कन्याकुमारी – RSS और कांग्रेस : जानिए वो कहानी जो 1963 में शुरू हुई थी…
डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन से राहुल गांधी ने तिरंगा लेकर इस यात्रा की शुरुआत की. डीएमके वही पार्टी है जिसने तमिलनाडु में कांग्रेस को हमेशा के लिए सत्ता से बाहर कर दिया था.
अब कहानी पढ़िए
कहानी शुरू होती है 1963 से और नायक का नाम है एकनाथ रानाडे, तब के RSS के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख और सर्वोच्च नेताओं में एक, स्वामी विवेकनंद के जन्म के सौ साल पूरे हो रहे थे, तब उन्होंने स्वामी विवेकानंद के लेखों को ‘ हिंदू राष्ट्र के लिए प्रखर पुकार ‘ शीर्षक से नाम से संपादित किया. उसी वर्ष उन्होंने कन्याकुमारी में सागर के मध्य में विवेकानंद के ध्यान स्थल पर एक स्मारक के निर्माण की कल्पना की. गुरु गोलवरकर और संघ के अन्य पदाधिकारियों के चर्चा के बाद उन्होंने विवेकानंद रॉक मेमोरियल कमेटी का गठन किया. वो इस संस्था के संगठन सचिव बने.
संघ ने जुटाए आर्थिक संसाधन
संघ ने पूरे देश में इस निर्माण के लिए आर्थिक संसाधन जुटाने शुरू किए, हालांकि इस निर्माण प्रस्ताव को तब के शिक्षा और संस्कृति मंत्री हुमायूं कबीर ने जबरदस्त विरोध करते हुए अस्वीकार क्या दिया, तब रानाडे ने संसद के 300 सदस्यों का समर्थन हासिल किया और तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसको सहमति दे दी. सहमति मिलने के बाद रानाडे स्वयं सेवकों और दान दाताओं की मदद से पूरे देश में एक सफल अभियान चलाया, राज्य और केंद्र सरकारों ने भी इसमें योगदान दिया और करीब सवा करोड़ रुपए का फंड जमा किया गया.इस तरह से विवेकानंद रॉक मेमोरियल 1970 में बनकर तैयार हुआ
समय का चक्र देखिए
2022 में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा यहीं से शुरू हो हुई. यात्रा संघ और भाजपा के खिलाफ है और कांग्रेस की इस यात्रा को DMK का समर्थन है. डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन से राहुल गांधी ने तिरंगा लेकर इस यात्रा की शुरुआत की. डीएमके वही पार्टी है जिसने तमिलनाडु में कांग्रेस को हमेशा के लिए सत्ता से बाहर कर दिया था.