चिंताजनक : थाली में पोषक तत्वों की कमी, ‘छिपी भूख’ से लड़ रहा भारत ..!
चिंताजनक : थाली में पोषक तत्वों की कमी, ‘छिपी भूख’ से लड़ रहा भारत, विशेषज्ञों ने बताई जमीनी हकीकत
लैंसेट के अध्ययन में कहा गया है कि आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिका (आरबीसी) पर असर पड़ता है। इसकी वजह से मांसपेशी, हृदय और मस्तिष्क में आयरन की कमी होती है। थकान, हृदय की विफलता इत्यादि इसके प्रमुख असर भी हैं।
संतुलित आहार स्वस्थ जीवन का आधार है लेकिन मौजूदा समय में भारत एक ऐसे संकट से जूझ रहा है, जिसे चिकित्सा विशेषज्ञों ने हिडन हंगर यानी छिपी भूख से संबोधित किया है। देश के अधिकांश परिवारों की थाली में पोषक तत्वों की कमी है। इसका सबसे बुरा असर गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है और नवजात शिशु में विकृति की आशंका कई गुना अधिक होती है।
मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने साफ तौर पर कहा है कि भारत हिडन हंगर के साथ दुनिया में सबसे आगे रहने की अविश्वसनीय स्थिति में है। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि यहां ‘भूख’ शब्द का अर्थ भोजन की जबरदस्त इच्छा और इसकी कमी से उत्पन्न होने वाले संकट से है, जिसे कुछ मुट्ठी भर पारंपरिक पोषक तत्वों द्वारा आसानी से हल किया जाता है लेकिन ज्यादातर परिवार अपने भोजन में इन पोषक तत्वों की कमी पूरी नहीं कर पा रहे हैं। इनमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्र दोनों ही शामिल हैं।
ये पड़ रहा असर
अध्ययन में मुंबई स्थित लीलावती अस्पताल के बालरोग सर्जन डॉ. संतोष कर्माकर ने बताया कि लोहा, आयोडीन या जस्ता जैसे खनिजों के अलावा विटामिन ए, विटामिन-डी, फोलेट, और विटामिन बी12 की कमी लोगों में काफी तेजी से देखने को मिल रही है।
- इन तत्वों की कमी से उत्पन्न छिपी भूख भारत में बहुत आम है और एनीमिया, गर्भावस्था और गर्भाशय में भ्रूण के मस्तिष्क विकास पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
- इससे भारत में विकृति के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या काफी बढ़ रही है।
विशेषज्ञों की सलाह
भारत को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि सभी किशोरी और प्रसव उम्र की महिलाओं को पर्याप्त आयरन, विटामिन-बी 12 व फोलेट मिले। ताकि उनमें सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को जल्द दूर किया जा सके।
- देश के प्रत्येक परिवार को विटामिन-फोर्टिफाइड भोजन के लिए शिक्षित करना जरूरी है। इसके लिए एक व्यापक रणनीति बनानी चाहिए। छिपी भूख को खत्म करना पूरे देश के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी पोषक तत्वों की कमी आबादी से दूर नहीं हो पा रही है।
क्या कहते हैं आंकड़े
- देश में हर साल 2.60 करोड़ गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान रक्त की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि पोषक तत्वों की कमी से इन्हें एनीमिया की शिकायत रहती है।
- साल 2018 में, एनीमिया की वजह से भारत में 25 हजार से ज्यादा मातृ मृत्यु दर्ज की गईं।
आयरन-विटामिन बी12 की कमी
- आयरन की कमी से लाल रक्त कोशिका (आरबीसी) पर असर पड़ता है। इसकी वजह से मांसपेशी, हृदय और मस्तिष्क में आयरन की कमी होती है। थकान, हृदय की विफलता इत्यादि इसके प्रमुख असर भी हैं।