ब्लास्ट से कांप गया था फ्लाईओवर और इमारतें …?
आईआईटी चेन्नई कर रही एनालिसिस, ब्लास्ट की आवाज या मलबा थी वजह …
उन्होंने 8 स्थानों पर वाइब्रेशन चेक करने के लिए अपनी मशीन लगाई थी। एडिफिस कंपनी के उत्कर्ष ने बताया कि दो सप्ताह के एनालिसिस के बाद रिपोर्ट आएगी। जिसे प्राधिकरण में सबमिट किया जाएगा।
ब्लास्ट के समय ध्वनि का स्तर 110 डेसिबल था
प्राधिकरण के वरिष्ठ प्रबंधक मुकेश कुमार वैश्य ने बताया, “ब्लास्ट के दौरान वाइब्रेशन होना आम बात है। जो कंपन फ्लाईओवर, बालकनी या टैरेस पर हुआ वो आवाज की वजह से हुआ। जिस समय ब्लास्ट किया गया, उसके ठीक 10 मिनट पहले ध्वनि का स्तर 65 डेसिबल था। ब्लास्ट के दौरान ये 110 डेसिबल के आसपास था। ऐसे में इसकी आवाज से ही कंपन हुआ है। जो लोग जमीन पर थे वहां कंपन महसूस नहीं किया गया।
ब्लास्ट से पहले ब्रिटेन की कंपनी ने की थी स्टडी
एडिफिस ने ब्रिटेन की कंपनी से वाइब्रेशन लेवल का आकलन करने के लिए कहा था। कंपनी के एजेंसी ने दोनों टावरों को विस्फोट से गिराने में नीचे आने वाले संभावति समय, हवा के दबाव और जमीन से उत्पन्न कंपन, विस्फोट डिजाइन, 2 टावरों के वजन और ऊंचाई को लेकर स्टडी की और अपनी रिपोर्ट तैयार की।
रिपोर्ट के अनुसार
- विस्फोट के बाद 10 मीटर की दूरी तक जमीन के कंपन का स्तर 22 मिमी (मिलीमीटर प्रति सेकंड) से 34 मिमी प्रति सेकंड था
- 20 मीटर पर 16 से 24 मिमी था
- अधिकतम 100 मीटर की दूरी पर 3 मिमी से 5 मिमी तक की संभावना व्यक्त की गई थी।
- यहां सबसे निकटतम आवासीय रिसेप्टर एस्टर 2 का 12 मंजिला टॉवर था। जो एपेक्स से सिर्फ 9 मीटर की दूरी पर था।
- नुकसान भी इसी टावर में हुआ
एस्टर-2 के मेन गेट का पिलर टूटा
एस्टर-2 का मेन गेट के पिलर टूट गया है। वजह मलबा भी हो सकती है। एक्स्पर्ट इसे धूल और मलबे के कारण होने वाला नुकसान बता रहे हैं। 2 सप्ताह में आने वाली रिपोर्ट ही ये बता सकती है कि इसके टूटने की वजह क्या रही। रही बात शीशे टूटने की वह ब्लास्ट की आवाज से ही टूटे।