उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या की हार साजिश?

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद के चुनाव में हार की करवाएगी जांच!

डिप्टी सीएम केशव के अलावा प्रदेश सरकार के 11 अन्य मंत्री भी नहीं बचा पाए अपनी सीट

सिराथू विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी गठबंधन की डॉक्टर पल्लवी पटेल से हार गए केशव

उत्तर प्रदेश में भीतर घातीयों की पहचान में जुटी भारतीय जनता पार्टी

नई दिल्ली ..उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के दोबारा सत्ता में वापसी के बावजूद कुछ कद्दावर नेताओं की हार से उपजी अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व फिलहाल इसे सार्वजनिक नही होने देना चाह रहा है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दिग्गज नेताओं को मिली करारी हार की जांच और समीक्षा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा शुरू कर दी गई है।

भाजपा के करीबी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सिराथू सीट से अपनी हार को लेकर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने भाजपा के बड़े नेताओं से शिकायत की है। विश्वस्त सूत्र के मुताबिक केशव मौर्य ने अपनी हार के लिए दो सांसदों और कुछ बड़े नेताओं का नाम पार्टी आलाकमान को दिया है। केशव मौर्य ने संघ के बड़े नेताओं और अपने करीबी लोगों से इस बात की शिकायत की है कि उन के खिलाफ विधानसभा चुनावों में साजिश की गई। जिसकी वजह से वह विधानसभा चुनाव हारे। पार्टी के करीबी सूत्रों के मुताबिक केशव मौर्य केशव प्रसाद मौर्या की शिकायत को बड़े नेताओं ने गंभीरता से लेते हुए इसकी समीक्षा का फैसला किया है।

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव मैं भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश में चल रही पार्टी के भीतर सिरफुटवल के चलते चुनाव हारना नहीं चाहती। यही वजह है की भाजपा हार के जिम्मेदार भितरघातियों और ऐसे नेताओं का ब्योरा जुटा रही है, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ काम किया। भाजपा, यूपी के डिप्टी सीएम कैशव प्रसाद मौर्य और 11 मंत्रियों की पराजय को लेकर उठ रहे सवालों का जवाब जल्द से जल्द ढूंढना चाहती है।

गौरतलब है कि कि 2017 में उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण को साध कर ही भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक जीत दर्ज कर पाई थी। इस जीत में डिप्टी सीएम केशव मौर्या की बड़ी भूमिका मानी जाती थी। केशव मौर्या को भारतीय जनता पार्टी ने ओबीसी का एक बड़ा चेहरा बनाकर प्रोजेक्ट किया था और ये भी एक वजह थी की 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने 312 सीट जीत ली थी। केशव मौर्या उस समय भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे जीत के बाद उन्होंने भी मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी पेश की थी लेकिन बाद में योगी आदित्यनाथ को अचानक मुख्यमंत्री का चेहरा बना दिया गया। केशव प्रसाद मौर्या को उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा था। जिसके बाद से आदित्यनाथ और केशव मौर्या में मनमुटाव की खबरें आम थी ब्यूरोक्रेसी में भी कहा जाता था कि आदित्यनाथ लोक निर्माण विभाग की सभी फाइलों को अपने पास मंगाते थे क्योंकि यह विभाग के केशव मौर्या के पास था।

इसके अलावा मुजफ्फरनगर दंगों को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने इस बार चुनाव हार चुके गन्ना मंत्री सुरेश राणा को 2017 में पश्चिम में अपना चेहरा बनाया था। इसके अल अलावा फायर ब्रांड नेता संगीत सोम 20 बार चुनाव हार गए, जिन्हें मुजफ्फरनगर दंगों में आरोपी बनाया गया था। यही नहीं 2022 में प्रदेश के वर्तमान सरकार के जो ११ मंत्री चुनाव हारे हैं उनमें प्रतापगढ़ जिले से राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह, चित्रकूट से चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय, बलिया से आनंद स्वरूप शुक्ल, उपेंद्र तिवारी, सिद्धार्थनगर जिले से सतीश द्विवेदी, औरैया जिले से लखन सिंह राजपूत, बरेली जिले से छत्रपाल सिंह गंगवार, फतेहपुर जिले से रणवेंद्र सिंह और गाजीपुर जिले से संगीता बलवंत शामिल हैं। ऐसे में पार्टी के नेताओं और संघ के बड़े नेताओं को लगता है कि अगर जल्दी ही हार के जिम्मेदार लोगों की पहचान नहीं की गई प्रधानमंत्री मोदी कि साल 2024 मैं उत्तर प्रदेश में बड़ी जीत की रणनीति को बड़ा झटका लग सकता है।

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