नए नियम का इंतजार:पदोन्नतियों पर लगी रोक हटाने ..!

प्रदेश में 6 साल से रुकी पदोन्नतियों पर लगी रोक को हटाने सरकार ने नए पदोन्नति नियम 2022 तैयार कर लिए हैं, जिसे मंगलवार को मंत्री समूह के सामने रखा गया। बैठक पांच मिनट चली, इस दौरान गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया, सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार उपस्थित थे।

प्रस्तावित पदोन्नति नियम का ड्राफ्ट सपाक्स और अजाक्स को सौंप दिए गए हैं, जिस पर उन्हें दो दिन में सुझाव देना है। अब प्रस्ताव परीक्षण के लिए वरिष्ठ सचिवों की समिति के पास भेजा जाएगा। इसके बाद कैबिनेट की मंजूरी के बाद पदोन्नति के नए नियमों को लागू कर दिए जाएंगे, इसमें खास यह है कि आरक्षित वर्ग यानी एसटी से 20 फीसदी और एससी से 16 फीसदी यानी कुल पदों का 36 प्रतिशत आरक्षित कर बाकी पदों को अनारक्षित से भरा जाएगा।

नए नियमों में क्रीमीलेयर का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। प्रदेश में 30 अप्रैल 2016 को हाईकोर्ट ने पदोन्नति नियम 2002 में से आरक्षण के प्रावधान को खत्म कर दिया था। इसके बाद से प्रदेश में पदोन्नतियों पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है। अब तक पिछले छह सालों में 70 हजार कर्मचारी बगैर पदोन्नति के रिटायर हो चुके हैं, 3.25 लाख से ज्यादा को पदोन्नति का इंतजार है।

हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई है, जिस पर फैसला आना है। हालाकि सामान्य प्रशासन विभाग के अफसरों का साफ कहना है कि पदोन्नति के नियम तैयार होने के बाद भी कोर्ट का जो फैसला आएगा वह मान्य होगा।

पहली बार ड्राफ्ट आया सामने

  • पदोन्नती नियम 2022 का ड्राफ्ट पहली बार आया सामने, सपाक्स और अजाक्स को सौंपा, दो दिन में मांगे सुझाव
  • ड्राफ्ट अब वरिष्ठ सचिवों की समिति में जाएगा, बाद में कैबिनेट में भेजेंगे, फिर मंजूरी के बाद होगा फाइनल

पदोन्नति में आरक्षण ऐसे होगा सुनिश्चित

  1. संवर्ग में पहले जितने पद खाली हैं, उन पर सबसे पहले आरक्षित वर्ग का पदोन्नति कोटा कम्पलीट होगा। कोटा पूरा होने पर आरक्षित वर्ग के लोग बचेंगे तो अनारक्षित पदों पर भी पदोन्नति पा सकेंगे।
  2. इस प्रक्रिया के बाद खाली पद बचे तो अनारक्षित वर्ग की पदोन्नति पर विचार होगा, उसमें पहले मेरिट मतलब सीआर देखी जाएगी फिर वरिष्ठता देखी जाएगी, उसके बाद प्रमोशन।
  3. पदोन्नत पद पर आरक्षित वर्ग के कर्मचारी न मिलने पर उसे तीन साल तक रिक्त रखा जाएगा, उसके बाद ही उस पद को आरक्षित वर्ग का कर्मचारी न मिलने पर अनारक्षित वर्ग से भरा जाएगा।
  4. आरक्षित वर्ग को (एससी एसटी) पदोन्नति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व की गणना के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। प्रत्येक संवर्ग में आरक्षित वर्गों की संख्यात्मक स्थिति का आकलन कर सामान्य प्रशासन विभाग को अनुशंसा करेगी।
  5. आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को पदोन्नति के मापदंड शिथिल किए जा सकेंगे। यानी यदि पात्रता के लिए 5 अंक आवश्यक है तो उन्हें घटाकर 2 भी किया जा सकता है।
  6. त्येक कर्मचारी पर अलग-अलग विचार होगा। लोक सेवक की योग्यता का तुलनात्मक निर्धारण नहीं हो सकेगा। जिस संवर्ग में पदोन्नति होना है, उसमें पहले से ही आरक्षित वर्ग एसटी का 20 प्रतिशत और एससी का 16 प्रतिशत भरा है। वहां संयुक्त वरिष्ठता सूची से पदोन्नति की जाएगी।

बता दे कि मध्य प्रदेश में पिछले 6 साल यानि 2016 से कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का मामला लंबित है।इस अवधि में 70000 से अधिक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और करीब 36000 को पदोन्नति नहीं मिली है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को ‘मप्र लोक सेवा (पदोन्न्ति) नियम 2002″ को खारिज कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मई 2016 में यथास्थिति (स्टेटस-को) रखने के निर्देश दिए हैं, तब से पदोन्नति पर रोक लगी है।राज्य की शिवराज सरकार अब नए नियम बनाने जा रही है, जिसका लाभ 3.25 लाख से ज्यादा को मिलेगा।

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