IPS अशोक कुमार राय को गिरफ्तार करने का आदेश …?

दहेज हत्या के मामले में हाजिर न होने पर न्यायालय ने लगाया 100 रूपया का अर्थदण्ड …

शहर कोतवाली में दहेज हत्या का मामला 2012 में सन्तोष कुमार के खिलाफ दर्ज कराया गया था । उसकी विवेचना तत्कालीन सीओ सिटी के पद पर तैनात IPS अशोक कुमार राय ने की थीं । विवेचक साक्षी अक्टूबर 2017 में न्यायालय द्वारा तामिला जारी होने के बाद भी उपस्थित नहीं हुए । 58 माह से कोर्ट में हाजिर में न होकर न्यायालय की प्रक्रिया को बाधित रखा है।

आईपीएस अशोक कुमार राय के खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित प्रथम वायु नंदन मिश्र ने गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने का आदेश दिया है । इसके साथ ही डीजीपी कार्यालय में तैनात IPS के वेतन में से 100 अर्थदंड के रूप में हैं रोकने का निर्देश कोषाधिकारी लखनऊ को दिया है । कहा है कि अर्थदंड के रूप में 100 रुपए की धनराशि कटौती कर 20 दिन में न्यायालय में जमा कराएं ।

सीओ के रूप में किया था विवेचना

मामला वर्ष 2012 में हुए दहेज हत्या के प्रकरण से जुडा हुआ हैं। उस दौरान आईपीएस अशोक कुमार राय जिले में सीओ सिटी के पद पर तैनात थे । मामले की विवेचना उन्होंने की थी । इसके बाद वह प्रदेश के सोनभद्र, मैनपुरी और लखनऊ में तैनात रहे।

58 माह से हैं कोर्ट को इंतजार

कोर्ट ने 25 अक्टूबर 2017 को जमानती, गैर जमानती समन जारी किया था । उसके बाद भी 58 माह से अनुपस्थित रहकर न्यायालय की प्रक्रिया बाधित रख रहे हैं । 20 मई 2021 और 23 नवंबर 2021 को जारी वारंट में व्यस्तता के कारण सूचना दी । इसके बाद 25 अगस्त 2022 को गैर जमानती नोटिस जारी किया गया । सूचना के बाद भी डीजीपी कार्यालय लखनऊ में तैनात आईपीएस उपस्थित नहीं हुए । अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम वायु नंदन मिश्र ने कहा कि साक्षी का यह कृत्य खेद जनक है । पुलिस विभाग में वरिष्ठ पद पर ऐसा आचरण करने से प्रतीत होता है कि न्यायालय के आदेश के प्रति उदासीनता बरतने की कोशिश कर रहा है ।

न्यायालय की तल्ख टिप्पणी

दहेज हत्या गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है । मामले के निस्तारण में विलंब करना पीड़ा दायक है। आइपीएस निंदा और भर्त्सना के पात्र है । जो न्यायिक प्रक्रिया में जानबूझकर व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं । न्यायालय की अवज्ञा करने पर दंड दिया जाना न्यायोचित होगा ।

व्यक्तिगत रुचि लेकर करें गिरफ्तार 23 को करें हाजिर

गैर जमानती नोटिस जारी कर पुलिस महानिदेशक को व्यक्तिगत रुचि लेकर साक्षी को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष उपस्थित करने का आदेश दिया है । 29 सितंबर 2022 को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो न्यायालय अवमानना की कार्रवाई मानते हुए पुलिस अधिकारी खिलाफ उच्च न्यायालय को प्रेषित किया जाएगा ।

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