस स्थिति में उनकी आवाज का कहीं ज्यादा महत्व होगा।
आम आदमी पार्टी जिस तरह से गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा जैसे राज्यों में मेहनत कर रही है, उसके एक-दो राज्य में भी ज्यादा मजबूत हो जाने से केजरीवाल की 2029 में पीएम पद की दावेदारी कहीं ज्यादा मजबूत हो जाएगी। इस मजबूत संभावना वाली परिस्थिति में केवल एक राज्य तक सिमटी ममता बनर्जी या नीतीश कुमार भी केजरीवाल से ज्यादा मजबूत दावा नहीं ठोंक पाएंगे। लिहाजा माना जा सकता है कि आम आदमी पार्टी का यह दावा बहुत सोचा-समझा हुआ दांव है जिसके परिणाम भविष्य में दिखाई पड़ सकते हैं।
मुंगेरीलाल के सपने देख रहे केजरीवाल: भाजपा
दिल्ली भाजपा के महामंत्री हर्ष मल्होत्रा ने अमर उजाला से कहा कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को मुंगेरीलाल की तरह हसीन सपने देखने की आदत है। वे 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पीएम पद की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उनकी पार्टी के सभी नेता केवल अपनी जमानत गंवाने का रिकॉर्ड बनाते हुए दिखाई पड़े। उन्होंने कहा कि इसी तरह आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और गोवा में भी लड़ने की कोशिश करती रही है, लेकिन हर जगह उसने केवल जमानत जब्त होने का रिकॉर्ड ही बनाया है।
हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि सच्चाई तो यह है कि पंजाब में उसके पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में जेल में हैं तो दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी भ्रष्टाचार के मामले में दो महीने से जेल में हैं। एक्साइज पॉलिसी में जिस तरह के भ्रष्टाचार का गंभीर मामला उजागर हुआ है, अरविंद केजरीवाल के खास सहयोगी मनीष सिसोदिया का जेल जाना भी तय है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा मॉडल पर भी गंभीर सवाल हैं और आने वाले समय में दिल्ली सरकार उस पर भी घिर सकती है।
अपना राजनीतिक असर खो देगी आप
भाजपा नेता मल्होत्रा ने कहा कि अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की भ्रष्ट राजनीति के सामने स्वयं को ईमानदार होने की बात कहकर राजनीति में आए थे। लेकिन जिस तरह उसके एक-एक नेता भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में जेल में जा रहे हैं, उनकी कलई खुल गई है। उन्होंने कहा कि देश की जनता इस तरह के भ्रष्ट विकल्प को कभी पसंद नहीं करेगी और आम आदमी पार्टी जल्द ही अपना राजनीतिक असर खो देगी।