महिला डाक्टर व नर्स भूमिगत, कार्रवाई की बजाय पत्राचार कर रहा स्वास्थ्य विभाग

जिम्मेदार सरकारी महिला डाक्टर अनीता श्रीवास्तव पर विभाग के अधिकारी मेहरबान हैं।

ग्वालियर, …मुरार जच्चा खाने में डिलीवरी के लिए भर्ती कराई गई गर्भवती महिला को पैसों के लालच में रुद्राक्ष हास्पिटल भेजकर गर्भ में ही शिशु की जान लेने वालीं महिला डाक्टर और नर्स भूमिगत हो गई हैं। पुलिस महिला डाक्टरों के दफ्तर और अस्पताल पहुंची, जहां से यह गायब मिलीं। उधर इस पूरे मामले की जिम्मेदार सरकारी महिला डाक्टर अनीता श्रीवास्तव पर विभाग के अधिकारी मेहरबान हैं। उस पर सख्त कार्रवाई करने की जगह आपस में पत्राचार कर रहे हैं। इससे यह भी स्पष्ट है कि सरकारी महिला डाक्टर को अब विभाग के अधिकारी भी बचाने में लग गए हैं। पुलिस अफसरों का कहना है- इस मामले में जल्द से जल्द महिला डाक्टर, नर्स सहित सभी आरोपितों को गिरफ्तार किया जाएगा।

मुरार की रहने वाली प्राची शर्मा काे नवंबर 2021 में प्रसव होना था। 20 नवंबर को प्राची के स्वजन प्रसव पीड़ा होने पर उसे मुरार जच्चा खाने ले गए थे। यहां डा.अनीता श्रीवास्तव मिली, उसने महिला के स्वजनों से कहा- यहां आइसीयू में सुविधा नहीं है, रुद्राक्ष हास्पिटल में वह खुद आपरेशन कर देगी। महिला को वहां भर्ती करा दिया, ड्रिप लगाने के बाद डा.अनीता घर जाकर सो गई। रातभर महिला प्रसव पीड़ा से तड़पती रही, इसके चलते नर्स ने पेट दबाकर नार्मल डिलीवरी की कोशिश की, जिससे गर्भाशय फट गया और गर्भ में ही शिशु की मौत हो गई। शिशु की मौत होने के बाद महिला का इलाज किए बगैर ही उसे डा.अनीता श्रीवास्तव, डा.ज्योत्सना सिंह और डा.मनप्रीत कौर ने रैफर कर दिया। महिला की हालत इतनी बिगड़ गई कि वह करीब एक माह तक तो वेंटीलेटर पर ही रही थी। अपोलो स्पैक्ट्रा अस्पताल में महिला को भर्ती कराया, लंबा इलाज चला तब जाकर उसकी जान बच पाई। प्राची के स्वजनों ने सीएमएचओ से लेकर पुलिस अफसरों तक से शिकायत की। सीएमएचओ की जांच समिति की रिपोर्ट पर शुक्रवार को डा.अनीता श्रीवास्तव, डा.ज्योत्सना सिंह, डा.मनप्रीत कौर, अस्पताल संचालक डा.संजीव शर्मा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पलता, नर्स प्रभा और मीना पर गैर इरादतन हत्या, धोखाधड़ी, आपराधिक षड़यंष सहित अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज की। मुरार थाना प्रभारी शैलेंद्र भार्गव ने बताया कि तीनों आरोपित महिला डाक्टर और नर्स की तलाश में पहुंचे, लेकिन अस्पतालों से यह गायब मिलीं। सीएमएचओ को पत्र लिखकर इस जांच रिपोर्ट के मूल दस्तावेज मांगे हैं। आरोपितों को जल्द ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।

लेप्रोस्कोपी सर्जन प्रसूताओं को भेजती थी निजी अस्पतालः डा.अनीता श्रीवास्तव लेप्रोस्कोपी सर्जन है। उस पर महिला नसबंदी करने की जिम्मेदारी थी। सप्ताह में दो दिन ही उसकी ड्यूटी मुरार जच्चा खाने में रहती थी। यहां वह गर्भवती महिलाओं के स्वजनों को यहां स्थिति खराब बताकर निजी अस्पताल भेजती थी।

महिला डाक्टर को ऐसे बचा रहा विभागः सीएमएचओ डा.मनीष शर्मा का कहना है कि महिला डाक्टर अनीता श्रीवास्तव का कृत्य बहुत ही गंभीर है। इसलिए कार्रवाई के लिए राज्य स्वास्थ्य एवं प्रबंधन संस्थान के डायरेक्टर डा.डीडी शर्मा को तीन माह पहले पत्र लिख दिया था। क्योंकि महिला डाक्टर वहीं पदस्थ है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। जब उस पर एफआइआर की तैयारी हो गई तो डायरेक्टर डा.डीडी शर्मा ने सीएमएचओ को वापस एक पत्र लिखा। जिसमें लिखा कि महिला डाक्टर प्रथम श्रेणी अधिकारी है, इसलिए कार्रवाई का अधिकार उन्हें नहीं है। यह पत्र तीन माह बाद लिखा गया है।

 

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