ग्वालियर : समझौता प्रकरण …! चुप बैठे अफसर ..?

समझौता प्रकरण…:1200 संपत्ति स्वामियों से 15 करोड़ जमा कराकर चुप बैठे अफसर …

पिछले वर्ष नवंबर से शुरू की गई योजना में लोगों को लाभ देने के लिए 30 जून तक शुल्क में 20 फीसदी छूट का भी प्रावधान था। लेकिन निगम के जिम्मेदारों ने इसके लिए कोई प्रयास नहीं किया। यही कारण है कि जहां इंदौर में समझौता प्रकरणों से मिलने वाला राजस्व 100 करोड़ तक पहुंच गया है, वहीं ग्वालियर में यह राशि 15 करोड़ को पार नहीं कर पाई। शुरुआत में थोड़ी कसावट के बाद भवन शाखा के अमले ने अपने क्षेत्रों के संपत्ति स्वामियों को नोटिस देकर समझौता करने के लिए प्रेरित किया था। लेकिन उसके बाद इस संबंध में कोई प्रयास नहीं किए गए।

30 फीसदी तक मान्य किया गया था निर्माण
समझौता योजना में दो प्रावधान थे। पहला मंजूरी लेने के बाद स्वीकृत नक्शे से 30 फीसदी अधिक तक किए गए निर्माण को वैध किया जाना था। दूसरा बिना मंजूरी बने मकान को भी मानकों के अनुसार वैध कराया जाना था। यदि मंजूरी के बाद 30 फीसदी से ज्यादा उल्लंघन किया गया है, तो ऐसे निर्माण कार्य को जो ज्यादा है, उसके तोड़ने के बाद ही समझौता योग्य माना जाएगा।

एमआईसी भेजेगी दोबारा से छूट देने का प्रस्ताव
समझौता योजना में दोबारा से दो माह की छूट देने के लिए मेयर-इन-काउंसिल दोबारा से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेगी। ताकि प्रचार-प्रसार के अभाव में शहर के जो संपत्ति स्वामी इस योजना का लाभ न ले पाए हों, वे दोबारा से आवेदन कर सकें। इससे न सिर्फ संपत्ति स्वामियों को अपनी संपत्ति वैध कराने के साथ ही 20 फीसदी छूट का लाभ मिलेगा बल्कि निगम को भी बड़ा राजस्व मिलेगा।

शीघ्रता से स्थल निरीक्षण कर निपटारा किया जाए
समझौता योजना में दोबारा से छूट दिए जाने के लिए एमआईसी से प्रस्ताव पास करके शासन को भेजेंगे। इसके साथ ही जो आवेदन अभी तक आए हैं, उनका शीघ्रता से स्थल निरीक्षण कर निपटारा किया जाए, इसके लिए अधिकारियों से बात करेंगे।

-डॉ. शोभा सिकरवार, महापौर

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