उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वे आज से …

आय-खर्च समेत कई चीजों की होगी जांच ……
यूपी के हर जिले में छात्रों-शिक्षकों की संख्या के साथ ही मदरसे की आय के श्रोत आदि की जानकारी भी इकट्ठी की जाएगी. शासन ने निर्देश दिया है कि 5 अक्टूबर तक सर्वे का काम पूरा करके 25 तक शासन को रिपोर्ट भेजी जाए.

उत्तर प्रदेश में ग़ैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे आज से शुरू हो रहा है. इसमें जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी अपनी टीम के साथ मदरसों का सर्वे करेंगे. टीम में प्रशासन, शिक्षा विभाग के अलावा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लोग रहेंगे. सर्वे के दौरान यूपी के हर जिले में छात्रों-शिक्षकों की संख्या के साथ ही मदरसे की आय के श्रोत आदि की जानकारी भी इकट्ठी की जाएगी. शासन ने निर्देश दिया है कि 5 अक्टूबर तक सर्वे का काम पूरा कर 25 अक्टूबर तक शासन को रिपोर्ट भेजी जाए.

मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला

दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने 31 अगस्त को राज्य के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांचने के लिए उनका सर्वेक्षण कराने का फैसला किया था. राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बताया था कि राज्य सरकार ने मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक, प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण कराने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि इसे जल्द ही शुरू किया जाएगा.

मदरसे से जुड़ी सारी सुचनाएं इकट्ठा की जाएंगी

मंत्री ने बताया था कि सर्वेक्षण में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है इसकी जानकारी, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, शिक्षकों की संख्या, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.

560 मदरसों को सरकारी अनुदान

उनसे पूछा गया था कि क्या राज्य सरकार इस सर्वेक्षण के बाद नए मदरसों को मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू करेगी, तो राज्य मंत्री ने कहा कि अभी सरकार का मकसद सिर्फ गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा करना है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इस वक्त कुल 16,461 मदरसे हैं जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है. प्रदेश में पिछले छह साल से नए मदरसों को अनुदान सूची में नहीं लिया गया है.

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