जब 28 साल के थे ‘नेताजी’ मुलायम सिंह यादव ..!
जब 28 साल के थे ‘नेताजी’ मुलायम सिंह यादव, चुनाव जिताने पूरे गांव ने रख लिया था उपवास
मुलायम सिंह यादव इस वक्त मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं। उनके करीबियों का कहना है कि वे इस वक्त डॉक्टरों की निगरानी में है। पूरा देश इस वक्त उनके जल्द ही स्वस्थ होने की दुआ कर रहा है।
देश में समाजवाद की लहर थी। बात 60 के दशक की है, जब देश में राम मनोहर लोहिया समाजवादी आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे। देश के कई हिस्सों में खासकर दिल्ली की गद्दी तक पहुंचने वाले राज्य उत्तर प्रदेश के कई शहरों में लोग समाजवादी बन रैलियां निकाल रहे थे। इन रैलियों में ‘नेताजी’ जरूर शामिल होते। समाजवादी विचारधारा उनके मन को रम चुकी थी। धीरे-धीरे अखाड़े से निकलकर मुलायम सिंह यादव राजनीति में आ गए। उस दौर में मुलायम के पास साइकिल के अलावा कुछ नहीं था। उन्हें जिताने के लिए पूरे गांव ने उपवास रखा। जिसके बाद मुलायम विधायक ही नहीं तीन बार सूबे के सीएम बने और केंद्र में रक्षा मंत्री तक का सफर तय किया।
विधायक की नजर में हीरो बन गए मुलायम
डॉ. राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में मुलायम सिंह यादव सक्रिय सदस्य रहे। वे किसानों और अपने क्षेत्र के गरीबों की आवाज पर हमेशा मुखर रहा करते। यह वो दौर था जब मुलायम मास्टरी, कुश्ती और राजनीति तीनों पहियों पर संतुलन बनाए हुए थे। एक बार की बात है जब जसवंतनगर में अखाड़े के दौरान मुलायम ने एक भारी-भरकम पहलवान को चित कर दिया। उस कार्यक्रम के साक्षी तत्कालीन विधायक नत्थू सिंह की नजरें मुलायम पर पड़ी। उस घटना के बाद मुलायम की राजनीति में नया उदय हुआ। नत्थू सिंह ने मुलायम को अपना शागिर्द बना दिया।
1965 में बने मास्टर, पर मन में बसी थी राजनीति
इस बीच मुलायम सिंह इटावा से बीए की पढ़ाई करके टीचिंग कोर्स के लिए शिकोहाबाद चले गए। बात 1965 की है, उनकी करहल के जैन इंटर कॉलेज में मास्टर की नौकरी लग गई।
मुलायम की लग गई लॉटरी
नौकरी लगे दो साल ही हुए थे। मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरू नत्थू सिंह ने 1967 विधानसभा चुनाव में अपनी सीट जसवंतनगर से मुलायम सिंह यादव को उतारने का फैसला लिया। राम मनोहर लोहिया से वकालत की और नाम पर औपचारिक मुहर भी लग गई।
एक वोट, एक नोट का नारा
नत्थू सिंह ने खुद के लिए करहल सीट चुनी थी। मुलायम को जब मालूम हुआ कि उन्हें जसवंतनगर से सोशलिस्ट पार्टी के लिए चुनाव लड़ना है तो वह प्रचार के लिए जुट गए। उनके दोस्त दर्शन सिंह के पास साइकिल थी। वह दर्शन सिंह के साथ उनके पीछे बैठकर चुनाव प्रचार के लिए जाते थे। पैसे उन्होंने एक वोट, एक नोट का नारा दिया। मुलायम चंदे में एक रुपया मांगते और ब्याज सहित लौटाने का वादा करते।
जब गांववालों ने रखा उपवास
इस बीच मुलायम सिंह यादव ने आर्थिक मदद से एक पुरानी एम्बेसडर कार खरीदी। लेकिन, अब सवाल ईंधन का था। इस बीच मुलायम के गांववालों ने बैठक बुलाई और कहा कि गांव का कोई आदमी चुनाव लड़ रहा है तो उसे पैसों की कमी नहीं होने देंगे। गांव के लोगों ने फैसला लिया कि हफ्ते में एक दिन एक वक्त का भोजन करेंगे। उन पैसों की बचत करके कार के लिए ईंधन के पैसे जुटाए गए।
कांग्रेस प्रत्याशी को मात देकर चौंकाया
जसवंतनगर में मुलायम सिंह यादव की लड़ाई हेमवती नंदन बहुगुणा के करीबी और कांग्रेस प्रत्याशी एडवोकेट लाखन सिंह से था। मुलायम ने पहली लड़ाई में ही मैदान फतह किया। वह 28 साल की उम्र में विधायक बन गए।