सबसे ज्यादा शिकायतें चेकपोस्ट की, परिवहन आयुक्त तक पहुंच नहीं ?
सबसे ज्यादा शिकायतें चेकपोस्ट की, परिवहन आयुक्त तक पहुंच नहीं
मध्य प्रदेश शासन को खूब राजस्व देने वाले परिवहन विभाग में जनता की शिकायतों की सुनवाई के लिए परिवहन आयुक्त पर समय नहीं है। हर माह प्रदेश के परिवहन मुख्यालय में 50 से ज्यादा शिकायतें आती हैं, लेकिन सुनवाई कितनी शिकायतों में होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इन शिकायतों में सबसे ज्यादा संख्या चेक पोस्ट से जुड़ी शिकायतों की है!
- परिवहन आयुक्त तक नहीं पहुंच पातीं सभी शिकायतें क्योंकि भोपाल में ही डेरा
- सुनवाई नहीं होने से पीड़ित निराश
ग्वालियर। मध्य प्रदेश शासन को खूब राजस्व देने वाले परिवहन विभाग में जनता की शिकायतों की सुनवाई के लिए परिवहन आयुक्त पर समय नहीं है। हर माह प्रदेश के परिवहन मुख्यालय में 50 से ज्यादा शिकायतें आती हैं, लेकिन सुनवाई कितनी शिकायतों में होगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इन शिकायतों में सबसे ज्यादा संख्या चेक पोस्ट से जुड़ी शिकायतों की है, क्योंकि प्रदेशभर में 40 से ज्यादा चेक पोस्ट हैं जहां होने वाली मनमानी को लेकर ग्वालियर मुख्यालय में ही शिकायतें आतीं हैं लेकिन सुनवाई तब होगी जब आयुक्त उपलब्ध रहेंगे।
आयुक्त डीपी गुप्ता के न बैठने के कारण शिकायतें आगे बढ़ने से लेकर कार्रवाई की बजाय टेबल पर ही पड़ी रह जाती हैं। शिकायतकर्ताओं का कहना रहता है कि आयुक्त तक पहुंच न होने पाने के कारण मुख्यालय का स्टाफ लौटा देता है, इसलिए कोई सुनवाई नहीं है। यहां तक कि शिकायत करने के बाद दूर-दूर के ट्रांसपोर्टर हों या आपरेटर बयान तक दर्ज कराने नहीं आते हैं। बता दें कि मप्र का परिवहन मुख्यालय ग्वालियर में है और यहां आयुक्त के रूप में डीपी गुप्ता पदस्थ हैं, जो ज्यादातर समय भोपाल के कैंप आफिस में रहते हैं और यहां मुख्यालय सूना पड़ा रहता है। यह भी तय है कि मुखिया यानी आयुक्त की कार्यालय में नहीं बैठेंगे तो और स्टाफ न उतनी सतर्कता से कार्य करेगा न ही अधिकारियों में उतनी चिंता होगी। सबको पता है कि आयुक्त तो आएंगे नहीं। यहीं से ऐसी स्थिति में कार्यालय के कर्मचारियों को मनमानी का रास्ता मिल जाता है। सबसे ज्यादा आफत उनकी होती है जो दूर-दूर से आयुक्त को अपनी पीड़ा नहीं बता पाते हैं।
शिकायतें आती हैं, सुनवाई करने वाले नहीं ….
परिवहन मुख्यालय में शिकायतें तो बहुत आती हैं लेकिन सुनवाई करने वाले अधिकारी नहीं आते हैं। हर माह मुख्यालय में लगभग 50 से ज्यादा शिकायतें जिनमें 15 के करीब चेकपोस्ट की और इसके अलावा प्रदेश के आरटीओ स्तर के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों की शिकायतें आती हैं। इनमें अधिकतर शिकायतें ऐसी ही होती हैं जो आयुक्त स्तर की हैं। इसके साथ ही आवेदक आयुक्त यानी सबसे बड़े अधिकारी से अपनी पीड़ा साझा करना चाहता है, लेकिन जब विभाग के आयुक्त ही कुर्सी पर नहीं मिलते हैं तो क्या किससे कहेगा।