अपराधी की रक्षा करना कभी समाज के हित में नहीं है …! हाई कोर्ट

अपराधी की रक्षा करना कभी समाज के हित में नहीं है, चालान न पेश करके गंभीर चूक की है

हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मुरैना पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराधी की रक्षा करना कभी समाज के हित में नहीं है। जौरा थाने में अाबकारी एक्ट के 49 केस लंबित हैं। उनकी जांच होने के बाद कोर्ट में चालान पेश नहीं किए गए।

कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी व पुलिस अधीक्षक मुरैना ने गंभीर चूक की है, डीजीपी इनके खिलाफ कार्रवाई करेंगे

ग्वालियर । हाई कोर्ट की एकल पीठ ने मुरैना पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अपराधी की रक्षा करना कभी समाज के हित में नहीं है। जौरा थाने में आबकारी एक्ट के 49 केस लंबित हैं। उनकी जांच होने के बाद कोर्ट में चालान पेश नहीं किए गए। जांच अधिकारी व पुलस अधीक्षक मुरैना ने गंभीर चूक की है। इस चूक के लिए डीजीपी केस केस के जांच अधिकारी व पुलिस अधीक्षक मुरैना के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। डीजीपी कार्रवाई कर 14 नवंबर हाई कोर्ट के प्रिसिंपल रजिस्ट्रार के यहां रिपोर्ट पेश करेंगे। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की लापरवाही के चलते आरोपित को जमानत पर रिहा किया जा रहा है।

कल्ला व गदिपाल के खिलाफ मुरैना जिले के जौरा थाने में आबकारी एक्ट के तहत केस दर्ज है। जुलाई 2021 में आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन कोविड-19 संक्रमण फैलने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट ने अंतरिम जमानत दे दी। अंतरिम जमानत की तारीख बढ़ाई जाती रही। फरवरी 2022 में न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए तो अंतरिम जमानत निरस्त कर दी और आरोपितों ने कोर्ट में 23 अगस्त 2022 को सरेंडर कर दिया। ये जेल में। इनसे 73 लीटर शराब जब्त हुई थी। जिला कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद कल्ला व गदिपाल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उनकी ओर से तर्क दिया गया कि पुलिस ने अभी तक चालान पेश नहीं किया है। इसलिए लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। इस पूरे केस के तथ्य देखने के बाद कोर्ट ने जांच अधिकारी को तलब किया। उनकी ओर से बताया गया कि कोविड-19 के चलते चालान पेश करने पर रोक थी। इस वजह से चालान पेश नहीं किया गया। चालान तैयार है। वर्तमान थाना प्रभारी जौरा को कोर्ट ने तलब किया। उनके थाने में आबकारी एक्ट के 49 केस लंबित हैं, जिनकी पूरी हो चकी है। इन्हें फाइल करने के लिए पुलिस अधीक्षक की अनुमति की जरूरत है। कोर्ट ने थाने के तथ्य देखने के बाद कहा कि मुरैना में लापरवाही बरती जा रही है। एसपी हर महीने क्राइम मीटिंग लेते है, लेकिन इस बैठक में लंबित केसों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। थाने में 49 केसों को लंबित क्यों रखा गया। यह खतरनाक स्थिति है और एसपी ने उन केसों की अनदेखी कर दी। कोर्ट ने इस पूरे मामले को जांच अधिकारी व पुलिस अधीक्षक पर कार्रवाई के अादेश दिए हैं। कोर्ट ने दोनों आरोपितो को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कहा है कि पुलिस की लापरवही के चलते जमानत दी गई है। आदेश की कापी डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) को भेजी जाए।

 

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