बिना मंजूरी के ब्रिज खोलने से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक…

बिना मंजूरी के ब्रिज खोलने से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक…मोरबी हादसे को लेकर अब तक उठे ये 10 बड़े सवाल
 पुलिस ने कहा कि कंपनी के पास मरम्मत का काम पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय था, लेकिन पुल को पहले ही खोल दिया.

1. पुल के नवीनीकरण के लिए उपयोग की जाने वाली सामग्री घटिया थी और पूरी संरचना कमजोर थी.

2. नवीनीकरण से पहले इस 143 साल पुराने पुल का कोई संरचनात्मक ऑडिट नहीं हुआ था.

3. सस्पेंशन ब्रिज के कई केबलों में जंग लग गया था, जिसमें वह हिस्सा भी शामिल था जहां से पुल टूटा था. अगर केबल ठीक कर दी जाती तो हादसा नहीं होता.

4. पुल के रिनोवेशन के हिस्से के रूप में, केवल प्लेटफॉर्म बदला गया था, केबल नहीं. इसके लिए इस्तेमाल होने वाली सामग्री ने वजन बढ़ा दिया.

5. नवीनीकरण कार्य के लिए लगाए गए ठेकेदार ऐसे कार्य के लिए योग्य नहीं थे. सब-कांट्रैक्टर ने केवल नवीनीकरण के लिए केबलों को पेंट और पॉलिश किया. इसी फर्म को 2007 में भी एक अनुबंध दिया गया था. इस फर्म को हालांकि अयोग्य घोषित किया गया था.

6. पुल को जनता के लिए खोल दिया गया था, यह निर्धारित किए बिना कि यह कितने लोगों को ले जा सकता है.

7. इसे फिर से खोलने से पहले सरकार की मंजूरी नहीं ली गई थी.

8. कोई आपातकालीन बचाव और निकासी योजना नहीं थी. न तो लाइफसेविंग उपकरण थे और न ही लाइफसेविंग गार्ड थे.

9. मरम्मत कार्य का कोई दस्तावेज नहीं था, न ही विशेषज्ञों ने इसका निरीक्षण किया था.

10. कंपनी के पास मरम्मत का काम पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय था, लेकिन उन्होंने दिवाली और गुजराती नव वर्ष के त्योहारी सीजन में भारी भीड़ की आशंका को देखते हुए पुल को बहुत पहले ही खोल दिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *