श्याेपुर : मैं कूनो … !
मैं कूनो…:चीतों के स्वागत को आतुर हूं, मेरे आंचल में तेंदुए, भालू, लकड़बग्घा, सांभर और पक्षियों के साथ जड़ी बूटियां भी …
मैं कूनो नदी… मुझसे ही कूनो नेशनल पार्क की पहचान है। गुना जिले के पटई गांव से निकली मैं नेशनल पार्क के बीच से होकर बहती हूं। मेरे दोनों तरफ 75 किमी का जंगल ही जंगल है। ये विंध्य शृंखला में आता है। मैं सेसईपुरा से शुरू होकर वीरपुर के पास तक बहती हूं। चीतों के यहां आने से मैं बहुत खुश हूं। कारण, देश के साथ-साथ मेरा नाम भी 17 सितंबर 2022 का दिन इतिहास में दर्ज हो जाएगा।
पहली बार ही प्रधानमंत्री मेरे जंगल में आ रहे हैं। वे नामीबिया से लाए जा रहे चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे। मेरे कूनो नेशनल पार्क को चीतों के लिए चुना गया क्योंकि यहां के जंगल हर तरह से समृद्ध हैं। मैं खुश हूं कि अब मेरे आंचल में देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आएंगे और मेरी आबोहवा में कुछ वक्त बिताएंगे।
205 तरह के पक्षी, .. कूनाे नेशनल पार्क में 205 तरह के दुर्लभ पक्षी हैं, जिनमें पेट्राेज, माेर, ओरियाेल, नाइटजर, हुंफाे, किंगफिशर, बुडपेकर, आउल, कुक्कू, हार्नविल प्रमुख हैं। 14 प्रकार की मछलियां हैं, साथ ही घड़ियाल, मगरमच्छ, गाेह, अजगर जैसे 33 सरीसृप की प्रजातियां हैं। (स्रोत-2018 की वन्यजीव गणना के आंकड़े)