ब्रिटेन में ऋषि सुनक की ताजपोशी से भारत को लेना चाहिए ये 5 सबक

ब्रिटेन के राजनीतिक संकट को वहां के सिस्टम की खामी के रूप में नहीं पोलिटिकल मैच्योरिटी के रूप में लेना चाहिए. फिलहाल अभी जो कुछ ब्रिटिश राजनीति में घटित हुआ है उससे भारत ये 5 सबक जरूर ले सकता है.

भारत की राजनीतिक व्यवस्था बहुत कुछ ब्रिटेन से ही ली गई है. संसदीय प्रणाली तो थोड़ी बहुत संशोधनों के साथ जस का तस ही अपनाई गई है. इसलिए ब्रिटेन में होने वाली हर राजीनीतिक घटना भारत को भी आइना दिखाती है. जिस तरह ब्रिटेन में पिछलों दिनों से राजनीतिक संकट चल रहा है उससे भारत को सबक सीखना चाहिए.

1-किसी दागी राजनीतिज्ञ से दूरी कितना जरूरी

दागी राजनीतिज्ञों से सबंध रखने वालों का क्या हश्र हुआ यह बोरिस जॉनसन के ब्रिटिश पीएम के रूप में पतन के रूप में हम देख चुके हैं. एक दागी व्यक्ति जिसके ऊपर सेक्सुअल असॉल्ट का आरोप लग चुका है उसको संवैधानिक पद देने की जो गलती बोरिस जॉनसन ने की वैसी गलतियां भारतीय राजनीतिज्ञ अकसर करते रहे हैं. यह भारतीय लोकतंत्र के चारों खंभों का यह दायित्व बनता है कि इस तरह की हरकत करने वाले किसी भी राजनीतिज्ञ को न बख्शा जाए. क्रिस पिंचर के सेक्स स्कैंडल को जानते-बूझते हुए भी जॉनसन ने उन्हें चीफ व्हिप का पद दिया था. भारत में भी कई दागी व्यक्तियों को संवैधानिक पदों पर आसीन किया जाता रहा है. भारत को बोरिस जॉनसन की राजनीतिक विदाई के पीछे के कारणों को स्पष्ट तरीके से अध्ययन करना चाहिए.

2-पार्टी की नीतियों से ऊपर उठने वालों को डिमॉर्लाइज्ड न करें

ऋषि सुनक ने कंजरवेटिव पार्टी की सरकार में वित्त रहते हुए अपने कैप्टन ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन का खुलकर विरोध किया. इसके चलते ही पार्टी के कई नेताओं के निशाने पर भी रहे. स्वयं बोरिस जॉनसन ने उनका जमकर विरोध किया. ब्रिटिश पीएम की रेस में पहली बार सुनक के पिछड़ने के कई कारणों में एक इसे भी बताया गया कि उन्होंने अपनी पार्टी की ही सरकार के विरोध को हवा दे दी. मगर इन सबके बावजूद पार्टी के एक बड़े धड़े ने उनका सपोर्ट किया. भारतीय राजनीतिक दलों में इस तरह के स्वस्थ राजनीतिक वातावरण लाने की लाने की सख्त जरूरत है.

3-सुनहरे और लोकलुभावन वादों से पार्टी और जनता को रहना चाहिए सावधान

लिज पर शुरू से ही एंटी ग्रोथ को समर्थन के आरोप लग रहे हैं. उनके विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि वो टैक्स कम करके इकोनॉमी को पटरी पर लाना चाहती हैं. पिछले हफ्ते किंग चार्ल्स ने उन्हें हौसला बंधाते हुए मैसेज किया था. कहा था- बैक अगेन यानी फिर वापसी कीजिए.दिक्कत यह है कि लिज वादे तो बहुत करके सत्ता में आईं थीं, लेकिन जब बारी उन्हें पूरा करने की आई तो मामला उल्टा ही पड़ गया. हालात ये हो गए हैं कि खुद उनके सांसद ट्रस का विरोध कर रहे हैं और BBC को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री माफी मांग रही हैं. भारत में कई राज्यों में इस तरह का संकट जन्म ले रहा है. पार्टियां अनाप शनाप वादें करके सरकार बना रही हैं. किसी तरह उन वादों को पूरा तो करती हैं पर हम कई साल पीछे चले जाते हैं. जिस तरह का विरोध लिज ट्रस के साथ शुरू में ही हो गया, वैसा ही कुछ भारत में होने लगे तो बुरे दिन देखने की नौबत ही न आए.

4-अमीर नेता भी जनसाधारण के लिए सोच सकता है

ब्रिटेन में ऋषि सुनक को अपनी अमीरी की कीमत भी चुकानी पड़ी है. जैसा कि सभी जानते हैं कि ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता की संपत्ति अकेले ही ब्रिटिश रानी से ज्यादा थी. सुनक और अक्षता मिलकर देश के टॉप अमीरों की श्रेणी में आते हैं. ब्रिटेन जैसे विकसित देश के आम लोगों में यह धारणा थी कि एक अमीर आदमी जनसाधारण की समस्याओं के साथ शायद न्याय नहीं कर सकेगा. इसके चलते लिज ट्रस के मुकाबले पिछड़ने के बहुत से कारणों में एक कारण यह भी बताया गया था. हालांकि पार्टी के बहुत से सांसदों को बहुत जल्द ही यह बात समझ में आ गई. दर असल ऋषि सुनक आर्थिक मामलों में कड़े फैसले लेने की बात शुरू से ही करते रहे हैं. इस बात का गलत अर्थ लगाया गया. पूंजीपतियों के आर्थिक कौशल का इस्तेमाल अगर कोई भी सरकार इमानदारी से करती है तो निश्चित है कि देश की तकदीर बदल सकती है.

ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी को रूढ़ीवादी पार्टी के रूप में जाना जाता रहा है. पार्टी शुरू से ही ब्रिटेन की परंपराओं की रक्षा के लिए दीवार बनकर खड़ी होती रही है. टोरियों का जन्म ही राजा को बनाए रखने के लिए हुआ था. इस तरह देखा जाए तो एक ब्लैक और गैर ईसाई को देश के पीएम पद के सपोर्ट करना पार्टी के लिए अत्यंत निर्णायक फैसला रहा होगा. यही नहीं ऋषि सुनक अपनी कई नीतियों के लिए भी पार्टी की छवि से अलग विचार रखते रहे हैं. भारत में भी इस प्रकार के राजनीतिक सुधार बहुत तेजी से हो रहा है. देश में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की सरकार में कई ऐसे आर्थिक फैसले हुए जो कम्युनिस्ट पार्टियों से वैचारिक रूप से ज्यादा नजदीक रहे हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *