PHE scam gwalior :  81.27 करोड़ के घोटाले की आधी राशि दो फर्मों के खातों में पहुंची

PHE scam: 12 साल की हेराफेरी, न वर्क ऑर्डर, न स्वीकृति, घोटाले की आधी राशि दो फर्मों के खातों में पहुंची

 81.27 करोड़ के घोटाले को दिया अंजाम, मोहित सेल्स व श्री शरण ब्रदर्स के खातों में 34.71 करोड़ का भुगतान दरअसल पीएचई के खंड क्रमांक 1 में 2011 से 2023 के बीच 

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड क्रमांक-1 (पीएचई) में सरकारी खजाने में करोड़ों की लूट का खेल 12 साल तक चला। 81.27 करोड़ रुपए बिना वर्क ऑर्डर व स्वीकृति के बिना फर्मों के खातों में ट्रांसफर कर दी। घोटाले की आधी रकम मोहित सेल्स कॉर्पोरेशन व श्री शरण एंड ब्रदर्स के खाते में पहुंची है

  • लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड क्रमांक-1 (पीएचई) में सरकारी खजाने में करोड़ों की लूट का खेल 12 साल तक चला। 81.27 करोड़ रुपए बिना वर्क ऑर्डर व स्वीकृति के बिना फर्मों के खातों में ट्रांसफर कर दी। घोटाले की आधी रकम मोहित सेल्स कॉर्पोरेशन व श्री शरण एंड ब्रदर्स के खाते में पहुंची है। इस फर्म के संचालकों के अलग-अलग खातों में 35 करोड़ 71 लाख रुपए पहुंचे हैं। संभागीय संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा की चार सदस्यीय दल ने पूरे घोटाले का सच उजागर कर दिया, लेकिन पीएचई ने दल को रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया। सभी जिम्मेदारों के नाम उजागर नहीं हो सके हैं। पत्रिका के पास पीएचई घोटाले की पूरी मौजूद है।
81.27 करोड़ के घोटाले को दिया अंजाम, मोहित सेल्स व श्री शरण ब्रदर्स के खातों में 34.71 करोड़ का भुगतान

दरअसल पीएचई के खंड क्रमांक 1 में 2011 से 2023 के बीच पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया। सरकारी खजाने से लूट का खेल 12 साल तक चला। न पीएचई के अधिकारियों ने घोटाले को पकड़ा और न कोषालय ने। पीएचई ने भुगतान के लिए कोषालय में बिल भेजे, उधर से तत्काल कोषालय से भुगतान हो गया। वेतन व मजदूरी की मद से करोड़ों रुपए की खरीद की जा रही थी, लेकिन कोषालय ने कोर्ई आपत्ति नहीं लगाई। जिन फर्मों को खातों में भुगतान किया गया, उनके बिल भी पेश नहीं किए गए। एक ही बिल पर करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया। एक ही बिल पर अलग-अलग दिनांक में चार-चार बार भुगतान पेश किए गए। कोषालय ने भुगतान भी किया। रिपोर्ट में संदिग्धों पर एफआइआर की सिफारिश की है। साथ ही जिम्मेदारों से पूरी राशि वसूल किए जाने का सुझाव दिया है, क्योंकि सरकारी खजाने को 81.27 करोड़ की हानि हुई है।

इसके नाम पर किए गए भुगतान

  • -करोड़ों की खरीद के पहले प्रशासकीय स्वीकृति होना जरूरी है। टेंडर से इसे खरीदा जा सकता था।
  • वेतन व मजदूरी, उनके एरियर्स का एक ही खाते में पांच बार से अधिक किया। पांच-पांच बार भुगतान करके 2.24 करोड़ रुपए निकाले। दोहरे भुगतान की एट्री की भरमार है।
  • कोषालय सॉफ्टवेयर पर 239 संदिग्ध भुगतान किए गए।
  • दो बाबुओं पर हो चुकी है एफआइआर
  • क्लोरीन परीक्षण टेस्टिंग ट्यूब एवं किट, वॉल्व मरम्मत, रंगाई, पुताई, वर्दी, चैंबर मरम्मत, पाइप लाइन में रॉड, जीएल नट, केमिकल आदि की खरीद में करोड़ों का भुगतान किया गया। इन सबका भुगतान वेतन व मजदूरी मद के खाते से दिया गया।
  • इस पूरे घोटाले में 74 लोगों के नाम और जोड़े जाने हैं। पीएचई के डीडीओक्रेएटर अशोक कचोरिया व हीरालाल पर केस दर्ज हो चुका है, जबकि कोषालयीन सॉफ्टवेयर सी-एसएफएमएस पर देयक तैयार करने वाले राजेंद्र सिंह पुनिया अभी बचे हुए हैं।
  • 2011 से 2023 के बीच 9 कोषालय अधिकारी पदस्थ रहे हैं। जिन्होंने पीएचई के भुगतान को एप्रूव किया।
घोटाले की स्थिति
  • 2011 से 2018 के बीच 44.57 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया गया।
  • 2018 से 2023 के बीच 36.70 करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया गया।
  • 12 साल में 81 करोड़ 27 लाख 76 हजार 308 रुपए का घोटाला हुआ, जिसकी जांच कोषालय ने की।
पीएचई खंड क्रमांक-1 में 12 साल में रहे कार्यपालन यंत्री
  • -2009 से 2011 के बीच एसएल बाथम प्रभारी कार्य पालन यंत्री रहे।
  • 2011 से 2012 के बीच में शरद कुमार
  • 2012 से 2014 के बीच एके योगी
  • 8 जनवरी 2014 से 8 अगस्त 2014 तक सौरभ गोल्या
  • 2015 से 2016 से एससी कैलासिया
  • 2017 में अनूप चौधरी
  • 2017 से 2019 तक आरएन करैया
  • 2019 से 2020 तक केवी छारी
  • 2020 से 2021 तक जागेश श्रीवास्तव
  • 2021 में एमके उमरिया व उसके बाद राकेश राहोरा
  • 2021 से 2023 तक संजय सिंह सोलंकी

( जागेश श्रीवास्तव, राकेश राहोरा, विनोद कुमार छारी, महेंद्र कुमार उमरिया, आरएन करैया, संजय सोलंकी के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है। पांच कार्यपालन यंत्री के नाम एफआइआर में नहीं जुड़े हैं।)

2011 से 2018 के बीच इन फर्मों के खाते में गए करोड़ों रुपए

फर्म राशि
मोहित सेल्स कॉर्पोरेशन 19.60 करोड़
श्री शरण एंड ब्रदर्स 15.10 करोड़
एमके एसोसिएट 4.51 लाख
मां पीतांबरा हथकरघा 1.26 करोड़

माधव इंटरप्राइजेज 57 लाख
एमएस राधे कृष्णा इंट. 73.74 लाख
उजाला टैक्सटाइल 57 लाख
एमपी राज्य सहकारी उपभोक्ता 59 लाख
एमपी राज्य उपभोक्ता संघ 4.73 करोड़
एमपी राज्य हथकरघा 7.97 लाख
(इन फर्मों के खातों में 2012 से 2018 के बीच 44.68 करोड़ रुपए पहुंचे।)
2018 से 2023 के बीच इन फर्मों खातों में भेज गए करोड़ों
फर्म राशि
बंसल स्टोर 4.45 करोड़
चंदेल एसोसिएट 19 लाख
जय बाबा कंस्ट्रक्शन 72.29 लाख
ललिता हथकरघा उद्योग 2.19 करोड़
मोहित सेल्स 31 लाख
एमएस माधव इंटरप्राइजेज 35.55 लाख
श्री माधव इंटरप्राइजेज 35.55 लाख
एमएस श्री सांई इंटरप्राइजेज 3.38 करोड़
पारस टैक्सटाइल 2.46 करोड़
श्रीकृष्णा इंटरप्राइजेज 2 करोड़एमपी स्टेट पावर लूम 11 लाख

मां पीतांबरा हथकरघा 6.24 करोड़
मां वैष्णो इंटरप्राइजेज 2.73 करोड़
(इनके खातों में 25.57 करोड़ का भुगतान किया गया।)

पीएचई के मामले में पहले एफआइआर दर्ज होगी। इसके बाद जांच अधिकारी जांच करेंगे। राशि की वसूली की प्रक्रिया बाद में शुरू होगी। कोषालय अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए आयुक्त अवगत कराया गया है। कोषालय अधिकारियों को भुगतान के दौरान हेड देखना चाहिए था।

रुचिका चौहान, कलेक्टर

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PHE scam: वेतन हेड से करोड़ों की खरीद, स्टेशनरी की दुकान से कागज व क्लोरीन की खरीद, आधी रात किए गए भुगतान

PHE scam: Purchase of crores from salary head, purchase of paper and clearin from stationery shop, payments made at midnight पीएचई घोटाला: छह पीएचई के अफसर सहित 74 लोगों के नाम बढ़ेंगे एफआइआर में कलेक्टर रुचिका चौहान ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड क्रमांक-1 (पीएचई) में हुए 84 करोड़ के घोटाले की जांच पुलिस को […]

कलेक्टर रुचिका चौहान ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड क्रमांक-1 (पीएचई) में हुए 84 करोड़ के घोटाले की जांच पुलिस को भेजने के निर्देश दिए हैं। इस घोटाले में छह पीएचई के अधिकारी सहित 74 लोगों के नाम एफआइआर में जोडऩे का आदेश दिया गया है। वेतन हेड से करोड़ों रुपए की खरीद की गई। सबसे बड़ा भुगतान स्टेशन दुकानदार के खातों में किए गया है…

पीएचई घोटाला: छह पीएचई के अफसर सहित 74 लोगों के नाम बढ़ेंगे एफआइआर में

कलेक्टर रुचिका चौहान ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड क्रमांक-1 (पीएचई) में हुए 84 करोड़ के घोटाले की जांच पुलिस को भेजने के निर्देश दिए हैं। इस घोटाले में छह पीएचई के अधिकारी सहित 74 लोगों के नाम एफआइआर में जोडऩे का आदेश दिया गया है। वेतन हेड से करोड़ों रुपए की खरीद की गई। सबसे बड़ा भुगतान स्टेशनरी दुकानदार के खातों में किए गया है। जिसके के न बिल थे और न जीएसटी नंबर। न वर्क ऑर्डर और अधिकारियों के हस्ताक्षर भी नहीं। फिर भी आधी रात करोड़ों रुपए का भुगतान ट्रेजरी से किया गया। रातों-रात करोड़ों रुपए सरकार को चपत लगा दी। पिछले नौ महीने की जांच में बड़ी फर्में पुलिस की रडार से बाहर थी, लेकिन अब इनके नाम सामन आ जाएंगे।

दरअसल रोशनी घर स्थित पीएचई में नौ महीने पहले 16.42 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। वेतन, एरियर के भुगतान में घोटाले को अंजाम दिया। विभाग ने सेवा निवृत्त व मृतक कर्मचारियों को नौकरी में दिखाया गया, उनके नाम से वेतन निकाले गए। जब वेतन व एरियर के भुगतान लंबे समय तक नहीं पकड़ा गया तो क्लोरीन खरीद में भी बड़ा खेल कर दिया। बोगस फर्मों के खातों में करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया। अतिरिक्त संचालक कोषालय ने इसकी जांच शुरू की। 2011 से 2023 के बीच के भुगतानों की जांच की। घोटाला 84 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। जिला कोषालय में रिपोर्ट परीक्षण के बाद कलेक्टर के पास पहुंची थी। कलेक्टर ने अपर कलेक्टर को रिपोर्ट के परीक्षण के निर्देश दिए थे। एडीएम ने परीक्षण के बाद रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी। कलेक्टर ने रिपोर्ट पुलिस को भेजने के निर्देश दिए हैं। अब एफआइआर में 74 लोगों के नाम बढ़ जाएंगे। ज्ञात है कि घोटाले में अधीक्षण यंत्री संजय सोलंकी निवासी मकान नंबर 66 तानसेन रोड, रिटायर्ड बाबू अशोक कछौरिया निवासी पाताली हनुमान, ठेकेदार राहुल वर्मा निवासी मानमंदिर टॉकीज के पास हजीरा, रिटायर्ड अधीक्षण यंत्री रामनरेश करैया बी 68 गोविंदपुरी समेत कंम्प्यूटर ऑपरेट राहुल आर्य और मास्टरमाइंड हीरालाल उर्फ अशोक राज जेल में हैं।
दो फर्मों के खातों में सबसे ज्यादा भुगतान

इस पूरे घोटाले की आधी रकम दो फर्मों में भेजी है। दोनों फर्मों के मालिक आपस में रिश्तेदार हैं और किताब की दुकान संचालित करते हैं। किताब की दुकान से क्लोरीन खरीदा गया है।

– इन फर्मों के नाम पुलिस के रिकॉर्ड में नहीं आए हैं। इस वजह से फर्म के संचालक पुलिस की गिरफ्त से दूर थे, लेकिन अब इन पर पुलिस का शिकंजा कस सकेगा।
– पीएचर्ई के अधिकारियों ने 16 फर्मों के साथ मिलकर इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया है।
खरीद का नहीं था अधिकार, सिर्फ वेतन खातों में दे सकते थे
खंड क्रमांक एक के पास सिर्फ वेतन देने का अधिकार था। इस खंड में खरीद नहीं हो सकती थी, लेकिन अधिकारियों की मिली भगत के चलते वेतन के हेड से ठेकेदारों को भुगतान किया गया।
– 12 साल में ऑडिट ने भी इस बात को नहीं पकड़ा कि वेतन हेड से खरीद कैसे हो रही है। ट्रेजरी की आपत्ति भी नहीं आई कि वेतन के हेड से भुगतान कैसे किया गया।
– जिसे वर्क ऑर्डर नहीं है और उसको भुगतान किया गया। रात 12 बजे ट्रेजरी से भुगतान किए गए हैं। ट्रेजरी के आपत्ति के बाद बिल नहीं लौटाए गए।

रिपोर्ट भेजी

– पीएचई घोटाले की रिपोर्ट पुलिस को भेजने के निर्देश दिए हैं। पीएचई के 6 अधिकारी सहित 74 लोगों के नाम एफआइआर में बढ़ाने के लिए निर्देशित किया है।

रुचिका चौहान, कलेक्टर

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