बैंक परिसर में मिले 146 करोड़ के फ्राड में इस्तेमाल इलेक्ट्रानिक गैजेट्स

UPCB में साइबर ठगों ने बना रखा था ठिकाना …!

लखनऊ हजरतगंज स्थित यूपी कोआपरेटिव बैंक (UPCB) मुख्यालय में हुए 146 करोड़ के साइबर फ्रॉड में प्रयोग लैपटॉप, इंटरनेट डिवाइस, और रिमोट एक्सेस टूल परिसर के अंदर से ही बरामद हुए हैं। साइबर क्राइम के एसपी त्रिवेणी सिंह ने गुरुवार और शुक्रवार को सघन चेकिंग और जांच पड़ताल के बाद यह बरामदगी की है। साइबर टीम और उनकी टीम ने यह बरामदगी की है। इसके बाद साइबर टीम के रेडार पर तीन संदिग्ध युवकों के साथ के बैंक के पैसे ट्रांजैक्शन से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी आ गए हैं।

कई दिनों से बैंक में आ-जा रहे थे तीन संदिग्ध

बैंक में साइबर फ्राड के बाद साइबर टीम ने बैंक कर्मियों के दर्ज किए बयान।
बैंक में साइबर फ्राड के बाद साइबर टीम ने बैंक कर्मियों के दर्ज किए बयान।

साइबर क्राइम एसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि आरोपी पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे और उसके साथ बैंक में तीन लोग पिछले कई दिनों से बैंक में आ जा रहे थे। यह लोग बैंक परिसर और गेस्ट हाउस में घंटों बैठकर लैपटॉप पर काम करते थे। इसका खुलासा सीसीटीवी फुटेज से हुआ है। साइबर फ्रॉड से जुड़े उन तीनों संदिग्ध युवकों की तलाश के लिए चार पुलिस टीम को लगाया गया है।

एसपी साइबर क्राइम ने बताया कि गुरुवार और शुक्रवार को बैंक में पूछताछ और पड़ताल से यह भी सामने आया है कि मुख्य आरोपी आरएस दुबे की बैंक में गहरी पैठ थी। उसके लगातार बैंक में आने-जाने के बाद भी कोई रोकटोक नहीं थी। जिसका उसने फायदा उठाया। घटना से जुड़े अन्य साक्ष्यों के लिए बैंक से जुड़े कर्मचारियों के भी बयान दर्ज किए जा रहे हैं।

की-लॉगर एप से बैंक की आईडी चुराने के मिले साक्ष्य

एसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि साइबर फ्रॉड करने वाले युवकों ने की-लॉगर और रिमोट एक्सेस टूल की मदद से यह फ्राड किया है। की-लागर एप की मदद से बैंक के कंप्यूटर को एक्सेस कर यूजर आईडी और पासवर्ड हैक किए। इसके लिए वह बैंक के कंप्यूटर और सर्वर रूम तक कैसे पहुंचे इसकी जांच की जा रही है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ इलेक्ट्रानिक साक्ष्य भी जुटाए जा रहे हैं।

UPCB के पूर्व बैंक प्रबंधक समेत 2 लोग हो चुके हैं गिरफ्तार

पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे ने साथी के साथ किया था बैंक फ्राड का प्रयास।
पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे ने साथी के साथ किया था बैंक फ्राड का प्रयास।

UPCB के एनएडी अनुभाग के खाते से 146 करोड़ निकालने के प्रयास में साइबर सेल बैंक के पूर्व प्रबंधक आरएस दुबे और उसके साथी सागर सोलर प्राइवेट लिमिटेड फर्म का मालिक सुखसागर सिंह चौहान को गिरफ्तार कर चुकी है। इन लोगों ने बैंक का सुखसागर के भाई गंगा सागर सिंह के भूमिसागर नाम की फर्म में ट्रांसफर किये थे।

लापरवाही बरतने वाले दस कर्मचारी सस्पेंड

प्रबंध निदेशक वीएन मिश्र ने पूरे मामले के विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
प्रबंध निदेशक वीएन मिश्र ने पूरे मामले के विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।

प्रबंध निदेशक वीएन मिश्र ने बताया प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए दस कर्मचारियों को संस्पेंड कर दिया गया है। जिसमें बैंक के प्रबंध निदेशक वरुण कुमार मिश्र के मुताबिक इस मामले में अशोक कुमार महाप्रबन्धक (एनएडी), केडी पाठक महाप्रबन्धक (वित्त), राजनाथ सिंह उपमहाप्रबन्धक (एनएडी), ध्रुवराज एसओ, विवेक सिंह सहायक महाप्रबन्धक(वित्त), मेवालाल प्रबन्धक (एनएडी), अजय कुमार प्रबन्धक(सामान्य), अजय कुमार सहायक प्रबन्धक(आरटीजीएस सेल), विकास पाण्डेय सहायक/ कैशियर तथा विजय बहादुर मौर्य गार्ड को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

बैंक प्रबंधक और कैसियर की आईडी से ट्रांसफर हुए पैसे

साइबर ठगों ने बैंक कर्मचारियों के कंप्यूटर हैक कर दिया घटना को अंजाम।
साइबर ठगों ने बैंक कर्मचारियों के कंप्यूटर हैक कर दिया घटना को अंजाम।

बैंक प्रबंधन के मुताबिक 15 अक्टूबर को दोपहर तीन बजे के जिला सहकारी बैंकों के सात खातों से आठ बार में 146 करोड रुपये अवैध तरीके से ट्रांसफर हुए। जिसमें 72 करोड़ रुपए आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंक लखनऊ के खाताधारकों के खातों में आरटीजीएस से ट्रांसफर हुए। जिसे से बैंक कर्मचारी विकास पांडेय और प्रबंधक मेवालाल की आईडी से भेजा गया। हालांकि इन लोगों ने इस तरह से पैसे के लेनदेन से इंकार किया।

15 अक्टूबर को बैंक अधिकारियों को हुई थी जानकारी
हजरतगंज में जिलाधिकारी आवास के पास स्थित सहकारी बैंक के खाते से जालसाजों ने करीब 146 करोड़ रुपए उड़ा दिए। मामले की जानकारी होते ही बैंक में हड़कंप मच गया। बैंक सूत्रों के मुताबिक 15 अक्टूबर को बैंक अधिकारियों को बैंक की करीब 146 करोड़ की रकम सात खातों में भेजी गई। जिसके बाद अधिकारियों ने जांच की और हजरतगंज थाने में संपर्क किया।

जहां से मामला साइबर मुख्यालय के लिए ट्रांसफर कर दिया गया। जहां सोमवार को बैंक अधिकारियों ने मुकदमा दर्ज किया गया। जिसके बाद साइबर एक्सपर्ट के साथ एसटीएफ की टीम ने भी जांच शुरू कर दी थी।

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