शिवसेना का चुनाव चिन्ह फ्रीज …! EC का एक्शन

केंद्रीय चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिन्ह फ्रीज कर दिया है. अब अंधेरी विधानसभा उप चुनाव में धनुषबाण का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा.

ठाकरे- शिंदे गुट की तनातनी के बीच EC का एक्शन

शनिवार को केंद्रीय चुनाव आयोग ने धनुष बाण चुनाव चिन्ह को तत्काल के लिए फ्रीज कर दिया है. यानी अब 3 नवंबर को जो मुंबई के अंधेरी विधानसभा का उपचुनाव होने जा रहा है, उसमें शिवसेना को नए चुनाव चिन्ह के साथ जाना होगा. इस चुनाव में धनुषबाण चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा. इससे पहले शनिवार को ही उद्धव ठाकरे गुट ने अपने दावे के पक्ष में तथ्यों से जुड़े कागजात चुनाव आयोग को सौंपे. इसके बाद चुनाव आयोग में इस मुद्दे पर चार घंटे तक मीटिंग चली. इस मीटिंग के बाद चुनाव आयोग ने यह फैसला किया कि शिवसेना का चुनाव चिन्ह फ्रीज होगा, यह ना शिंदे गुट को मिलेगा ना ही ठाकरे गुट को.

पहचान अब शिवसेना नहीं, बल्कि ‘ठाकरे गुट’ और ‘शिंदे गुट’

सिर्फ चुनाव चिन्ह की ही बात नहीं है, चुनाव आयोग ने दोनों ही गुटों को फैसला होने तक पार्टी के नाम का भी इस्तेमाल करने से रोक दिया है. यानी दोनों ही गुट को यह साफ करना होगा कि वे किस गुट के हैं. वे यह कहते हुए मतदाता के पास नहीं जा सकेंगे कि वही असली शिवसेना है. जब तक अंतिम रूप से यह फैसला नहीं हो जाता कि शिवसेना किसकी, तब तक उनकी पहचान ‘ठाकरे गुट’ और ‘शिंदे गुट’ होगी.

नए चिन्ह के लिए दोनों गुट को सोमवार तक का समय

अब सोमवार तक दोनों गुटों के पास नए चुनाव चिन्ह के प्रस्ताव और विकल्प होंगे. ठाकरे गुट यह चाह रहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक चुनाव आयोग का फैसला ना आए. इसके लिए ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

खासकर ठाकरे गुट के लिए यह बड़ा झटका, क्योंकि चुनाव में वक्त बचा कम

ठाकरे गुट ने अपने पक्ष के कागजात जमा करने में भी तीन-चार बार टालमटोल की और मोहलत मांगी. चुनाव आयोग से मोहलत मिली भी. ठाकरे गुट का कहना है कि तत्काल फैसले की जरूरत नहीं थी, बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए शिंदे गुट तत्काल फैसले की मांग कर रहा था. ठाकरे गुट का कहना है कि अंधेरी उपचुनाव में ठाकरे गुट धनुषबाण चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़े, इसमें शिंदे गुट को समस्या क्या थी? शिंदे गुट तो वैसे भी उम्मीदवार खड़े नहीं कर रहा है. ठाकरे गुट का आरोप है कि शिंदे गुट बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए जल्दी फैसले की मांग कर रहा था.

यह वजह है कि क्यों ठाकरे गुट को नहीं थी चुनाव आयोग के फैसले की जल्दी

दरअसल ठाकरे गुट फैसले में देरी इसलिए भी चाहता था क्योंकि अगर दोनों ही गुट के दावे मजबूत पाए गए तो चुनाव आयोग चुनाव चिन्ह को फ्रीज कर सकता था. 3 नवंबर को अंधेरी विधानसभा उपचुनाव है. इतनी जल्दी नए चुनाव चिन्ह के साथ वोटरों तक जाना थोड़ा मुश्किल है. नया चुनाव चिन्ह वोटरों के जेहन में बैठाने के लिए अब उतना वक्त भी नहीं बचा है. चुनाव प्रचार का काम शुरू हो चुका है.

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