चुनावी खर्च के मामले में उम्मीदवार कैसे झोंकते हैं आंखों में धूल, रिसर्च में आया सामने

Gujarat Election: शोधकर्ताओं ने शोध में पाया कि उम्मीदवारों ने चुनाव में 57 लाख से लेकर 1.16 करोड़ रुपये के बीच खर्च किया था.
गुजरात विधानसभा चुनाव में पैसा खर्च करने के मामले में नेता लिमिट से ज्यादा खर्चा कर रहे हैं. यहां के नेता तय मानकों से भी आगे जाकर 100 गुणा ज्यादा फिजूलखर्ची कर रहे हैं. लेकिन यह चुनाव जीतने और चुनावी कैंपेन चलने तक ही जारी रहता है.

एक अध्ययन से सामने आया है कि 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों ने आउटरीच कार्यक्रमों के लिए प्रति वोटर 459 रुपये खर्च किए थे, जबकि चुनाव आयोग ने प्रति वोटर लगभग 45 रुपये खर्च किए जाने के मानक तय किये थे. वहीं, 2017 के चुनाव में प्रत्याशियों के प्रचार खर्च के लिए चुनाव आयोग ने प्रति उम्मीदवार 28 लाख रुपये की सीमा निर्धारित की थी.

चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा खर्च करने का पता लगाने के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई के शोधकर्ता शामिल थे. साथ ही अमेरिका की फिलाडेल्फिया में टेम्पल यूनिवर्सिटी और फिलाडेल्फिया में टेम्पल यूनिवर्सिटी से दो शोधकर्ता शामिल थे. शोधकर्ताओं ने अहमदाबाद और खेड़ा के वाल्ड सिटी विधानसभा क्षेत्र में पिछले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों द्वारा किए गए खर्चों की जांच की थी.

नवंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच विश्लेषण
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, इस अध्ययन में नवंबर 2017 से मार्च 2018 के बीच चुनाव खर्च का विश्लेषण किया गया. शोधकर्ताओं ने बताया कि अहमदाबाद में, कांग्रेस के उम्मीदवार ने आधिकारिक तौर पर 13.4 लाख रुपये, बीजेपी उम्मीदवार ने 10.5 लाख रुपये, जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार ने 2.7 लाख रुपये की घोषणा की थी. जबकि, डेयरी सहकारिता और ग्रामीण मतदाताओं के दबदबे वाले कपडवंज में कांग्रेस प्रत्याशी ने 9.7 लाख रुपये और बीजेपी प्रत्याशी ने 11.8 लाख रुपये खर्च किए.

तीन संस्थानों के शोधकर्ता हुए शामिल
TISS के शोधकर्ता अश्विनी कुमार, टेम्पल यूनिवर्सिटी के सौरदीप बनर्जी और वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के शाश्वत धर ने मतदान से 14 दिन पहले अहमदाबाद और कपडवंज में दोनों प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों ने चुनाव में जो खर्च किया था और खर्च की आधिकारिक तौर घोषणा की थी उसका मिलान किया.

हैरान करने वाले आंकड़े सामने आए 
आंकड़े हैरान करने वाले थे क्योंकि शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादातर उम्मीदवारों ने अपने क्षेत्र में सभाओं और रैलियों के आयोजन पर 16 लाख से 28 लाख रुपये खर्च किये थे. जबकि, उन्होंने स्टार प्रचारकों की रैली पर 15 लाख से 30 लाख रुपये, पार्टी कार्यकर्ताओं के भोजन पर 5 लाख से 10 लाख रुपये, बूथ पर मैनेजमेंट के लिए 7 लाख से 14 लाख रुपये और बैनर छपाई के लिए लगभग 10 लाख रुपये खर्च किये.

शोधकर्ताओं ने शोध में पाया कि उम्मीदवारों ने चुनाव में 57 लाख से लेकर 1.16 करोड़ रुपये के बीच खर्च किया था. लेकिन राजनीतिक दल और उसके उम्मीदवार आधिकारिक तौर पर तय सीमा को दरकिनार कैसे करते हैं? और अपने कुल चुनावी खर्च को कम करके दिखाते हैं? अध्ययन में पाया गया कि चुनाव प्रचार में पैसा खर्च करने के लिए किसी तीसरे बैंक खातों का इस्तेमाल किया जाता है.

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