300 करोड़ का डैम बहा …!

मैं धार का कारम डैम। आबाद होने से पहले मेरी बर्बादी की दास्तां सबने सुन तो ली, देख तो ली। कई खबरें छपीं, VIDEO बने। आठ इंजीनियर हटा दिए गए। ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया। सरकार ने वादे किए, दावे किए और बस हो गया?

हां, यही सच है। बस हो गया…। अब अकेला हूं। अस्तित्व के लिए लड़ रहा हूं। जहां दिन-रात मशीनों का जमावड़ा था, वह सब थमी हैं। लहरों की सरसराहट से वादियां गूंजती थीं, वह भी खामोश है। मेरे उजड़ने की तस्वीरें बहुत भयावह हैं। मुझे अपने हाल पर छोड़कर सब लौट गए।

301 करोड़ की लागत का कारम डैम, जो बनने से पहले ही फूट गया शायद यही कहना चाहता होगा। जानिए अब वहां क्या बचा है, पहले पढ़िए दैनिक भास्कर की कारम डैम से ग्राउंड रिपोर्ट में। साथ में ही जानिए जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट अब आगे क्या करने जा रहे हैं, जो उन्होंने खुद बताया…

डैम में नालियों की तरह बह रही पानी की धार
अब यहां पानी को पूरी तरह बहने के लिए छोड़ दिया गया है। पानी तीन नालियों से होते हुए चैनल से बह रहा है। डैम के पाल वाले लीकेज स्पॉट्स भी उसी हालत में छोड़ दिए गए हैं। कंपनी के कैम्पस में अब कोई नहीं मिला। सारी मशीनरी खड़ी कर दी गई है। कोई काम नहीं होता मिला। लोकल रहवासियों का कहना है कि 11 अगस्त को डैम फूटा था, तब सूचना दी थी। इसके बाद काम चला। अब यहां कोई नहीं आता। ढाई सौ से ज्यादा कर्मचारियों, मजदूर, ड्राइवर और अन्य स्टाफ का पलायन हो चुका है।

जो जिस हाल में था, घर छोड़कर निकल पड़ा था…

डैम फूटने की आशंका से आसपास के गांव खाली करा दिए गए थे। घबराए हुए ग्रामीण जिस हालत में थे, उसी में राहत शिविरों के ओर चल पड़े थे।

16 गांवों के लोग घरों में लौटे
डूब प्रभावित इलाकों में धार, खरगोन के 16 गांवों के लोग अपने घर लौट आए हैं। वे पहले की तरह रह रहे हैं, क्योंकि डैम में पानी नहीं है। उन्हें यही डर है कि यदि फिर से डैम में जब भी पानी भरेगा, वही खौफ फिर पैदा हो जाएगा। मौके पर घूमते मिले एक मजदूर अजय भामर ने ने बताया कि इस डैम में जानापाव, सराय और नालछी नदी का पानी आता है। जिस स्थान से डैम फूटा था, उसके सामने की ओर भाटपुरा, ताथापानी, पीपलावद, इमलीपुरा, भांडाफोड़, जांगीरपुरा, गुजरी, सिमराली आदि गांव हैं। यहां तबाही हो जाती। भाटपुरा के ही मनोज ने बताया कि डैम खाली कराने के बाद यहां काम बंद पड़ा है।

जहां पानी का फ्लो था, वहां वेस्ट वियर ही नहीं बनाया
खास बात यह कि डैम का वेस्ट वियर (निर्माणाधीन) जिस ओर बनाया है, वहां पानी का बहाव कम था। यही वजह थी कि वेस्ट वियर की विपरीत दिशा में डैम की पाल को फोड़कर चैनल बनाना पड़ी। अभी भी जितना पानी आ रहा है, वो इसी रास्ते से बह रहा है।

डैम के निर्माण से कंपनी के ब्लैकलिस्ट होने तक…

डैम का निर्माण दिल्ली की कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन प्रा.लि. कर रही थी। 10 अक्टूबर 2018 से बन रहे इस डैम को 36 महीने में बनकर पूरा होना था। हालांकि, कोरोना काल के चलते दो साल इसका काम बंद रहा। डैम का जल संग्रहण क्षेत्र 183.83 वर्ग किमी है। लंबाई 564 मीटर और चौड़ाई 6 मीटर है। जल भरण क्षमता 43.98 मीट्रिक घन मीटर रखी जाना है, लेकिन डैम में लीकेज होने से जगह-जगह से पानी निकलने लगा है।

डैम के बनने के बाद करीब 8 से 11 हजार हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी मिलना है। शुरू से ही ग्रामीण मुआवजा राशि के लिए आंदोलन और भूख हड़ताल करते रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई और इस परियोजना से 8 गांव की जमीन डूब में गई। बाद में डैम फूट जाने से कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।

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