सड़क हादसों में मध्यप्रदेश देश में दूसरे नंबर पर …!
सड़क सीधी हकीकत टेढ़ी …! यहां आधी से ज्यादा दुर्घटनाएं और मौतें सीधी सड़कों पर ….
सड़क हादसों में मप्र देश में दूसरे नंबर पर है, जबकि तमिलनाडु पहले पर। मप्र में हर साल 50 हजार सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। इसमें आधी से ज्यादा यानी 24 हजार दुर्घटनाएं और 6 हजार मौतें सीधी सड़कों पर हो रही हैं, वहीं 1219 मौतें घुमावदार रोड पर। पुल, पुलिया, सड़कों के गड्ढे, खड़ी चढ़ाई और निर्माणाधीन सड़कों पर होने वाले हादसे सीधी सड़क की तुलना में काफी कम हैं।
इन आंकड़ों ने सड़क निर्माण से जुड़े इंजीनियरों को चौंका दिया है। यही वजह है कि इंडियन रोड कांग्रेस इस बार इंदौर में हो रही है, जिसमें ‘रोड सेफ्टी; टार्गेट एंड वे-फॉर्वर्ड’ पर 4 दिन चर्चा होगी। इसमें एनएचएआई और सड़क से जुड़े 80 इंजीनियर और 120 रिप्रेजेंटेटिव शामिल होंगे। जो हल निकलेंगेे, उसे सड़क निर्माण करते वक्त इस्तेमाल किया जाएगा।
पुरानी के मुकाबले नई गाड़ियों से ज्यादा हादसे और मौत
गाड़ी नई है या पुरानी?
पांच साल से कम पुरानी गाड़ियों से 3408 और 5-10 साल तक के वाहनों से 2,762 मौतें हुई हैं। यह 2020 में हुई कुल मौतों का 45 से 50 फीसदी है।
सीट बेल्ट और हेलमेट
हेलमेट नहीं पहने से 3,933 मौतें हुईं। इसमें 2646 ड्राइवर और 1,287 पैसेंजर की मौत हुई। सीट बेल्ट नहीं लगाने से 1,396 मौतें हुई हैं। 762 ड्राइवर और 634 पैसेंजर की मौतें हुईं।
नेशनल-स्टेट हाईवे
एनएच पर 2019 में 5977, 2020 में 5941 मौतें हुईं। बाकी सड़कों पर 2019 में 5272 और 2020 में 5200 मौतें हुईं।
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यहां भी हादसे
- जेब्रा क्रॉसिंग 321
- फुट ब्रिज 39
- फुटपाथ 717
- अन्य 5395
वाहनों की उम्र, जिनसे हादसे हुए
- पांच साल से कम 14,036
- 5-10 साल वाले 10,737
- 10 से 15 साल वाले 5,299
- 15 साल से ज्यादा 9,012